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फॉरेस्ट फायर के लिए तैयार होगा प्रेडिक्शन मॉडल, ये है वन महकमे का खास प्लान - UTTARAKHAND PREDICTION MODEL

वन विभाग में वनाग्नि के लिए तकनीक को प्राथमिकता दी जा रही है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल पर भी विचार चल रहा है.

Uttarakhand Forest Fire
वनाग्नि के लिए वन विभाग ने कसी कमर (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 15, 2025 at 1:20 PM IST

3 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में अब प्रेडिक्शन मॉडल को तैयार करने की तैयारी हो रही है. यह एक ऐसा मॉडल होगा जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर फॉरेस्ट फायर सीजन में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान देगा. इसके पीछे डाटाबेस सिस्टम को रखा जाएगा, ताकि लगाए जाने वाला पूर्वानुमान हकीकत के नजदीक हो.

प्रदेश में वन महकमे ने इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर तैयार किया है, जिसके जरिए विभाग के पास डाटा हिस्ट्री मौजूद है. पिछले 10 सालों में किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुई, ऐसी रेंज जहां हर साल वनाग्नि की घटनाएं या तो बढ़ रही है या फिर लगातार हो रही हैं. जिन जंगलों में आग लग रही है, वह किस कैटेगरी के वन क्षेत्र हैं, तमाम जरूरी जानकारी वन विभाग के पास मौजूद हैं. इसके अलावा भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में आंकड़ों के विभिन्न पैरामीटर बनाए गए हैं, जो वन विभाग की भविष्य की प्लानिंग को लेकर मदद कर सकते हैं.

फॉरेस्ट फायर रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा उपयोग (Video-ETV Bharat)

वन विभाग में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया है, जिसके जरिए विभाग को डाटा हिस्ट्री मिल रही है और कई तरह के आंकड़े विभाग के पास मौजूद हैं. विभाग के पास मौजूद डाटा हिस्ट्री के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर एक प्रेडिक्शन मॉडल तैयार किया जाएगा, ताकि संवेदनशील क्षेत्र में तैयारी को लेकर और बेहतर स्थिति बन सके. इसके जरिए वन विभाग अपनी तैयारी को संभावित वनाग्नि के क्षेत्र में फोकस कर पाएगा.
निशांत वर्मा, एपीसीसीएफ वनाग्नि

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के डाटा हिस्ट्री को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़कर प्रेडिक्शन मॉडल बनाने की कोशिश होने जा रही है. इसी आकलन लगाया जा सकता है कि जंगलों में आग लगने की घटनाएं हर साल बढ़ रही है या फिर इन घटनाओं में समय का कुछ खास अंतराल दिख रहा है. ऐसे ही तमाम आंकड़ों के आधार पर भविष्य में किस तरह वन विभाग को अपनी तैयारी को करना है या फिर किन क्षेत्रों पर अपनी तैयारी को फोकस रखना है, इस पर पूरा मॉडल तैयार होगा.

प्रेडिक्शन मॉडल बनने के बाद यदि यह सफल रहता है तो वन विभाग अपनी पूरी ताकत संवेदनशील क्षेत्रों पर केंद्रित कर सकता है. इससे न केवल भविष्य में जंगलों में लगने वाली आग को लेकर सही प्लानिंग की जा सकेगी, बल्कि वनकर्मियों का सही जगह पर उपयोग किया जा सकेगा. साथ ही ऐसे क्षेत्रों को ज्यादा इक्विप्ड करते हुए यहां फुलप्रूफ तैयारी हो सकेगी. हालांकि शुरुआत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से प्रेडिक्शन मॉडल पर अध्ययन भी करना होगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि दिए गए आंकड़े तैयारी को लेकर सही हैं.

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देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में अब प्रेडिक्शन मॉडल को तैयार करने की तैयारी हो रही है. यह एक ऐसा मॉडल होगा जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर फॉरेस्ट फायर सीजन में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान देगा. इसके पीछे डाटाबेस सिस्टम को रखा जाएगा, ताकि लगाए जाने वाला पूर्वानुमान हकीकत के नजदीक हो.

प्रदेश में वन महकमे ने इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर तैयार किया है, जिसके जरिए विभाग के पास डाटा हिस्ट्री मौजूद है. पिछले 10 सालों में किन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुई, ऐसी रेंज जहां हर साल वनाग्नि की घटनाएं या तो बढ़ रही है या फिर लगातार हो रही हैं. जिन जंगलों में आग लग रही है, वह किस कैटेगरी के वन क्षेत्र हैं, तमाम जरूरी जानकारी वन विभाग के पास मौजूद हैं. इसके अलावा भी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में आंकड़ों के विभिन्न पैरामीटर बनाए गए हैं, जो वन विभाग की भविष्य की प्लानिंग को लेकर मदद कर सकते हैं.

फॉरेस्ट फायर रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा उपयोग (Video-ETV Bharat)

वन विभाग में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया है, जिसके जरिए विभाग को डाटा हिस्ट्री मिल रही है और कई तरह के आंकड़े विभाग के पास मौजूद हैं. विभाग के पास मौजूद डाटा हिस्ट्री के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर एक प्रेडिक्शन मॉडल तैयार किया जाएगा, ताकि संवेदनशील क्षेत्र में तैयारी को लेकर और बेहतर स्थिति बन सके. इसके जरिए वन विभाग अपनी तैयारी को संभावित वनाग्नि के क्षेत्र में फोकस कर पाएगा.
निशांत वर्मा, एपीसीसीएफ वनाग्नि

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के डाटा हिस्ट्री को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़कर प्रेडिक्शन मॉडल बनाने की कोशिश होने जा रही है. इसी आकलन लगाया जा सकता है कि जंगलों में आग लगने की घटनाएं हर साल बढ़ रही है या फिर इन घटनाओं में समय का कुछ खास अंतराल दिख रहा है. ऐसे ही तमाम आंकड़ों के आधार पर भविष्य में किस तरह वन विभाग को अपनी तैयारी को करना है या फिर किन क्षेत्रों पर अपनी तैयारी को फोकस रखना है, इस पर पूरा मॉडल तैयार होगा.

प्रेडिक्शन मॉडल बनने के बाद यदि यह सफल रहता है तो वन विभाग अपनी पूरी ताकत संवेदनशील क्षेत्रों पर केंद्रित कर सकता है. इससे न केवल भविष्य में जंगलों में लगने वाली आग को लेकर सही प्लानिंग की जा सकेगी, बल्कि वनकर्मियों का सही जगह पर उपयोग किया जा सकेगा. साथ ही ऐसे क्षेत्रों को ज्यादा इक्विप्ड करते हुए यहां फुलप्रूफ तैयारी हो सकेगी. हालांकि शुरुआत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से प्रेडिक्शन मॉडल पर अध्ययन भी करना होगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि दिए गए आंकड़े तैयारी को लेकर सही हैं.

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