बीकानेर: गर्मियों की छुट्टियां होते ही पार्क और खेल के मैदान में बच्चों की आवाजाही बढ़ जाती है. अपनी रुचि के अनुसार बच्चे अपने पसंदीदा गेम में व्यस्त और मस्त रहते हैं. लेकिन बीकानेर में एक ऐसा अनूठा समर कैंप पिछले चार-पांच सालों से आयोजित हो रहा है, जिसकी शुरुआत तो बच्चों के लिए हुई थी लेकिन अब उसमें बड़ों के साथ युवतियों की भागीदारी देखने को मिल रही है.
सनातन संस्कृति से जुड़ाव : पंडित बाबूलाल शास्त्री ज्योति शोध संस्थान की ओर से पिछले 4-5 सालों से गर्मियों की छुट्टियों में करीब 50 दिन तक हर दिन करीब 2 घंटे का यह शिविर अब धीरे-धीरे बच्चों की पसंद बनता जा रहा है. जिसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी में सनातन संस्कृति के प्रति जुड़ाव और दैनिक पाठ पूजा के प्रति रुचि पैदा करना है.
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शिविर के आयोजक पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि वर्तमान में मोबाइल और पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव बच्चों को अपनी जड़ों से दूर कर रहा है. इस शिविर के माध्यम से वे बच्चों को उनके संस्कृति से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को समझ सकें. समर कैंप के दौरान बच्चों को रुद्राष्टाध्यायी, विष्णु सहस्त्रनाम, गोपाल सहस्त्रनाम, संध्या वंदन जैसे वैदिक पाठों की शिक्षा दी जा रही है. शिविर में न केवल बच्चों की भागीदारी है, बल्कि युवाओं और बुजुर्गों ने भी इसमें सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है.

मन को मिलती है शांति : पिछले दो-तीन सालों से शिविर में हर साल आने वाले बच्चा भरत का कहना है कि वह यहां अपनी इच्छा से आते हैं. भरत ने बताया कि छुट्टियों का सदुपयोग शिविर में आने से बेहतर हुआ है और खेलने के लिए सुबह का समय तय कर लिया और शाम को हर रोज यहां आता हूं. भरत ने कहा कि अब तक मैं रुद्राष्टाध्यायी, संध्या वंदन सीख लिया है और अब विष्णु सहस्त्रनाम पाठ सीख रहा हूं. वहीं शिविर में आए एक और मासूम युवराज कहते हैं कि यहां आकर मन को शांति मिलती है साथ ही अपनी संस्कृति को जानने का भी मौका मिलता है.

शिविर में बच्चों के लिए ज्योतिष कक्षाएं भी आयोजित की जा रही हैं, जहां विद्यार्थियों को ज्योतिषीय गणना और वैदिक विज्ञान के बारे में बताया जाता है. पंडित विमल किराडू, जो ज्योतिष कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं, कहते हैं कि वे चाहते हैं कि लोग वैदिक पद्धतियों को समझें, क्योंकि यह न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं.

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वैदिक पाठ और पूजा विधियों का अभ्यास : संस्थान से जुड़े और शिविर में सक्रिय भागीदारी निभा रहे पंडित हिमांशु किराडू कहते हैं कि आजकल युवाओं में नशे को लेकर बहुत लत हो गई है और सही दिशा नहीं मिलने से वह पथ भ्रष्ट होते जा रहे हैं. इसलिए यह जरूरी है कि वह अपनी संस्कृति से जुड़े और हमारा ही कार्य है कि हम अपनी संस्कृति से लोगों को रूबरू करवा इसी उद्देश्य के साथ इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है. वहीं बच्चों को वैदिक पाठ पूजा का अध्यापन कर रहे पंडित प्रहलाद विकास कहते हैं कि शास्त्रों में भी कहा गया है कि विद्या का दान करने से वह घटती नहीं बल्कि बढ़ती है. इसीलिए हम इस प्रयास को कर रहे हैं खुशी इस बात की है कि बच्चे हमारे इस कोशिश को कामयाब कर रहे हैं.