वाराणसी : धरती पर भगवती मां गंगा के अवतरण दिवस पर गंगा दशहरा की शुरुआत गुरुवार को बेहद भव्य तरीके से काशी के दशाश्वमेध घार पर हुई. चार दशकों से स्वच्छ काशी, स्वच्छ गंगा, स्वच्छ घाट व पर्यावरण संरक्षण को संकल्पित और समर्पित संस्था गंगा सेवा निधि द्वारा गंगा दशहरा महोत्सव का आयोजन एक पेड़ मां भगवती के संरक्षण के लिए आह्वान के साथ किया गया. इस मौके पर देश विदेश से पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने स्वच्छ गंगा, निर्मल गंगा व अविरल गंगा का संकल्प लिया.
भगवती मां गंगा के धरती पर अवतरण दिवस के पावन पर्व की संध्या पर गंगा सेवा निधि द्वारा विगत आठ वर्षों से प्रतिदिन दैनिक गंगा की आरती कराई जाती है. इसी क्रम में गुरुवार को गंगा सेवा निधि के 11 अर्चकों द्वारा भगवती मां गंगा का वैदिक रीति से पूजन कराया गया. संस्था के 11 अर्चकों एवं रिद्धी-सिद्धी के रूप में 22 देव कन्याओं (दुर्गाचरण गर्ल्स इंटर कॉलेज) द्वारा मां गंगा की महाआरती का आयोजन किया गया. 30 क्विंटल फूल-मालाओं एवं 11,001 दीपों से दशाश्वमेध घाट को भव्य रूप से द्वारा सजाया गया व घाटों पर फैली दीपों की रोशनी देश-विदेश से पहुंचे हजारों सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रही.

गंगा दशहरा के सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रारम्भ शिवोहम नृत्य समूह द्वारा मां गंगा की अवतरण गाथा एवं शिव और शती के जीवन की कहानियों का दर्शन और अंतिम प्रस्तुति में कथक एवं भरत नाट्यम दलनायिका शिवानी मिश्रा, एवं सहयोगी कलाकार स्मृति शाही, नेहा शर्मा, प्रिन्सी धर्मराज, आशुतोश सिंह, सौरभ त्रिपाठी एवं करिश्मा केशरी सारिका द्वारा की गई.

गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशान्त मिश्र ने बताय कि में गंगा किनारे एक संकल्प के माध्यम से मां गंगा के पावन तट पर सभी श्रद्धालुओं को प्रतिदिन संकल्प दिलाते हैं. संकल्प है कि काशी से लेकर प्रयाग तक, गंगा जी के दोनों तट पर, अधिकतम बाढ़ बिंदु से थोड़ा ऊपर, अगर नगरवासी, ग्रामवासी या तीर्थ यात्री एवं पर्यटक, प्रति 15 मीटर के दूरी पर, एक कतार में, एक नीम एक बरगद के वृक्ष रोपण करें तथा उसके प्राथमिक सिंचाई तथा मेड़ बंदी पर न्यनतम राशि अनुदान के रूप में सुनिश्चित करें तो आगामी वर्षों में ये सम्पूर्ण क्षेत्र, न केवल हरियाली सम्पन होगा, बल्कि शुद्ध वायु से वातावरण को संरक्षित करेगा. नीम के सूखे पत्ते उड़ कर नदी के गर्भ में जाएंगे. इससे गंगा जल का भी शोधन होगा.