देहरादून: उत्तराखंड में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आज भी ग्रामीण नदियों के ऊपर बने रोपवे ट्रॉलियों के जरिए आवाजाही करते हैं. लेकिन कई बार आम लोगों के लिए ये रोपवे ट्रॉली खतरा बन जाती हैं. दरअसल, प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. ऐसे में आपदा की वजह से सड़कों और पुलों को काफी नुकसान पहुंचता है. जिसके चलते ग्रामीणों की आवाजाही खत्म हो जाती है. ऐसे में ग्रामीणों की आवाजाही को बरकरार रखने के लिए टेंपरेरी रूप से रोपवे ट्रॉली बनाया जाता है. लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश में मौजूद इन सभी रोपवे ट्रॉलियों को हटाकर सड़क मार्ग या पुलों का निर्माण किया जाएगा.
उत्तराखंड को ट्रॉली मुक्त करने को लेकर पहली बार लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव भी तैयार किया है. ज्यादा जानकारी देते हुए पीडब्ल्यूडी सचिव पंकज कुमार पांडे ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में कई बार पुल टूट जाते हैं या फिर बारिश के दौरान लोगों की आवाजाही ठप हो जाती है. जिसके चलते पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से टेंपरेरी ट्रॉली का निर्माण किया जाता है. ताकि बरसात के दौरान ग्रामीण आ जा सके. लेकिन वर्तमान समय में तमाम जगहों पर सालों से ट्रॉली चल रही है. जिस वजह से स्थानीय लोगों और छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसके चलते पिछले साल लोक निर्माण विभाग की ओर से यह प्रयास किया गया था कि प्रदेश में मौजूद सभी ट्रॉली को हटाकर लोगों की आवाजाही के लिए पुल या फिर पैदल सड़क मार्ग बनाया जाएगा.
साथ ही बताया कि प्रदेश भर में मौजूद 30 ट्रॉलियों को चिन्हित किया गया है जो अभी भी संचालित हो रही हैं. ये ट्रॉली मुख्य रूप से पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली जिले में हैं. ऐसे में 29 ट्रॉलियों को हटाकर उसकी जगह पर सड़क मार्ग या पुल बनाए जाने को मंजूरी दे दी गई है. लिहाजा, जल्द ही उन जगहों पर पुल का निर्माण किया जाएगा. ताकि स्थानीय लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े. साथ ही बताया कि अगले 2 से 3 सालों के भीतर प्रदेश को ट्रॉली मुक्त कर दिया जाएगा. ट्रॉली मुक्त होने के बाद प्रदेश के दुरस्त क्षेत्रों में रह रहे लोगों को काफी सहूलियत होगी.
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