देहरादून: उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण को लेकर वित्त विभाग ने आदेश जारी किया है. इस आदेश के जारी होने के बाद अब प्रदेश में प्रतिनियुक्ति को लेकर सख्ती दिखाई देगी. ऐसे अधिकारियों को मूल तैनाती पर जाना होगा जो लंबे समय से प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण के नाम पर दूसरे विभागों में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति को लेकर वित्त विभाग की तरफ से जारी दिशा निर्देश अब कई अधिकारियों पर भारी पड़ेगा. दरअसल राज्य में ऐसे कई विभाग हैं जहां बड़ी संख्या में कर्मचारी और अधिकारी प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण पर काम कर रहे हैं. खास बात यह है कि यह अधिकारी कर्मचारी अपने मूल विभाग से सालों साल तक दूर रहकर दूसरे विभागों में काम करते हैं और इसकी वापसी के लिए कोई नियम फॉलो नहीं होते.
इन्हीं स्थितियों को देखते हुए वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य में प्रतिनियुक्ति, बाह्य सेवा और सेवा स्थानांतरण के कारण कई तरह की दिक्कत सामने आ रही है. ऐसे में अब कुछ ऐसे दिशा निर्देश हैं जिनका पालन उन सभी अधिकारी, कर्मचारी और विभागों को करना होगा. जहां ऐसे अधिकारी तैनाती लिए हुए हैं.
इसके तहत राज्य में आप 3 साल की सेवा पूरी करने के बाद 2 साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर सेवा विस्तार करने के लिए अब वित्त विभाग से भी अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा 5 साल का कूलिंग पीरियड भी अधिकारी या कर्मचारी को अपने मूल विभाग में बिताना होगा. इसके बाद ही दोबारा वह प्रतिनियुक्ति या दूसरी सेवा के लिए मूल विभाग से बाहर जा पाएगा.
हालांकि वित्त विभाग ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के लिए नियमों में कुछ शिथिलता रखी है. यानी 5 साल की अधिकतम अवधि का यह नियम इन पर लागू नहीं किया जाएगा.
प्रतिनियुक्ति पर मौजूद अधिकारी और कर्मचारियों को सेवा अवधि विस्तार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति से अनुमोदन लेना होगा. ऐसा करने के बाद ही संबंधित अधिकारी और कर्मचारी अपनी सेवा को प्रतिनियुक्ति के रूप में आगे जारी रख सकेगा.
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