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12 साल बाद भक्तों के बीच पहुंचेंगी मां नंदा! आशीष देकर हिमालय होंगी रवाना, जानें रोचक कथा - NANDA RAJ JAT YATRA

साल 2026 में विश्व की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा होने जा रही है. इस यात्रा में लोग भक्ति के रंग में रंगे नजर आएंगे.

Maa Nanda Raj Jat Yatra
मां नंदा राजजात यात्रा (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 12, 2025 at 8:27 AM IST

Updated : April 12, 2025 at 8:58 AM IST

3 Min Read

देहरादून: हिमालय का महाकुंभ कहे जाने वाले मां नंदा राजजात यात्रा 12 साल में आयोजित होगी. भाद्रपद माह की नंदाष्टमी से शुरू इस यात्रा में भक्ति के कई रंग देखने को मिलेंगे. इस पवित्र यात्रा के हजारों श्रद्धालु साक्षी बनेंगे. ये यात्रा कई गांवों से होकर अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचेगी. यात्रा में मां भगवती नंदा लोगों को आशीष देकर हिमालय के लिए रवाना होंगी. यह यात्रा हर 12 साल में आयोजित होती है और भाद्रपद माह की नंदाष्टमी से शुरू होती है. मां नंदा देवी कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. जिन पर लोगों की अगाध श्रद्धा है. वहीं सीएम धामी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से मां नंदा देवी का एक वीडियो भी शेयर किया है.

सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा: उत्तराखंड में मां नंदा राजजात यात्रा की तैयारी शुरू हो गई हैं. 2026 में प्रस्तावित इस यात्रा को लेकर लोगों को खासा उत्साह है. ऐतिहासिक मां नंदा राजजात यात्रा को नई ऊंचाई देने के लिए शासन प्रशासन भी जुटा हुआ है. यात्रा भाद्रपक्ष माह की नंदाष्टमी से शुरू होगी.साल 2014 में मां नंदा राजजात यात्रा हुई थी. जिसके बाद ये यात्रा 12 साल बाद 2026 में होनी है. ये यात्रा उत्तराखंड में मां नंदा की पवित्र धार्मिक यात्रा है.यात्रा सीमांत जनपद चमोली के कर्णप्रयाग के नौटी गांव से आरंभ होती है. जिसके बाद मां नंदा की इस यात्रा का समापन रूपकुंड से आगे होमकुंड में होता है. मां नंदा राजजात यात्रा की दूरी करीब 280 किमी है.

नंदा राजजात यात्रा पौराणिक कथा: पुराणों के अनुसार मां नंदा राजजात यात्रा महाभारतकालीन है. भगवान विष्णु की बहन नंदा देवी का विवाह शाहसुर नामक राक्षस राजा से हुआ था. जो क्रूर और अत्याचारी शासक था और आए दिन लोग उसके अत्याचारों से परेशान रहते थे. मां नंदा लोगों की इस पीड़ा को देखकर परेशान रहने लगी और लोगों की पीड़ा को सहन नहीं कर पाईं. जिसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी.

भगवान विष्णु से मांगी थी मदद: भगवान विष्णु ने नंदा देवी के आग्रह पर ऋषि का वेश धारण किया. ऋषि वेश में भगवान विष्णु ने शाहसुर को युद्ध के लिए ललकारा और उसका वध किया. मां नंदा देवी ने अपनी प्रजा के लिए हिमालय में रहना शुरू कर दिया. लोगों ने मां मां नंदा के प्रति उनकी सुरक्षा के लिए आभार व्यक्त करने के लिए नंदा राजजात यात्रा निकालनी शुरू की. अतीत से ये परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

पढ़ें: मां नंदा सुनंदा महोत्सव में झोड़ा-चांचरी ने जमाया रंग, महिलाओं ने दी शानदार प्रस्तुति

पढ़ें-लाटू देवता मंदिर के कपाट खुले, आंखों पर पट्टी बांधकर पुजारी करते हैं पूजा

देहरादून: हिमालय का महाकुंभ कहे जाने वाले मां नंदा राजजात यात्रा 12 साल में आयोजित होगी. भाद्रपद माह की नंदाष्टमी से शुरू इस यात्रा में भक्ति के कई रंग देखने को मिलेंगे. इस पवित्र यात्रा के हजारों श्रद्धालु साक्षी बनेंगे. ये यात्रा कई गांवों से होकर अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचेगी. यात्रा में मां भगवती नंदा लोगों को आशीष देकर हिमालय के लिए रवाना होंगी. यह यात्रा हर 12 साल में आयोजित होती है और भाद्रपद माह की नंदाष्टमी से शुरू होती है. मां नंदा देवी कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है. जिन पर लोगों की अगाध श्रद्धा है. वहीं सीएम धामी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से मां नंदा देवी का एक वीडियो भी शेयर किया है.

सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा: उत्तराखंड में मां नंदा राजजात यात्रा की तैयारी शुरू हो गई हैं. 2026 में प्रस्तावित इस यात्रा को लेकर लोगों को खासा उत्साह है. ऐतिहासिक मां नंदा राजजात यात्रा को नई ऊंचाई देने के लिए शासन प्रशासन भी जुटा हुआ है. यात्रा भाद्रपक्ष माह की नंदाष्टमी से शुरू होगी.साल 2014 में मां नंदा राजजात यात्रा हुई थी. जिसके बाद ये यात्रा 12 साल बाद 2026 में होनी है. ये यात्रा उत्तराखंड में मां नंदा की पवित्र धार्मिक यात्रा है.यात्रा सीमांत जनपद चमोली के कर्णप्रयाग के नौटी गांव से आरंभ होती है. जिसके बाद मां नंदा की इस यात्रा का समापन रूपकुंड से आगे होमकुंड में होता है. मां नंदा राजजात यात्रा की दूरी करीब 280 किमी है.

नंदा राजजात यात्रा पौराणिक कथा: पुराणों के अनुसार मां नंदा राजजात यात्रा महाभारतकालीन है. भगवान विष्णु की बहन नंदा देवी का विवाह शाहसुर नामक राक्षस राजा से हुआ था. जो क्रूर और अत्याचारी शासक था और आए दिन लोग उसके अत्याचारों से परेशान रहते थे. मां नंदा लोगों की इस पीड़ा को देखकर परेशान रहने लगी और लोगों की पीड़ा को सहन नहीं कर पाईं. जिसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी.

भगवान विष्णु से मांगी थी मदद: भगवान विष्णु ने नंदा देवी के आग्रह पर ऋषि का वेश धारण किया. ऋषि वेश में भगवान विष्णु ने शाहसुर को युद्ध के लिए ललकारा और उसका वध किया. मां नंदा देवी ने अपनी प्रजा के लिए हिमालय में रहना शुरू कर दिया. लोगों ने मां मां नंदा के प्रति उनकी सुरक्षा के लिए आभार व्यक्त करने के लिए नंदा राजजात यात्रा निकालनी शुरू की. अतीत से ये परंपरा आज भी निभाई जा रही है.

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Last Updated : April 12, 2025 at 8:58 AM IST
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