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उत्तराखंड में अन्नदाताओं को सरकार की सौगात, मोटा अनाज उत्पादन में 80 फीसदी सब्सिडी, क्लिक कर जानें योजना - UTTARAKHAND MILLET POLICY

उत्तराखंड सरकार किसानों को मिलेट पॉलिसी के तहत मोटा अनाज उत्पादन में 80 फीसदी की सब्सिडी दे रही है.

Uttarakhand Millet Policy
उत्तराखंड में अन्नदाताओं को सरकार की सौगात (PHOTO-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : June 4, 2025 at 4:15 PM IST

Updated : June 4, 2025 at 4:33 PM IST

3 Min Read

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के काश्तकारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार मिलेट पॉलिसी के तहत मोटा अनाज को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए किसानों को मोटे अनाज उत्पादन के बीज और उर्वरक में 80 फीसदी अनुदान दे रही है. वहीं इसकी बुवाई को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को 4000 रुपये से 1500 प्रति हेक्टेयर धनराशि भी दे रही है जिससे कि किसान अधिक से अधिक मोटा अनाज उत्पादन कर सके.

संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल पीके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में उत्तराखंड राज्य मिलेट पॉलिसी लाई गई है. जिसके तहत पर्वतीय जनपदों के किसानों को अधिक से अधिक मोटे अनाज उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जहां किसानों को 80 फीसदी तक का अनुदान दिया जा रहा है. यही नहीं, किसानों को बुवाई के लिए प्रथम वर्ष 4 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, दूसरे वर्ष 3 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर और तीसरे वर्ष 1500 रुपए प्रति हेक्टेयर की धनराशि अतिरिक्त दी जाएगी. इसके अलावा बीज और उर्वरक, जैव कीटनाशक, जिंक के लिए 80 फीसदी की अनुदान राशि दी जा रही है.

उत्तराखंड में अन्नदाताओं को सरकार की सौगात (ETV Bharat)

प्रोत्साहन राशि और दुलान भाड़ा: इतना ही नहीं, किसानों के तैयार मोटे अनाज के लिए मार्केटिंग की भी व्यवस्था की गई है. जहां किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य के आधार पर उनका उत्पादन भी खरीदेगी. यही नहीं, किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 300 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ 75 रुपए प्रति क्विंटल उत्पादन का ढुलान भाड़ा भी देगी.

इन अनाज का हो रहा उत्पादन: योजना के तहत काश्तकार मंडुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी, चीना आदि मोटे अनाज की खेती कर सकेगा. सरकार की मंशा है कि उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के मोटे अनाज की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो सके. इसके साथ ही राज्य में मोटे अनाज का घटता क्षेत्रफल रुके.

2 चरणों में होगा काम: राज्य में मोटे अनाज की नीति के तहत दो चरणों में काम होगा. पहले चरण में वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक चयनित विकासखंड के किसान लाभ ले सकेंगे. उन्होंने बताया कि योजना के तहत कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के 6 विकासखंड और बागेश्वर जनपद का एक विकासखंड को चयनित किया गया है. प्रत्येक विकासखंडों में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर एवं दूसरे चरण में वर्ष 2028-29 से 2030-31 तक प्रत्येक विकासखंड में 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाज की खेती की जाएगी.

योजना के तहत मोटे अनाज की नीति के तहत ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए दो किसानों और समूहों को 10 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा.

योजना के लाभ लेने के लिए काश्तकार अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. किसान भास्कर भट्ट ने बताया कि सरकार की योजना पहाड़ों के किसानों के लिए वरदान साबित होगी. इस योजना के तहत जहां किसान अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं तो वहीं पहाड़ों से हो रहे पलायन भी रुकेगा.

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संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल पीके सिंह ने बताया कि उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में उत्तराखंड राज्य मिलेट पॉलिसी लाई गई है. जिसके तहत पर्वतीय जनपदों के किसानों को अधिक से अधिक मोटे अनाज उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जहां किसानों को 80 फीसदी तक का अनुदान दिया जा रहा है. यही नहीं, किसानों को बुवाई के लिए प्रथम वर्ष 4 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, दूसरे वर्ष 3 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर और तीसरे वर्ष 1500 रुपए प्रति हेक्टेयर की धनराशि अतिरिक्त दी जाएगी. इसके अलावा बीज और उर्वरक, जैव कीटनाशक, जिंक के लिए 80 फीसदी की अनुदान राशि दी जा रही है.

उत्तराखंड में अन्नदाताओं को सरकार की सौगात (ETV Bharat)

प्रोत्साहन राशि और दुलान भाड़ा: इतना ही नहीं, किसानों के तैयार मोटे अनाज के लिए मार्केटिंग की भी व्यवस्था की गई है. जहां किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य के आधार पर उनका उत्पादन भी खरीदेगी. यही नहीं, किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 300 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ 75 रुपए प्रति क्विंटल उत्पादन का ढुलान भाड़ा भी देगी.

इन अनाज का हो रहा उत्पादन: योजना के तहत काश्तकार मंडुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी, चीना आदि मोटे अनाज की खेती कर सकेगा. सरकार की मंशा है कि उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के मोटे अनाज की पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो सके. इसके साथ ही राज्य में मोटे अनाज का घटता क्षेत्रफल रुके.

2 चरणों में होगा काम: राज्य में मोटे अनाज की नीति के तहत दो चरणों में काम होगा. पहले चरण में वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक चयनित विकासखंड के किसान लाभ ले सकेंगे. उन्होंने बताया कि योजना के तहत कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के 6 विकासखंड और बागेश्वर जनपद का एक विकासखंड को चयनित किया गया है. प्रत्येक विकासखंडों में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर एवं दूसरे चरण में वर्ष 2028-29 से 2030-31 तक प्रत्येक विकासखंड में 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाज की खेती की जाएगी.

योजना के तहत मोटे अनाज की नीति के तहत ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए दो किसानों और समूहों को 10 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा.

योजना के लाभ लेने के लिए काश्तकार अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. किसान भास्कर भट्ट ने बताया कि सरकार की योजना पहाड़ों के किसानों के लिए वरदान साबित होगी. इस योजना के तहत जहां किसान अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं तो वहीं पहाड़ों से हो रहे पलायन भी रुकेगा.

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Last Updated : June 4, 2025 at 4:33 PM IST
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