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बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से वसूला जाएगा ग्रीन सेस, सरकार ने की 28 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी - GREEN CESS

उत्तराखंड सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस वसूलने का फैसला किया.

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बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से वसूला जाएगा ग्रीन सेस (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 17, 2025 at 12:05 AM IST

3 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड में हर साल करोड़ों की संख्या में धार्मिक और साहसिक सैलानी के रूप में पर्यटक आते हैं. अकेले चारधाम यात्रा पर हर साल 5 से 6 लाख वाहन आते हैं. ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से ग्रीनसेस वसूलने का निर्णय लिया है. ताकि अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से प्रदेश में होने वाले प्रदूषण के एवज में कुछ चार्ज लिया जा सके. हालांकि, अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से ग्रीनसेस के लिए साल 2017 में दरें तय की गई थी. जो वर्तमान महंगाई दर से काफी कम है. जिसके चलते राज्य सरकार ने साल 2017 में तय किए गए सेस में 28 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है.

उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम एवं नियमावली, 2003 के तहत राज्य मेंप्रवेश उपकर और ग्रीन सेस की दर को शामिल करते हुए वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की गई थी. ये दरें, उत्तराखंड में पंजीकृत वाहनों के साथ ही राज्य में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के व्यवसायिक और निजी वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की गयी थी. हालांकि, प्रवेश उपकर की दरें साल 2017 में तय की गई थी. जिसके बाद इन दरों में कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई. साल 2017 से मुद्रा स्फीति (Monetary Inflation) में करीब 28-30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जिसके चलते सेस की दरों में वृद्धि की गई है. जिससे राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगी. राज्य में अन्य राज्यों के वाहनों द्वारा प्रवेश करने पर ग्रीन उपकर की वसूली फास्टैग के माध्यम से की जाएगी.

सरकार ने ग्रीन सेस में की बढ़ोतरी (Video-ETV Bharat)

उत्तराखंड राज्य में रजिस्टर्ड वाहनों से ग्रीन सेस पहले से ही लिया जा रहा है. लेकिन जो अन्य राज्यों के वाहन हैं, उनपर भी ग्रीन सेस लगा हुआ है. लेकिन परिवहन विभाग उसे वसूल नहीं पा रहा था. जिसके चलते परिवहन विभाग ने एक सिस्टम तैयार किया है. जिसके तहत प्रदेश के सभी सीमाओं पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरा लगाया जा चुका है और ऑटोमेटेड व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम (एवीजीसीसीएस) के लिए परिवहन विभाग ने सॉफ्टवेयर भी तैयार कर लिया है. लिहाजा, आने वाले समय में उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों की नंबर प्लेट को सॉफ्टवेयर रीड करेगा.

साथ ही वाहन की जानकारी के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) को रिक्वेस्ट भेज देगा. इस रिक्वेस्ट के बाद एनपीसीआई, संबंधित वाहन का फास्टैग वॉलेट चिह्नित कर उसके खाते से तय ग्रीन सेस की धनराशि को काट लेगा. हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया कुछ सेकंड के अंदर ही पूरी हो जाएगी. अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों के लिए तय किए गए संभावित ग्रीन सेस की दरों के अनुसार, तिपहिया वाहनों के लिए 20 रुपए, कार और छोटे वाहन के लिए 40 रुपए, मध्यम वाहन के लिए 60 रुपए और बड़े वाहनों के लिए 80 रुपए रखा है.

गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम एवं नियमावली, 2003 में ग्रीन सेस लेने की व्यवस्था है. जिसके चलते प्रवेश उपकर नाम से साल 2017 में सेस तय की गई थी. जिसके बाद इन दरों में कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई। ऐसे में इस प्रवेश उपकर के दरों में 28 से 30 फीसदी बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है.

ये भी पढ़ें: दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों से परिवहन विभाग वसूलेगा ग्रीनसेस, जानिए कैसे कटेंगे रुपए

देहरादून: उत्तराखंड में हर साल करोड़ों की संख्या में धार्मिक और साहसिक सैलानी के रूप में पर्यटक आते हैं. अकेले चारधाम यात्रा पर हर साल 5 से 6 लाख वाहन आते हैं. ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से ग्रीनसेस वसूलने का निर्णय लिया है. ताकि अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से प्रदेश में होने वाले प्रदूषण के एवज में कुछ चार्ज लिया जा सके. हालांकि, अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से ग्रीनसेस के लिए साल 2017 में दरें तय की गई थी. जो वर्तमान महंगाई दर से काफी कम है. जिसके चलते राज्य सरकार ने साल 2017 में तय किए गए सेस में 28 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है.

उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम एवं नियमावली, 2003 के तहत राज्य मेंप्रवेश उपकर और ग्रीन सेस की दर को शामिल करते हुए वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की गई थी. ये दरें, उत्तराखंड में पंजीकृत वाहनों के साथ ही राज्य में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के व्यवसायिक और निजी वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की गयी थी. हालांकि, प्रवेश उपकर की दरें साल 2017 में तय की गई थी. जिसके बाद इन दरों में कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई. साल 2017 से मुद्रा स्फीति (Monetary Inflation) में करीब 28-30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जिसके चलते सेस की दरों में वृद्धि की गई है. जिससे राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगी. राज्य में अन्य राज्यों के वाहनों द्वारा प्रवेश करने पर ग्रीन उपकर की वसूली फास्टैग के माध्यम से की जाएगी.

सरकार ने ग्रीन सेस में की बढ़ोतरी (Video-ETV Bharat)

उत्तराखंड राज्य में रजिस्टर्ड वाहनों से ग्रीन सेस पहले से ही लिया जा रहा है. लेकिन जो अन्य राज्यों के वाहन हैं, उनपर भी ग्रीन सेस लगा हुआ है. लेकिन परिवहन विभाग उसे वसूल नहीं पा रहा था. जिसके चलते परिवहन विभाग ने एक सिस्टम तैयार किया है. जिसके तहत प्रदेश के सभी सीमाओं पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरा लगाया जा चुका है और ऑटोमेटेड व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम (एवीजीसीसीएस) के लिए परिवहन विभाग ने सॉफ्टवेयर भी तैयार कर लिया है. लिहाजा, आने वाले समय में उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों की नंबर प्लेट को सॉफ्टवेयर रीड करेगा.

साथ ही वाहन की जानकारी के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) को रिक्वेस्ट भेज देगा. इस रिक्वेस्ट के बाद एनपीसीआई, संबंधित वाहन का फास्टैग वॉलेट चिह्नित कर उसके खाते से तय ग्रीन सेस की धनराशि को काट लेगा. हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया कुछ सेकंड के अंदर ही पूरी हो जाएगी. अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों के लिए तय किए गए संभावित ग्रीन सेस की दरों के अनुसार, तिपहिया वाहनों के लिए 20 रुपए, कार और छोटे वाहन के लिए 40 रुपए, मध्यम वाहन के लिए 60 रुपए और बड़े वाहनों के लिए 80 रुपए रखा है.

गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि उत्तराखंड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम एवं नियमावली, 2003 में ग्रीन सेस लेने की व्यवस्था है. जिसके चलते प्रवेश उपकर नाम से साल 2017 में सेस तय की गई थी. जिसके बाद इन दरों में कोई भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई। ऐसे में इस प्रवेश उपकर के दरों में 28 से 30 फीसदी बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है.

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