भरतपुर: एमबीसी आरक्षण को लेकर एक बार फिर गुर्जर समाज में आक्रोश भड़क उठा है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक विजय बैंसला ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि 5 प्रतिशत आरक्षण का दावा सिर्फ दिखावा है, क्योंकि वास्तविक लाभ समाज को महज डेढ़ से दो प्रतिशत ही मिल रहा है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब सिर्फ वार्ता नहीं, ठोस समाधान चाहिए. बैंसला ने सरकार को 8 जून शाम 5 बजे तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि यदि तय मुद्दों पर मसौदा सामने नहीं आया, तो पीलूपुरा की महापंचायत से बड़ा निर्णय लिया जाएगा.
वादे किए, निभाए नहीं: गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति प्रमुख विजय बैंसला ने कहा कि एमबीसी आरक्षण को लेकर सरकार के साथ जिन-जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी, उनमें से किसी एक को भी अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि 5% एमबीसी आरक्षण केवल कागजों में है. वास्तविकता यह है कि जब इसे जिलों में बांटा जाता है और रोस्टर प्रणाली में समायोजित किया जाता है, तो गुर्जर समाज को केवल 1.5 से 2 प्रतिशत ही आरक्षण का लाभ मिल पाता है.
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9 महीने से फाइलें अटकी: बैंसला ने बताया कि इस विषय पर उनकी स्वयं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बात हुई थी. मुख्यमंत्री ने कहा था कि एक दस्तावेज बनाकर डीओपी (कार्मिक विभाग) में जमा करा दें. बैंसला ने दस्तावेज तैयार कर जमा भी करवा दिया, लेकिन नौ महीने बीत जाने के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई.
हाईकोर्ट आदेश की अवहेलना का आरोप: विजय बैंसला ने वर्ष 2019 के हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसमें स्पष्ट कहा गया था कि आरक्षण पहले जनरल कैटेगरी में, फिर ओबीसी और फिर एमबीसी में दिया जाएगा, लेकिन सरकार केवल जनरल और एमबीसी में ही आरक्षण दे रही है, ओबीसी में नहीं, जो पूरी तरह आदेश की अवहेलना है.
बैंसला ने तीखे शब्दों में कहा कि सरकार को जब आरक्षण विरोधी फैसला करना होता है तो 15 मिनट में आदेश जारी हो जाते हैं, लेकिन समाज के हक के मुद्दों पर छह-छह साल तक फाइलें धूल खाती रहती हैं. इच्छाशक्ति है ही नहीं, जो करना होता है, उसे तुरंत कर सकते हैं, लेकिन जब बात गुर्जरों की आती है तो सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल देते हैं.
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कुर्की आदेश पर नाराजगी: विजय बैंसला ने आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों पर भी नाराजगी जताई. उन्होंने बताया कि एक साल पहले कई लोगों के पास कुर्की के आदेश पहुंच चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार ने इन केसों को वापस नहीं लिया. उन्होंने बताया कि वे खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम से तीन बार मिल चुके हैं. उन्हें पत्र भी दिया गया है, लेकिन कार्रवाई कहीं नहीं दिख रही. कोई कहता है कागज मुख्यमंत्री के पास नहीं पहुंचे, कोई कहता है पहुंच गए, लेकिन हकीकत में हुआ कुछ नहीं.
महापंचायत से होगा बड़ा ऐलान: बैंसला ने सरकार को 8 जून शाम 5 बजे तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि इससे पहले सरकार समाज के सामने समाधान का ठोस मसौदा पेश करे, वरना पीलूपुरा में होने वाली महापंचायत से बड़ा और निर्णायक फैसला लिया जाएगा.
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गुर्जर समाज की प्रमुख मांगें
- एमबीसी आरक्षण विधेयक को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए, जिससे यह न्यायिक समीक्षा से सुरक्षित रह सके.
- 2019 के आंदोलन के समय हुए समझौतों को अक्षरशः लागू किया जाए.
- सरकारी नौकरियों में 5% आरक्षण का वास्तविक और समान वितरण हो.
- देवनारायण योजना का लाभ समाज के योग्य और वंचित वर्ग तक पहुंचे.
- आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमों को बिना शर्त वापस लिया जाए.
- आंदोलन में मारे गए लोगों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए.
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