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उत्तराखंड के इस IAS अधिकारी को केंद्र में मिली अहम जिम्मेदारी, बनाए गए संयुक्त सचिव - SENIOR IAS VINOD KUMAR SUMAN

उत्तराखंड में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके आईएएस विनोद कुमार सुमन का केंद्र में संयुक्त सचिव के लिए चयन हुआ है.

IAS officer Vinod Kumar Suman
आईएएस अधिकारी विनोद कुमार सुमन (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : March 6, 2025 at 6:36 AM IST

Updated : March 6, 2025 at 1:17 PM IST

3 Min Read

देहरादून: आईएएस अधिकारी विनोद कुमार सुमन का केंद्र में संयुक्त सचिव के लिए चयन हुआ है. विनोद कुमार सुमन राज्य गठन के बाद पहले ऐसे आईएएस अधिकारी हैं (पीसीएस से आईएएस में प्रमोटेट) जिनका केंद्र सरकार के लिए नॉमिनेशन हुआ है.

कई पदों पर संभाल चुके जिम्मेदारी: साल 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन का केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव पद के लिए चयन हुआ है. आईएएस अधिकारी विनोद कुमार सुमन वर्तमान में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के साथ ही राज्य संपत्ति, सामान्य प्रशासन तथा प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. इससे पूर्व उन्होंने सचिव वित्त, प्रभारी सचिव शहरी विकास, सचिव सहकारिता, सचिव कृषि, सचिव पशुपालन के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं.

किसान परिवार में हुआ जन्म: विनोद कुमार सुमन राज्य गठन के बाद से अबतक शहरी विकास में सबसे लम्बे समय तक निदेशक रहे हैं. वो चमोली, अल्मोड़ा व नैनीताल में डीएम भी रह चुके हैं. उन्होंने राजधानी देहरादून में लंबे समय तक सिटी मजिस्ट्रेट व अपर जिलाधिकारी का पदभार संभाला था. इसके साथ ही सचिव एमडीडीए भी रहे. विनोद कुमार सुमन का जन्म उत्तर प्रदेश के भदोही के खांऊ गांव में एक बेहद गरीब किसान परिवार में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई.

पढ़ाई के लिए आर्थिक संकट: पांच भाई और दो बहनों में सबसे बड़े विनोद कुमार सुमन परिवार की जिम्मेदारी में पिता का हाथ भी बंटाते थे. इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. किसी तरह उन्होंने इंटर पास किया, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए आर्थिक समस्या खड़ी हो गई. वो अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे. उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे थे.

मजदूरी कर पैसे जुटाए: उन दिनों श्रीनगर में एक सुलभ शौचालय का निर्माण चल रहा था. ठेकेदार से मिन्नत के बाद वो वहां मजदूरी करने लगे. मजदूरी के तौर पर उन्हें 25 रुपये रोज मिलते थे. संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सुमन बताते हैं कि,

करीब एक माह तक एक चादर और बोरे के सहारे मंदिर के बरामदे में रातें बिताई. इस दौरान मजदूरी से मिले पैसों से कुछ भी खा लेते थे.
- विनोद कुमार सुमन, आईएएस अधिकारी -

श्रीनगर गढ़वाल से है गहरा नाता: पढ़ाई का जुनून ऐसा था कि कुछ महीनों बाद उन्होंने श्रीनगर के विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने का निश्चय किया. उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल विवि में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया. उनकी गणित अच्छी थी, इसलिए उन्होंने रात में ट्यूशन पढ़ाने का निश्चय किया. पूरे दिन मजदूरी करते और रात को ट्यूशन पढ़ाते. वर्ष 1992 में फर्स्ट डिविजन से बीए करने के बाद सुमन ने पिता की सलाह पर इलाहाबाद लौटने का निश्चय किया और यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में एमए किया.

2007 कैडर के आईएएस अधिकारी: 1995 में उन्होंने लोक प्रशासन में डिप्लोमा किया और प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गये. इसी बीच उनका महालेखाकार ऑफिस में लेखाकार के पद पर चयन हो गया. उन्होंने तैयारी जारी रखी और 1997 में उनका पीसीएस में चयन हुआ और 1998 बैच मिला. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. राज्य गठन के बाद उन्होंने उत्तराखंड कैडर चुना और महत्वपूर्ण पदों पर सेवा देने के बाद उन्हें 2007 आईएएस कैडर मिला.

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देहरादून: आईएएस अधिकारी विनोद कुमार सुमन का केंद्र में संयुक्त सचिव के लिए चयन हुआ है. विनोद कुमार सुमन राज्य गठन के बाद पहले ऐसे आईएएस अधिकारी हैं (पीसीएस से आईएएस में प्रमोटेट) जिनका केंद्र सरकार के लिए नॉमिनेशन हुआ है.

कई पदों पर संभाल चुके जिम्मेदारी: साल 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन का केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव पद के लिए चयन हुआ है. आईएएस अधिकारी विनोद कुमार सुमन वर्तमान में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के साथ ही राज्य संपत्ति, सामान्य प्रशासन तथा प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. इससे पूर्व उन्होंने सचिव वित्त, प्रभारी सचिव शहरी विकास, सचिव सहकारिता, सचिव कृषि, सचिव पशुपालन के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं.

किसान परिवार में हुआ जन्म: विनोद कुमार सुमन राज्य गठन के बाद से अबतक शहरी विकास में सबसे लम्बे समय तक निदेशक रहे हैं. वो चमोली, अल्मोड़ा व नैनीताल में डीएम भी रह चुके हैं. उन्होंने राजधानी देहरादून में लंबे समय तक सिटी मजिस्ट्रेट व अपर जिलाधिकारी का पदभार संभाला था. इसके साथ ही सचिव एमडीडीए भी रहे. विनोद कुमार सुमन का जन्म उत्तर प्रदेश के भदोही के खांऊ गांव में एक बेहद गरीब किसान परिवार में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई.

पढ़ाई के लिए आर्थिक संकट: पांच भाई और दो बहनों में सबसे बड़े विनोद कुमार सुमन परिवार की जिम्मेदारी में पिता का हाथ भी बंटाते थे. इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. किसी तरह उन्होंने इंटर पास किया, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए आर्थिक समस्या खड़ी हो गई. वो अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे. उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे थे.

मजदूरी कर पैसे जुटाए: उन दिनों श्रीनगर में एक सुलभ शौचालय का निर्माण चल रहा था. ठेकेदार से मिन्नत के बाद वो वहां मजदूरी करने लगे. मजदूरी के तौर पर उन्हें 25 रुपये रोज मिलते थे. संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सुमन बताते हैं कि,

करीब एक माह तक एक चादर और बोरे के सहारे मंदिर के बरामदे में रातें बिताई. इस दौरान मजदूरी से मिले पैसों से कुछ भी खा लेते थे.
- विनोद कुमार सुमन, आईएएस अधिकारी -

श्रीनगर गढ़वाल से है गहरा नाता: पढ़ाई का जुनून ऐसा था कि कुछ महीनों बाद उन्होंने श्रीनगर के विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने का निश्चय किया. उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल विवि में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया. उनकी गणित अच्छी थी, इसलिए उन्होंने रात में ट्यूशन पढ़ाने का निश्चय किया. पूरे दिन मजदूरी करते और रात को ट्यूशन पढ़ाते. वर्ष 1992 में फर्स्ट डिविजन से बीए करने के बाद सुमन ने पिता की सलाह पर इलाहाबाद लौटने का निश्चय किया और यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में एमए किया.

2007 कैडर के आईएएस अधिकारी: 1995 में उन्होंने लोक प्रशासन में डिप्लोमा किया और प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गये. इसी बीच उनका महालेखाकार ऑफिस में लेखाकार के पद पर चयन हो गया. उन्होंने तैयारी जारी रखी और 1997 में उनका पीसीएस में चयन हुआ और 1998 बैच मिला. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. राज्य गठन के बाद उन्होंने उत्तराखंड कैडर चुना और महत्वपूर्ण पदों पर सेवा देने के बाद उन्हें 2007 आईएएस कैडर मिला.

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Last Updated : March 6, 2025 at 1:17 PM IST
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