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धामी सरकार की सख्ती, बिना लाइसेंस नहीं बिकेगा कुट्टू का आटा, सील पैक में ही होगी ब्रिकी - BUCKWHEAT FLOUR NOT BE SOLD

उत्तराखंड में अब बिना खुले में कुट्टू के आटे की बिक्री करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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बिना लाइसेंस नहीं बिकेगा कुट्टू का आटा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 2, 2025 at 7:42 PM IST

3 Min Read

देहरादून: कुट्टू के आटे के बने पकवान खाने से दो दिन पहले देहरादून और हरिद्वार में 300 से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे. इससे पहले भी कुट्टू के आटे के कारण लोगों के बीमार होने के कई मामले सामने आ चुके है. इसलिए सरकार ने अब कुछ सख्त कदम उठाए है. खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तराखंड ने साफ किया है कि अब जनरल स्टोर्स पर बिना लाइसेंस के कुट्टू का आटा नहीं बेचा जा सकेगा.

साथ ही खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अब से सील बंद यानी पैकेट वाले कुट्टू के आटे की ही बिक्री की जाएगी. खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने बताया कि सरकार के दिशा-निर्देशों पर राज्य में कुट्टू के आटे की बिक्री को लेकर नई गाईडलाइन जारी कर दी गई है.

विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार अब कोई भी कारोबारी खुले में कुट्टू का आटा नहीं बेच सकेगा. इसका विक्रय केवल सील बंद पैकेटों में ही किया जाएग. इसके अलावा पैकेट पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम- 2006 के अनुसार लेबलिंग नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा.

आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने कहा कि खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार कुट्टू के आटे की पिसाई की तिथि, पैकेजिंग की तिथि और एक्सपायरी डेट पैकेट पर स्पष्ट रूप से लिखना जरूरी होगा. इसके अलावा हर पैकेट पर विक्रेता की खाद्य लाइसेंस संख्या भी दर्ज करना अनिवार्य होगा. ऐसे में बिना वैध खाद्य लाइसेंस के कुट्टू का आटा और बीज नहीं बेचा जा सकेगा.

इसके साथ ही सभी खाद्य कारोबारियों को खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड लिखित रूप में रखना होगा. बिना अनुमति के खुले में कुट्टू के आटे की बिक्री करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि पिछले कुछ सालों में देहरादून और हरिद्वार समेत अन्य जिलों में मिलावटी कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करने से फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों से ग्रसित होने की घटनाएं लगातार सामने आती रही है. भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो, इसलिए सरकार ने पहले से ही सख्ती बरतने का फैसला किया है.

इस संबंध में एफडीए आयुक्त ने सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिए है कि नए नियमों का कड़ाई से पालन हो. इसके लिए नियमित जांच और निरीक्षण करते रहे. अगर कोई भी विक्रेता इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

Uttarakhand Dhami
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने दिए निर्देश. (ETV Bharat)

आयुक्त आर राजेश कुमार ने कहा कुट्टू के आटे की जांच में कई नमूने असुरक्षित पाए गए हैं. प्रदेश में चल रहे अभियान के तहत राज्य के तमाम जिलों में सघन निरीक्षण और सैंपल एकत्र किये जा रहे हैं, जिसमें 6 संस्थानों से लिए गए कुट्टू के आटे के नमूने असुरक्षित पाए गए.

रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में इन नमूनों की जांच की गई. कुट्टू के आटे में मायकोटॉक्सिन टॉक्सिक पाया गया है. ऐसे में इन मिलावटी और असुरक्षित नमूनों को लेकर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दायर करने के निर्देश दिए हैं.

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देहरादून: कुट्टू के आटे के बने पकवान खाने से दो दिन पहले देहरादून और हरिद्वार में 300 से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे. इससे पहले भी कुट्टू के आटे के कारण लोगों के बीमार होने के कई मामले सामने आ चुके है. इसलिए सरकार ने अब कुछ सख्त कदम उठाए है. खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन उत्तराखंड ने साफ किया है कि अब जनरल स्टोर्स पर बिना लाइसेंस के कुट्टू का आटा नहीं बेचा जा सकेगा.

साथ ही खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अब से सील बंद यानी पैकेट वाले कुट्टू के आटे की ही बिक्री की जाएगी. खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने बताया कि सरकार के दिशा-निर्देशों पर राज्य में कुट्टू के आटे की बिक्री को लेकर नई गाईडलाइन जारी कर दी गई है.

विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार अब कोई भी कारोबारी खुले में कुट्टू का आटा नहीं बेच सकेगा. इसका विक्रय केवल सील बंद पैकेटों में ही किया जाएग. इसके अलावा पैकेट पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम- 2006 के अनुसार लेबलिंग नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा.

आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने कहा कि खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार कुट्टू के आटे की पिसाई की तिथि, पैकेजिंग की तिथि और एक्सपायरी डेट पैकेट पर स्पष्ट रूप से लिखना जरूरी होगा. इसके अलावा हर पैकेट पर विक्रेता की खाद्य लाइसेंस संख्या भी दर्ज करना अनिवार्य होगा. ऐसे में बिना वैध खाद्य लाइसेंस के कुट्टू का आटा और बीज नहीं बेचा जा सकेगा.

इसके साथ ही सभी खाद्य कारोबारियों को खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड लिखित रूप में रखना होगा. बिना अनुमति के खुले में कुट्टू के आटे की बिक्री करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि पिछले कुछ सालों में देहरादून और हरिद्वार समेत अन्य जिलों में मिलावटी कुट्टू के आटे का इस्तेमाल करने से फूड पॉइजनिंग जैसी बीमारियों से ग्रसित होने की घटनाएं लगातार सामने आती रही है. भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो, इसलिए सरकार ने पहले से ही सख्ती बरतने का फैसला किया है.

इस संबंध में एफडीए आयुक्त ने सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिए है कि नए नियमों का कड़ाई से पालन हो. इसके लिए नियमित जांच और निरीक्षण करते रहे. अगर कोई भी विक्रेता इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त डॉक्टर आर राजेश कुमार ने दिए निर्देश. (ETV Bharat)

आयुक्त आर राजेश कुमार ने कहा कुट्टू के आटे की जांच में कई नमूने असुरक्षित पाए गए हैं. प्रदेश में चल रहे अभियान के तहत राज्य के तमाम जिलों में सघन निरीक्षण और सैंपल एकत्र किये जा रहे हैं, जिसमें 6 संस्थानों से लिए गए कुट्टू के आटे के नमूने असुरक्षित पाए गए.

रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में इन नमूनों की जांच की गई. कुट्टू के आटे में मायकोटॉक्सिन टॉक्सिक पाया गया है. ऐसे में इन मिलावटी और असुरक्षित नमूनों को लेकर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दायर करने के निर्देश दिए हैं.

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