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बागेश्वर खड़िया खनन से दरार मामले में हाईकोर्ट सख्त, दोबारा से जांच करने के दिए आदेश - BAGESHWAR CHALK MINING

बागेश्वर में खड़िया खनन बना मुसीबत, घरों में आई दरारें, जमीन हुई प्रभावित, हाईकोर्ट में हो रही सुनवाई, अब दोबारा से जांच के दिए आदेश

Uttarakhand High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फाइल फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : March 10, 2025 at 8:09 PM IST

3 Min Read

नैनीताल: बागेश्वर जिले में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने जनहित में नियुक्त न्यायमित्र दुष्यंत मैनाली, नियुक्त कोर्ट कमिश्नर समेत खनन अधिकारियों से फिर से खदानों का मौका मुआयना करने को कहा है. साथ ही उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

मामले को अति गंभीर मानते हुए कोर्ट ने इस मामले की दोबारा से जांच करने के आदेश सभी एजेंसियों को दिए हैं. पूर्व में भी कोर्ट ने ग्रामीणों की शिकायत पर दो न्यायमित्र नियुक्त कर मामले की जांच कराई थी, लेकिन कोर्ट उससे संतुष्ट न होकर सभी एजेंसियों से अपने-अपने माध्यम से जांच करने के बाद रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई आने वाले मंगलवार को होगी.

बागेश्वर एसपी और जांच कमेटी अध्यक्ष ने दी ये दलील: मामले में आज संबंधित अधिकारी पूर्व के आदेश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. सुनवाई के दौरान उनकी ओर से वर्तमान समस्या से अवगत कराया गया. बागेश्वर एसपी की तरफ से कहा गया कि खदानों की जांच हाईकोर्ट से जारी दिशा-निर्देशों पर की जा रही है. वहीं, जांच कमेटी के अध्यक्ष ने सुविधाएं न मिलने का ब्यौरा देकर कहा कि इसकी वजह से अभी तक खदानों का जांच पूरी न हो सकी.

न्यायमित्र ने कोर्ट में रखी ये बात: न्यायमित्र की तरफ से कहा गया कि यह मामला अति गंभीर है. अवैध रूप से हुए खनन के कारण कई गांव में दरारें आ गई है. इतना ही नहीं एक हजार साल पुराना कालिका मंदिर पर भी दरारें आ गई है. सॉफ्ट स्टोन खनन करने के कारण पूरा जिला आपदा की जद में आ गया है.

खड़िया खनन से खतरे में जमीनें आदि: पूर्व में बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी कृषि भूमि, जल स्रोत, पौराणिक मंदिर समेत भूमि में दरारें आ चुकी है. लिहाजा, इस अवैध खनन पर रोक लगाई जाए. पहले खड़िया खनन से क्षेत्र वासियों को रोजगार मिलता था.

ज्योतिर्मठ की तरह हालात होने का सता रहा डर: ग्रामीणों का आरोप है कि अब ज्यादा कमाने की लालच में खदान मालिक मशीनों से खुदान कर रहे हैं. जिसकी वजह से घरों, मंदिरों, पहाड़ियों, स्कूलों में बड़ी-बड़ी दरारें आने लगी हैं. इसलिए मशीनों और अवैध खनन पर रोक लगाई जाए. अगर रोक नहीं लगी तो बागेश्वर जिले के हालात जोशीमठ अब ज्योतिर्मठ की तरह होंगे.

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मामले को अति गंभीर मानते हुए कोर्ट ने इस मामले की दोबारा से जांच करने के आदेश सभी एजेंसियों को दिए हैं. पूर्व में भी कोर्ट ने ग्रामीणों की शिकायत पर दो न्यायमित्र नियुक्त कर मामले की जांच कराई थी, लेकिन कोर्ट उससे संतुष्ट न होकर सभी एजेंसियों से अपने-अपने माध्यम से जांच करने के बाद रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई आने वाले मंगलवार को होगी.

बागेश्वर एसपी और जांच कमेटी अध्यक्ष ने दी ये दलील: मामले में आज संबंधित अधिकारी पूर्व के आदेश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. सुनवाई के दौरान उनकी ओर से वर्तमान समस्या से अवगत कराया गया. बागेश्वर एसपी की तरफ से कहा गया कि खदानों की जांच हाईकोर्ट से जारी दिशा-निर्देशों पर की जा रही है. वहीं, जांच कमेटी के अध्यक्ष ने सुविधाएं न मिलने का ब्यौरा देकर कहा कि इसकी वजह से अभी तक खदानों का जांच पूरी न हो सकी.

न्यायमित्र ने कोर्ट में रखी ये बात: न्यायमित्र की तरफ से कहा गया कि यह मामला अति गंभीर है. अवैध रूप से हुए खनन के कारण कई गांव में दरारें आ गई है. इतना ही नहीं एक हजार साल पुराना कालिका मंदिर पर भी दरारें आ गई है. सॉफ्ट स्टोन खनन करने के कारण पूरा जिला आपदा की जद में आ गया है.

खड़िया खनन से खतरे में जमीनें आदि: पूर्व में बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी कृषि भूमि, जल स्रोत, पौराणिक मंदिर समेत भूमि में दरारें आ चुकी है. लिहाजा, इस अवैध खनन पर रोक लगाई जाए. पहले खड़िया खनन से क्षेत्र वासियों को रोजगार मिलता था.

ज्योतिर्मठ की तरह हालात होने का सता रहा डर: ग्रामीणों का आरोप है कि अब ज्यादा कमाने की लालच में खदान मालिक मशीनों से खुदान कर रहे हैं. जिसकी वजह से घरों, मंदिरों, पहाड़ियों, स्कूलों में बड़ी-बड़ी दरारें आने लगी हैं. इसलिए मशीनों और अवैध खनन पर रोक लगाई जाए. अगर रोक नहीं लगी तो बागेश्वर जिले के हालात जोशीमठ अब ज्योतिर्मठ की तरह होंगे.

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