तो क्या अब 10 और 15 जुलाई को नहीं होंगे पंचायत चुनाव? हाईकोर्ट से धामी सरकार को झटका
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए की प्रक्रिया तेज थी. लेकिन हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है.

By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : June 23, 2025 at 11:56 AM IST
|Updated : June 23, 2025 at 12:12 PM IST
देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान अब 10 जुलाई को नहीं होगा. जिस पर हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर रोक लगा दी है.
पंचायत चुनाव को लेकर सियासत थी तेज: गौर हो कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज थी. लेकिन ऐन वक्त में हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है. जिसे धामी सरकार को बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. धामी सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पूर्व में तैयारियां पूरी कर ली गई थी.
10 व 15 जुलाई को होना था मतदान: जबकि 21 जून को अधिसूचना जारी होने के बाद पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी गई थी.त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो चरणों में होना था. पहले चरण के लिए मतदान 10 व 15 जुलाई को होना था, जबकि मतगणना 19 हो होनी थी. लेकिन हाईकोर्ट की रोक के बाद अब 10 व 15 जुलाई को मतदान नहीं होगा.
सरकार की ओर से प्रक्रिया थी तेज: वहीं पंचायत चुनाव के लिए हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. प्रदेश के 12 जिलों में ग्राम पंचायत प्रधान के 7817 पदों में से अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 226 पद, एससी के 1467 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 1250 पद आरक्षित किए गए थे. जबकि पंचायती राज व्यवस्था के तहत बाकी बचे हुए पदों को अनारक्षित किया गया है. ग्राम पंचायत प्रधान के कुल 7817 पदों में से 50 फीसदी से अधिक पद रिजर्व किए गए थे.
हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर लगाई रोक: प्रदेश के 12 जिलों में 89 ब्लाक पंचायत प्रमुखों का चुनाव होना था. जिसमें एसटी के लिए तीन, एससी के लिए 18 और ओबीसी के लिए 15 पद आरक्षित किए गए थे. इसी तरह, प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के 12 पदों पर चुनाव होने थे. वहीं 13 जिला पंचायतों में एसटी के लिए 0 पद, एससी के लिए 2 सीट, ओबीसी के लिए दो पद और 9 सीटों को अनारक्षित किया गया था. वहीं जिला पंचायत पदों में भी 50 फीसदी से अधिक सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई थी. बीते दिनों पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने इसकी जानकारी साझा की थी.
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