देहरादून: उत्तराखंड और वियतनाम सरकार वन आधारित उद्योगों पर सहयोग के लिए सहमत हुए हैं. इस दौरान प्रदेश में वियतनाम की ऐसी वृक्ष प्रजातियों के क्लोन तैयार करने की भी कोशिश होगी जो वहां पर फर्नीचर उद्योग में प्रयोग की जाती है. उत्तराखंड से वन मंत्री की अध्यक्षता में वियतनाम और कंबोडिया यात्रा से वापस लौटे प्रतिनिधिमंडल ने इस बात की जानकारी दी.
वियतनाम फर्नीचर के क्षेत्र में काफी बेहतर काम कर रहा है. यही कारण है कि वियतनाम द्वारा दुनिया भर में अपने फर्नीचर निर्यात किए जा रहे हैं. उत्तराखंड में वन विभाग भी वन आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कुछ इनीशिएटिव लेना चाहती है और इसीलिए उत्तराखंड वन विभाग और वियतनाम सरकार के बीच फर्नीचर उद्योग को लेकर सहयोग किए जाने पर सहमति भी की गई है. उत्तराखंड से वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधिमंडल वियतनाम और कंबोडिया की यात्रा करके वापस लौटा है. जिसने वन आधारित उद्योगों के लिहाज से इस यात्रा को बेहद अहम बताया है.
वियतनाम दुनियाभर में करता है फर्नीचर एक्सपोर्ट: वियतनाम दुनियाभर में अपने फर्नीचर को निर्यात कर रहा है. इस तरह करीब 18 बिलियन डॉलर के फर्नीचर का निर्यात कर वियतनाम अपनी इकोनॉमी में इसका बेहतर कंट्रीब्यूशन कर रहा है. इसी को देखते हुए उत्तराखंड भी अब राज्य में इसको लेकर संभावनाएं देख रहा है. ऐसे में प्रदेश में ऐसी वृक्ष प्रजातियों पर ट्रायल करने के लिए विचार हो रहा है जो वियतनाम में मौजूद है और जिसका इस्तेमाल वियतनाम फर्नीचर बनाने में कर रहा है. इस वृक्ष प्रजाति की खासियत यह है कि यह काफी तेजी से बढ़ता है और इससे बड़ी मात्रा में फर्नीचर का निर्माण किया जा सकता है. इतना ही नहीं, इन वृक्ष प्रजातियों का रॉ मटेरियल के रूप में भी उत्तराखंड वन विभाग निर्यात कर सकता है.
रिपोर्ट की जाएगी तैयार: उत्तराखंड से विदेश दौरे पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल ने एक तरफ वियतनाम में अकादमी ऑफ फॉरेस्ट साइंस के अध्यक्ष से मुलाकात की. वहीं फर्नीचर की विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में जाकर वहां की स्थिति भी देखी. इस दौरान उत्तराखंड में बांस और रिंगाल की उपलब्धता को देखते हुए वस्त्र उत्पादन में भी इसके बेहतर इस्तेमाल की संभावनाएं देखी गई है. इसको लेकर प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे के अपने अनुभव के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार करेगा. जिससे राज्य में वन आधारित उद्योगों को कैसे बढ़ावा मिले और स्थानीय लोगों के रोजगार में इसकी कैसे सहभागिता बढ़ाई जाए? इस पर रोड मैप तैयार किया जा सकेगा.
प्रतिनिधिमंडल ने टिंबर और फॉरेस्ट प्रोडक्शन संगठन के पदाधिकारी से भी मुलाकात की. जिसमें चर्चा के दौरान विभिन्न उद्योगों से सृजित होने वाले रोजगार के बारे में भी जानकारी ली गई. इस दौरे के बाद अब प्रतिनिधिमंडल रिपोर्ट के माध्यम से इस यात्रा के अनुभवों को साझा करेगा. ताकि भविष्य में प्रदेश में भी वन आधारित उद्योग को लेकर कदम उठाए जा सके.
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