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बागेश्वर खड़िया खनन से दरार मामले में आयकर विभाग ने पेश की रिपोर्ट, खनन कारियों ने कोर्ट में दी ये दलील - BAGESHWAR CHALK MINING CASE

बागेश्वर के कांडा समेत अन्य गांवों में खड़िया खनन से आई दरारें, केंद्रीय भूजल व जीएसटी विभाग से मांगी रिपोर्ट, आयकर विभाग दे चुका रिपोर्ट.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 15, 2025 at 8:42 PM IST

2 Min Read

नैनीताल: बागेश्वर जिले के कांडा समेत तहसील के कई अन्य गांवों अवैध खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कई जनहित याचिकाओं और खनन इकाइयों के मामले पर एक साथ सुनवाई की. याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने केंद्रीय भूजल व जीएसटी विभाग से सोमवार तक अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई सोमवार को भी जारी रखी है.

आयकर विभाग ने सील बंद लिफाफे में पेश किया रिपोर्ट: आज मामले की सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने एक माइनिंग का रिकॉर्ड सील बंद लिफाफे में बंद कर कोर्ट में पेश किया. जिस पर अब सुनवाई होनी है. कोर्ट ने खनन पर लगी रोक जारी रखी है. आरोप है कि खनन कारियों ने जीएसटी और अपनी आय को भी छुपाया है. लिहाजा, इसकी रिपोर्ट को भी तलब की जाए.

खनन कारियों ने बैंक के लोन के बोझ में दबने की दी दलील: वहीं, खनन कारियों की तरफ से कहा गया कि उनके खनन के पट्टों की लीज समाप्त हो रही है. ऐसे में खनन पर लगी रोक को हटाया जाए. जो सोप स्टोन सील किया है, उसे भी रिलीज किया जाए. उनके ऊपर बैंकों का लोन है. रोजाना लोन के बोझ से दबते जा रहे हैं. आए दिन उन्हें बैंकों के नोटिस आ रहे हैं, इसलिए लगी रोक को हटाया जाए.

दरअसल, पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेती बाड़ी, घर, पानी की लाइनें ध्वस्त हो चुकी है. जो लोग अमीर या आर्थिक रूप से संपन्न थे, उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी या अन्य जगहों पर बना दिया है. अब गावों में केवल गरीब लोग ही बचे हुए हैं.

इन लोगों के जो आय के साधन थे, उन पर अब खड़िया खनन करने वालों की नजर टिकी हुई है. इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए, लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नहीं निकला. इसलिए अब हम न्यायालय की शरण में आए हैं. उनकी समस्या का समाधान किया जाए.

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आयकर विभाग ने सील बंद लिफाफे में पेश किया रिपोर्ट: आज मामले की सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने एक माइनिंग का रिकॉर्ड सील बंद लिफाफे में बंद कर कोर्ट में पेश किया. जिस पर अब सुनवाई होनी है. कोर्ट ने खनन पर लगी रोक जारी रखी है. आरोप है कि खनन कारियों ने जीएसटी और अपनी आय को भी छुपाया है. लिहाजा, इसकी रिपोर्ट को भी तलब की जाए.

खनन कारियों ने बैंक के लोन के बोझ में दबने की दी दलील: वहीं, खनन कारियों की तरफ से कहा गया कि उनके खनन के पट्टों की लीज समाप्त हो रही है. ऐसे में खनन पर लगी रोक को हटाया जाए. जो सोप स्टोन सील किया है, उसे भी रिलीज किया जाए. उनके ऊपर बैंकों का लोन है. रोजाना लोन के बोझ से दबते जा रहे हैं. आए दिन उन्हें बैंकों के नोटिस आ रहे हैं, इसलिए लगी रोक को हटाया जाए.

दरअसल, पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेती बाड़ी, घर, पानी की लाइनें ध्वस्त हो चुकी है. जो लोग अमीर या आर्थिक रूप से संपन्न थे, उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी या अन्य जगहों पर बना दिया है. अब गावों में केवल गरीब लोग ही बचे हुए हैं.

इन लोगों के जो आय के साधन थे, उन पर अब खड़िया खनन करने वालों की नजर टिकी हुई है. इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए, लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नहीं निकला. इसलिए अब हम न्यायालय की शरण में आए हैं. उनकी समस्या का समाधान किया जाए.

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