रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ की सीमांत ग्राम पंचायत त्रियुगीनारायण में वामन द्वादशी मेला धूमधाम से मनाया गया. यह भगवान विष्णु के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन वामन रूप में अवतरित होने पर मनाया जाता है, जिस कारण इसे वामन द्वादशी के रूप में जाना जाता है. वहीं अनुष्ठान में 22 निसंतान दंपति भी पहुंचे, जिन्हें भगवान नारायण व भैरवनाथ के पश्वा ने आशीर्वाद स्वरूप फल दिया.
केदारघाटी के सीमांत ग्राम पंचायत त्रियुगीनारायण में वर्षों से मनाए जाने वाला वामन द्वादशी मेला धूमधाम के साथ मनाया गया. पहले दिन मंदिर में पुजारियों ने पूजा अर्चना के बाद भगवान नारायण तथा भैरवनाथ की मूर्तियों को जमाण/ डोली में सजाकर रात्रि चार पहर की पूजा की. इसके बाद दूसरे दिन प्रात: काल की पूजा अर्चना के बाद थाल में सजाकर मूर्तियों को आम भक्तों के दर्शनार्थ बाहर लाया जाता है. वामन द्वादशी मेले का मुख्य आकर्षण भगवान नारायण एवं क्षेत्रपाल भगवान की मूर्ति को चांदी की थाल में सजाकर आम भक्तों के दर्शनार्थ मंदिर गर्भगृह से बाहर लाया गया.
ग्राम शेरसी के नौटियाल परिवार भगवान की थाल को सिर में रखकर ब्राह्मणों व पुरोहितों के मंत्रोच्चार के साथ मंदिर की 21 परिक्रमाएं की. इसके बाद रात्रि जागरण उपवास पर बैठी निसंतान दंपतियों को भगवान नारायण के पश्वा व भैरवनाथ के पार्श्व उन्हें आशीर्वाद स्वरूप फल प्रदान करते हैं. मेले का मुख्य आकर्षण ग्राम वासियों द्वारा जंगल से मोरू की झाखडियां (लंबी डालें) लाना है. मेले में कई निसंतान दंपतियां मेले की पूर्व रात्रि में संतान की प्राप्ति को लेकर उपवास करते हैं. इस वर्ष इनकी संख्या 22 थी, जिनमें से उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों से संतान प्राप्ति को लेकर पहुंचे थे.