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अयोध्या से पूर्व विदिशा में 300 साल से चल रही है परंपरा, भगवान राम का होता है सूर्य तिलक - VIDISHA RAMLALA SURYA TILAK

विदिशा में भगवान राम के सूर्य तिलक की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. यह मंदिर 1745 में मुगल शासन काल में बना था.

VIDISHA RAMLALA SURYA TILAK
विदिशा में वर्षों से चली आ रही है रालला की सूर्य तिलक की परंपरा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 7, 2025 at 9:54 AM IST

2 Min Read

विदिशा: जिले में किला क्षेत्र के भीतर 300 साल पुराना राम मंदिर है. जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 1745 में मुगल शासन काल के दौरान संत राजाराम जी ने की थी. यह मंदिर रामदासी संप्रदाय की परंपरा के अंतर्गत स्थापित किया गया था, जो आज भी अपनी मूल मराठा शैली और धार्मिक गरिमा को संजोए हुए है. यहां स्थापित भगवान राम को सूर्य तिलक की परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

समर्थ गुरु रामदास की खड़ाऊ की भी होती है पूजा

इतिहासकार गोविंद देवलिया बताते हैं कि "सन् 1745 में समर्थ गुरु रामदास ने महाराष्ट्र में अपने शिष्यों से जगह-जगह जाकर राम नाम का प्रचार करने और मंदिर बनाने की बात कही थी. जिसमें उनके एक शिष्य राजाराम जी विदिशा आए और उन्होंने यहां राम मंदिर की स्थापना की." मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता जी के साथ ही हनुमान जी की अष्टधातु से बनी मूर्ति विराजमान है. वहीं, गर्भगृह में समर्थ गुरु रामदास जी की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित है, जिनकी खड़ाऊ आज भी श्रद्धा से पूजी जाती हैं.

विदिशा में 300 साल पुराना मंदिर है आस्था का केंद्र (ETV Bharat)

महाराज की मूर्ति के ऊपर से गुजरते हैं भक्त

मंदिर के वर्तमान पुजारी विनोदराव हैं. जिनके ताऊ और गद्दी के 9वें पुजारी श्रीकृष्ण जी महाराज ने अपनी मूर्ति मंदिर प्रांगण की भूमि पर स्थापित कराई थी. बताया जाता है कि उनकी इच्छा थी कि हर दर्शनार्थी के पैर उनकी मूर्ति के ऊपर से गुजरे. जिससे भक्तों के चरणों की धूल उन्हें मिलती रहे.

Vidisha Ramlala Surya tradition
सूर्य तिलक की है अद्भुत परंपरा (ETV Bharat)
Devotees pass over Maharaj statue
महाराज के मूर्ति के ऊपर से गुजरते हैं भक्त (ETV Bharat)

सूर्य तिलक की है अद्भुत परंपरा

मंदिर में स्थापित भगवान राम को रामनवमी के दिन दोपहर करीब 12 बजे सूर्य तिलक कराया जाता है. विशेष आईने की मदद से सूर्य की किरण को गर्भगृह में स्थित भगवान राम की प्रतिमा पर पड़ती है. इस दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. पुजारी निषेद देशपांडे ने बताया कि "सूर्य तिलक की परंपरा आज अयोध्या के राम मंदिर में अपनाई जा रही है. लेकिन विदिशा में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. मंदिर में हर वर्ष रामनवमी के उत्सव पर भगवान राम को सूर्य तिलक कराने की परंपरा है, जिसे श्रद्धा से निभाया जाता है."

विदिशा: जिले में किला क्षेत्र के भीतर 300 साल पुराना राम मंदिर है. जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 1745 में मुगल शासन काल के दौरान संत राजाराम जी ने की थी. यह मंदिर रामदासी संप्रदाय की परंपरा के अंतर्गत स्थापित किया गया था, जो आज भी अपनी मूल मराठा शैली और धार्मिक गरिमा को संजोए हुए है. यहां स्थापित भगवान राम को सूर्य तिलक की परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

समर्थ गुरु रामदास की खड़ाऊ की भी होती है पूजा

इतिहासकार गोविंद देवलिया बताते हैं कि "सन् 1745 में समर्थ गुरु रामदास ने महाराष्ट्र में अपने शिष्यों से जगह-जगह जाकर राम नाम का प्रचार करने और मंदिर बनाने की बात कही थी. जिसमें उनके एक शिष्य राजाराम जी विदिशा आए और उन्होंने यहां राम मंदिर की स्थापना की." मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, सीता जी के साथ ही हनुमान जी की अष्टधातु से बनी मूर्ति विराजमान है. वहीं, गर्भगृह में समर्थ गुरु रामदास जी की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित है, जिनकी खड़ाऊ आज भी श्रद्धा से पूजी जाती हैं.

विदिशा में 300 साल पुराना मंदिर है आस्था का केंद्र (ETV Bharat)

महाराज की मूर्ति के ऊपर से गुजरते हैं भक्त

मंदिर के वर्तमान पुजारी विनोदराव हैं. जिनके ताऊ और गद्दी के 9वें पुजारी श्रीकृष्ण जी महाराज ने अपनी मूर्ति मंदिर प्रांगण की भूमि पर स्थापित कराई थी. बताया जाता है कि उनकी इच्छा थी कि हर दर्शनार्थी के पैर उनकी मूर्ति के ऊपर से गुजरे. जिससे भक्तों के चरणों की धूल उन्हें मिलती रहे.

Vidisha Ramlala Surya tradition
सूर्य तिलक की है अद्भुत परंपरा (ETV Bharat)
Devotees pass over Maharaj statue
महाराज के मूर्ति के ऊपर से गुजरते हैं भक्त (ETV Bharat)

सूर्य तिलक की है अद्भुत परंपरा

मंदिर में स्थापित भगवान राम को रामनवमी के दिन दोपहर करीब 12 बजे सूर्य तिलक कराया जाता है. विशेष आईने की मदद से सूर्य की किरण को गर्भगृह में स्थित भगवान राम की प्रतिमा पर पड़ती है. इस दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. पुजारी निषेद देशपांडे ने बताया कि "सूर्य तिलक की परंपरा आज अयोध्या के राम मंदिर में अपनाई जा रही है. लेकिन विदिशा में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. मंदिर में हर वर्ष रामनवमी के उत्सव पर भगवान राम को सूर्य तिलक कराने की परंपरा है, जिसे श्रद्धा से निभाया जाता है."

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