नैनीताल: दहेज हत्या के मामले में जिस आरोपी को निचली अदालत ने दोषी मानते हुए दस साल की सजा सुनाई थी, नैनीताल हाईकोर्ट ने व्यक्ति को सबूतों के अभाव में बरी कर दोष मुक्त करार दिया. ये फैसला उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ती पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुनाया.
मामले के अनुसार अल्मोड़ा जिले के ग्राम बिबड़ी तहसील भनोली निवासी रमेश चंद्र की शादी मुन्नी देवी के साथ वर्ष 2000 में हुई थी. शादी के एक साल के भीतर मुन्नी देवी की अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी. मुन्नी देवी के मायके वालों का मानना था कि रमेश चंद्र ने उनकी बेटी की दहेज के लिए हत्या की है.
मायके वालों का आरोप था कि जब उनकी बेटी घर आती थी तो वो बताती थी कि ससुराल वाले शादी में कम दहेज देने के ताने उसे बार बार देते रहते हैं. अब उसका पति उससे एक लाख 25 हजार नगद व 4 तोला सोना मायके वालों से लाने की मांग कर रहा है.
वहीं रमेश चंद्र का कहना है कि उसे दहेज मांगने के चक्कर मे गलत फंसाया गया है. उसने व उसके परिजनों ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की. उसकी पत्नी मुन्नी देवी शादी के बाद से ही परेशान थी. मुन्नी देवी को मिर्गी रोग से भी पीड़ित थी. आये दिन उसे मिर्गी के दौरे पड़ते रहते थे. इससे परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली थी. उसके परिजनों ने यह रोग शादी तय होने के वक्त उनसे छुपाया था.
रमेश चंद्र का कहना है कि अब उसे व उसके परिवार के सदस्यों को दहेज कब मुकदमे मव झूठा फंसाया गया. जब यह मुकदमा निचली अदालत में चल रहा था तो मिर्गी रोग के बारे में कोई सुनवाई नहीं हुई. बयान के दौरान न इसके बारे में अभियोजन पक्ष की तरफ से यह प्रश्न पूछा गया. उत्तराखंड हाईकोर्ट में मामले की गंभीरता से सुनवाई हुई, जिसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए उसे बरी करने के आदेश दिए. साथ मे कोर्ट ने उसे दहेज मांगने व हत्या के आरोप से बरी कर दिया.
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