सागर: मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में घास के भरपूर मैदान हैं. यहां पाई जाने वाली मोटी घास के चलते बायसन यानी इंडियन गौर को यहां बसाने की योजना चल रही है. इसी को लेकर भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून से विशेषेज्ञों की एक टीम नौरादेही आई है, जो यहां बायसन की संभावनाओं की तलाश कर रही है. जानकारों का कहना है कि यहां पर बायसन बसाने की संभावनाएं काफी बेहतर है. बायसन एक बायोमास मैनेजर के रूप में काम करता है, जो जंगल के लिए काफी अहम है.
नौरादेही का विशाल क्षेत्रफल और बड़े घास के मैदान
नौरादेही टाइगर रिजर्व है 3 जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर में फैला हुआ है. इसका कुल क्षेत्रफल 2339 वर्ग किलोमीटर है. जिसमें 1414 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 925.12 किमी का बफर एरिया है. इस विशाल वनक्षेत्र में बड़े-बड़े घास के मैदान हैं और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है.

क्योंकि जिन गांवों का विस्थापन हो रहा है, वहां खेती की जगह पर वन प्रबंधन द्वारा घास के मैदान विकसित किए जा रहे हैं. बायसन बड़ा शाकाहारी प्राणी है इसलिए जहां बड़े घास के मैदान होते हैं, वह जगह बायसन की पसंदीदा जगह होती है. घास के मैदान में पायी जाने वाली मोटी घास इनका पसंदीदा आहार होती है.

बायसन का प्रमुख आहार घास है
जानकार बताते हैं कि बायसन एक बड़ा शाकाहारी प्राणी है, जो मुख्य रूप से घास पर निर्भर रहता है. यह गोवंश का प्राणी है तो इसका आहार भी लगभग गोवंश की तरह है. इसका पसंदीदा भोजन मोटी घास या कोर्स ग्रास होती है. इसके अलावा ये झाड़ियों और पेड़ों की टहनियों को भी बड़े चाव से खाते हैं. घास के मैदानों के पारिस्थितिक तंत्र के लिए बायसन बेहद जरूरी होता है. क्योंकि यह बड़ी और मोटी घास को चरकर उनकी अतिवृद्धि को रोकता है. इसलिए नौरादेही टाइगर रिजर्व में घास के बड़े मैदान होने की वजह से यह बायसन को बसाने के लिए मुफीद माना जा रहा है.

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क्या कहते हैं जानकार?
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ ए ए अंसारी बताते हैं कि "नौरादेही टाइगर रिजर्व बहुत ही बड़ा विस्तृत संरक्षित क्षेत्र है. यहां बड़े-बड़े घास के मैदान है. जिसमें मोटी घास भी है, जिसे हम कोर्स ग्रास भी कहते हैं. यहां कोर्स ग्रेजर स्पीशीज कोई नहीं है. बायसन को बसाए जाने के लिए उपयुक्त माना जा रहा है. इसे ध्यान रखते हुए राज्य सरकार ने एक सर्वे कराने का फैसला लिया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ बायसन के आवास की संभावनाओं पर सर्वे कर रहे हैं. इस सर्वे के बाद विशेषज्ञ अपना अभिमत देंगे और उस अभिमत के आधार पर यहां बायसन को बसाने का निर्णय लिया जाएगा."