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रांची विश्वविद्यालय में वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता के आरोपों पर कुलपति ने रखा पक्ष, कहा-जांच से नहीं भागूंगा - IRREGULARITIES IN UNIVERSITY

रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितता के आरोपों पर अपना पक्ष रखा है.

Irregularities In Ranchi University
रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 11, 2025 at 4:46 PM IST

3 Min Read

रांची:रांची विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के घेरे में है. राज्यपाल सह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा के कार्यकाल के दौरान हुई कथित प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं. इस मामले को लेकर उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है, जो पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच करेगी. इधर, मामले में आरयू के कुलपति ने अपना पक्ष रखा है.

रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. सबसे बड़ा आरोप यह है कि उन्होंने बिना किसी निविदा (टेंडर) प्रक्रिया के सीनेट भवन और कुलपति चेंबर का निर्माण कार्य करवाया. इसके अतिरिक्त उनपर शिक्षकों का स्थानांतरण दुर्भावना से प्रेरित होकर करने और नैक दौरे के नाम पर अनावश्यक सरकारी खर्च करने का भी आरोप है. इन आरोपों के मद्देनजर राज्यपाल ने निर्देश दिया है कि मामले की गहराई से जांच की जाए और यदि कहीं कोई चूक पाई जाती है, तो उसपर सख्त कार्रवाई हो.

बयान देते रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

कुलपति ने रखा अपना पक्ष

हालांकि इस पूरे विवाद पर जब कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे किसी भी तरह की जांच से नहीं भाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि, “जांच हो जाए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. मैं पूरी तरह से जांच का स्वागत करता हूं और राज्यपाल द्वारा गठित किसी भी समिति को पूरा सहयोग दूंगा.”

कुलपति ने अपनी सफाई में कहा कि जब उन्होंने विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला, तब यूनिवर्सिटी भवन की हालत बेहद जर्जर थी. छात्राओं के लिए शौचालय नहीं थे, सीनेट हॉल खस्ताहाल था, कई जगहों से छज्जे गिर रहे थे और पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं थी. उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को देखते हुए उन्होंने तात्कालिक रूप से सुधारात्मक कदम उठाए, ताकि छात्रों और शिक्षकों को सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण मिल सके.

डॉ. सिन्हा ने यह भी दावा किया कि उनके पास सभी कार्यों से संबंधित दस्तावेज, बिल और स्वीकृतियां मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि, “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. हर एक कार्य प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया है. यदि किसी को संदेह है, तो जांच से स्पष्ट हो जाएगा.

उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके पास प्रत्येक कार्य का खाका है और उन्होंने अपने स्तर पर विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी से कार्य किया है. अगर इसके बावजूद सवाल उठ रहे हैं, तो इसका उन्हें कोई खेद नहीं, पर वे हर संभव सहयोग देने को तैयार हैं.

अब सभी की निगाहें राज्यपाल द्वारा गठित जांच समिति पर टिकी हैं. समिति की रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि रांची विश्वविद्यालय में सच में कोई अनियमितता हुई है या फिर यह मात्र एक प्रशासनिक विवाद भर है.

ये भी पढ़ें-

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रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. सबसे बड़ा आरोप यह है कि उन्होंने बिना किसी निविदा (टेंडर) प्रक्रिया के सीनेट भवन और कुलपति चेंबर का निर्माण कार्य करवाया. इसके अतिरिक्त उनपर शिक्षकों का स्थानांतरण दुर्भावना से प्रेरित होकर करने और नैक दौरे के नाम पर अनावश्यक सरकारी खर्च करने का भी आरोप है. इन आरोपों के मद्देनजर राज्यपाल ने निर्देश दिया है कि मामले की गहराई से जांच की जाए और यदि कहीं कोई चूक पाई जाती है, तो उसपर सख्त कार्रवाई हो.

बयान देते रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

कुलपति ने रखा अपना पक्ष

हालांकि इस पूरे विवाद पर जब कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे किसी भी तरह की जांच से नहीं भाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि, “जांच हो जाए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. मैं पूरी तरह से जांच का स्वागत करता हूं और राज्यपाल द्वारा गठित किसी भी समिति को पूरा सहयोग दूंगा.”

कुलपति ने अपनी सफाई में कहा कि जब उन्होंने विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला, तब यूनिवर्सिटी भवन की हालत बेहद जर्जर थी. छात्राओं के लिए शौचालय नहीं थे, सीनेट हॉल खस्ताहाल था, कई जगहों से छज्जे गिर रहे थे और पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं थी. उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को देखते हुए उन्होंने तात्कालिक रूप से सुधारात्मक कदम उठाए, ताकि छात्रों और शिक्षकों को सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण मिल सके.

डॉ. सिन्हा ने यह भी दावा किया कि उनके पास सभी कार्यों से संबंधित दस्तावेज, बिल और स्वीकृतियां मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि, “मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. हर एक कार्य प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया है. यदि किसी को संदेह है, तो जांच से स्पष्ट हो जाएगा.

उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके पास प्रत्येक कार्य का खाका है और उन्होंने अपने स्तर पर विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी से कार्य किया है. अगर इसके बावजूद सवाल उठ रहे हैं, तो इसका उन्हें कोई खेद नहीं, पर वे हर संभव सहयोग देने को तैयार हैं.

अब सभी की निगाहें राज्यपाल द्वारा गठित जांच समिति पर टिकी हैं. समिति की रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि रांची विश्वविद्यालय में सच में कोई अनियमितता हुई है या फिर यह मात्र एक प्रशासनिक विवाद भर है.

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