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भीषण गर्मी से पहले कोडरमा के गांव में गहराया जल संकट, बालू खोदकर पानी निकाल रहे ग्रामीण! - WATER PROBLEM

कोडरमा में जंगल से घिरे डगरनवां पंचायत के टेपरा गांव के ग्रामीण हर दिन नदी की बालू खोदकर पीने की पानी की व्यवस्था करते हैं.

Villagers are struggling for water
जल संकट से परेशान ग्रामीण (Etv bharat)
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Published : April 4, 2025 at 10:23 AM IST

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कोडरमा: गर्मी की दस्तक के साथ ही जल संकट गहराने लगा हैं. कई ऐसे इलाके है जहां लोगों को पीने के पानी के लिए हर दिन संघर्ष करना पड़ रहा है. कोडरमा जिले के मरकच्चो प्रखंड मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर जंगल से घिरे डगरनवां पंचायत के टेपरा गांव के लोग प्रतिदिन नदी की बालू को खोदकर पीने की पानी की व्यवस्था करते हैं.

टेपरा गांव की रहने वाली रेशमी देवी ने बताया कि गांव में पानी की काफी बड़ी समस्या है. वहीं बारिश के दिनों में गांव का संपर्क दूसरे गांवों से पूरी तरह टूट जाता है. बरसात में नदी का जल स्तर बढ़ने पर करीब 12 से 15 फीट पानी गांव में घुस जाता है. जिससे 3 महीने तक लोग नदी से घिरे गांव में कैद हो जाते हैं. टेपरा गांव के ग्रामीणों की समस्या बरसात के बाद गर्मी में फिर से शुरू हो जाती हैं. गांव के किनारे स्थित नदी से महिलाएं बालू में गड्ढा खोदकर बूंद-बूंद पानी इकट्ठा करती हैं और अपनी प्यास बुझाती हैं.

कोडरमा में भीषण गर्मी से पहले गहराया जल संकट (Etv bharat)

बालू के नीचे से निकालना पड़ता है पानी

ग्रामीणों की मानें तो पानी की कमी की वजह से लोगों को नहाने में काफी परेशानी होती हैं. वहीं नदी के दूषित पानी को पीकर बच्चे और बड़े अक्सर बीमार पड़ते रहते हैं. गांव की मुन्नी देवी ने बताया कि अभी गर्मी की शुरुआत में नदी किनारे उन्हें करीब एक फीट तक बालू की खुदाई कर पानी का जुगाड़ करना पड़ रहा है. वहीं आने वाले दिनों में जब गर्मी बढ़ने पर नदी का पानी सूखने लगता हैं. तब नदी के बालू को करीब 5 से 6 फीट गहरा खोदना पड़ता हैं, तब जाकर कहीं उन्हें पानी का रिसाव मिलता है और फिर छोटे बर्तन से धीरे-धीरे जमा पानी को ग्रामीण इकट्ठा करते हैं जिसका इतेमाल वे अपनी प्यास बुझाने और खाना बनाने समेत अन्य कार्य में करते हैं.

Villagers are struggling for water
चुआं से पानी निकालते ग्रामीण (Etv bharat)

शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं

ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर गांव के लोग गाँव मे ही कैद हो जाते हैं ऐसे में यदि कोई बीमार पड़ जाता हैं, तो उसे चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने में भी काफी मुश्किल होती है. कई बार लोग बीमार व्यक्ति को खाट पर लेटाकर नदी पार कर डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं. ग्रामीणों की माने तो गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने पर मजबूरन लोगों को नदी किनारे बालू से पानी की बूंद-बूंद व्यवस्था करनी पड़ती है. इस दौरान पानी भी काफी गंदा रहता है और पानी में कीड़े भी मिलते रहते हैं, जिससे बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.

Villagers are struggling for water
पानी भरकर ले जाती महिलाएं (Etv bharat)

बोरिंग फेल होने से बाधित हुई पानी की सप्लाई

वहीं बड़कू टुडू ने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल झुमरी तिलैया के द्वारा एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत सोलर आधारित 5000 लीटर का जल मीनार वर्ष 2020 में स्थापित किया गया था. लेकिन जल मीनार के लिए कराया गया बोरिंग फेल हो गई. शुरुआत में कुछ दिनों तक पानी की सप्लाई होती रही लेकिन इसके बाद जब पानी आना बंद हुआ तो पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कर्मियों को इसकी सूचना दी गई. जिसके बाद जल मीनार में लगे स्टार्टर और स्विच बोर्ड एवं मोटर को कर्मी अपने साथ लेकर चले गए. इसके बाद दोबारा जल मीनार शुरू नहीं हो पाया. पानी नहीं होने पर गांव के लोग गर्मी के मौसम में किसी प्रकार की कोई खेती भी नहीं कर पाते हैं. बारिश के दिनों में उपजाए अनाज को ही सुरक्षित रख कर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.

Villagers are struggling for water
बालू खोदकर पानी निकालते ग्रामीण (Etv bharat)

'टेपरा गांव वन क्षेत्र में बसा हुआ है. वन विभाग के द्वारा वन क्षेत्र में किसी प्रकार की नई योजना दिए जाने पर रोक लगाई गई है. ग्रामीणों की समस्या को दूर करने की दिशा में डीएफओ से सामंजस्य बैठाकर जिला प्रशासन लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने की प्रक्रिया में जुट गई है'. -मेघा भारद्वाज, डीसी.

बता दें कि यहां 20 घरों में 200 से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं. जिनको हर दिन पीने के पानी के लिए जद्दोजहत करनी पड़ती हैं. इस गांव के लोगों को बारिश के दिनों में मुसीबत ऐसी झेलनी पड़ती हैं कि अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे सही इलाज नहीं मिल पाता और बच्चों का स्कूल से 3 महीने तक संपर्क भी टूट जाता है.

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कोडरमा: गर्मी की दस्तक के साथ ही जल संकट गहराने लगा हैं. कई ऐसे इलाके है जहां लोगों को पीने के पानी के लिए हर दिन संघर्ष करना पड़ रहा है. कोडरमा जिले के मरकच्चो प्रखंड मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर जंगल से घिरे डगरनवां पंचायत के टेपरा गांव के लोग प्रतिदिन नदी की बालू को खोदकर पीने की पानी की व्यवस्था करते हैं.

टेपरा गांव की रहने वाली रेशमी देवी ने बताया कि गांव में पानी की काफी बड़ी समस्या है. वहीं बारिश के दिनों में गांव का संपर्क दूसरे गांवों से पूरी तरह टूट जाता है. बरसात में नदी का जल स्तर बढ़ने पर करीब 12 से 15 फीट पानी गांव में घुस जाता है. जिससे 3 महीने तक लोग नदी से घिरे गांव में कैद हो जाते हैं. टेपरा गांव के ग्रामीणों की समस्या बरसात के बाद गर्मी में फिर से शुरू हो जाती हैं. गांव के किनारे स्थित नदी से महिलाएं बालू में गड्ढा खोदकर बूंद-बूंद पानी इकट्ठा करती हैं और अपनी प्यास बुझाती हैं.

कोडरमा में भीषण गर्मी से पहले गहराया जल संकट (Etv bharat)

बालू के नीचे से निकालना पड़ता है पानी

ग्रामीणों की मानें तो पानी की कमी की वजह से लोगों को नहाने में काफी परेशानी होती हैं. वहीं नदी के दूषित पानी को पीकर बच्चे और बड़े अक्सर बीमार पड़ते रहते हैं. गांव की मुन्नी देवी ने बताया कि अभी गर्मी की शुरुआत में नदी किनारे उन्हें करीब एक फीट तक बालू की खुदाई कर पानी का जुगाड़ करना पड़ रहा है. वहीं आने वाले दिनों में जब गर्मी बढ़ने पर नदी का पानी सूखने लगता हैं. तब नदी के बालू को करीब 5 से 6 फीट गहरा खोदना पड़ता हैं, तब जाकर कहीं उन्हें पानी का रिसाव मिलता है और फिर छोटे बर्तन से धीरे-धीरे जमा पानी को ग्रामीण इकट्ठा करते हैं जिसका इतेमाल वे अपनी प्यास बुझाने और खाना बनाने समेत अन्य कार्य में करते हैं.

Villagers are struggling for water
चुआं से पानी निकालते ग्रामीण (Etv bharat)

शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं

ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के दिनों में नदी का जलस्तर बढ़ने पर गांव के लोग गाँव मे ही कैद हो जाते हैं ऐसे में यदि कोई बीमार पड़ जाता हैं, तो उसे चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने में भी काफी मुश्किल होती है. कई बार लोग बीमार व्यक्ति को खाट पर लेटाकर नदी पार कर डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं. ग्रामीणों की माने तो गांव में शुद्ध पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने पर मजबूरन लोगों को नदी किनारे बालू से पानी की बूंद-बूंद व्यवस्था करनी पड़ती है. इस दौरान पानी भी काफी गंदा रहता है और पानी में कीड़े भी मिलते रहते हैं, जिससे बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.

Villagers are struggling for water
पानी भरकर ले जाती महिलाएं (Etv bharat)

बोरिंग फेल होने से बाधित हुई पानी की सप्लाई

वहीं बड़कू टुडू ने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल झुमरी तिलैया के द्वारा एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत सोलर आधारित 5000 लीटर का जल मीनार वर्ष 2020 में स्थापित किया गया था. लेकिन जल मीनार के लिए कराया गया बोरिंग फेल हो गई. शुरुआत में कुछ दिनों तक पानी की सप्लाई होती रही लेकिन इसके बाद जब पानी आना बंद हुआ तो पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कर्मियों को इसकी सूचना दी गई. जिसके बाद जल मीनार में लगे स्टार्टर और स्विच बोर्ड एवं मोटर को कर्मी अपने साथ लेकर चले गए. इसके बाद दोबारा जल मीनार शुरू नहीं हो पाया. पानी नहीं होने पर गांव के लोग गर्मी के मौसम में किसी प्रकार की कोई खेती भी नहीं कर पाते हैं. बारिश के दिनों में उपजाए अनाज को ही सुरक्षित रख कर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.

Villagers are struggling for water
बालू खोदकर पानी निकालते ग्रामीण (Etv bharat)

'टेपरा गांव वन क्षेत्र में बसा हुआ है. वन विभाग के द्वारा वन क्षेत्र में किसी प्रकार की नई योजना दिए जाने पर रोक लगाई गई है. ग्रामीणों की समस्या को दूर करने की दिशा में डीएफओ से सामंजस्य बैठाकर जिला प्रशासन लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने की प्रक्रिया में जुट गई है'. -मेघा भारद्वाज, डीसी.

बता दें कि यहां 20 घरों में 200 से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं. जिनको हर दिन पीने के पानी के लिए जद्दोजहत करनी पड़ती हैं. इस गांव के लोगों को बारिश के दिनों में मुसीबत ऐसी झेलनी पड़ती हैं कि अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे सही इलाज नहीं मिल पाता और बच्चों का स्कूल से 3 महीने तक संपर्क भी टूट जाता है.

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