रुद्रप्रयाग: धार्मिक दृष्टि से देवभूमि उत्तराखंड दिव्य और भव्य है. यहां पग-पग पर आपको मंदिरों के दर्शन होंगे. उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला भी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. यहां विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ है तो मदमहेश्वर मंदिर भी यहीं है. यहां तुंगनाथ मंदिर है तो ओंकारेश्वर मंदिर भी यहीं है. यहां कार्तिक स्वामी मंदिर है तो कालीमठ मंदिर भी यहीं है. यहां इंद्रासनी मनसा देवी मंदिर है तो भगवान शिव और माता पार्वती का पवित्र विवाह स्थल त्रियुगीनारायण भी है.
सीएम धामी ने पोस्ट किया त्रियुगीनारायण का वीडियो: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के पवित्र तीर्थ स्थलों और मंदिरों के बारे में अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर रोज वीडियो पोस्ट करते हैं. कल यानी मंगलवार को सीएम धामी ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित न्याय की देवी माता कोटगाड़ी भगवती मंदिर का वीडियो शेयर किया था. आज सीएम धामी ने उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के पवित्र विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर का वीडियो शेयर किया है.
जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित त्रियुगीनारायण मन्दिर धरती पर एक ऐसा स्थान जहां देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती विवाह के पवित्र बंधन में बंधे। मान्यता है कि यहां के पवित्र यज्ञ कुंड की अग्नि तीन युगों से प्रज्वलित है। अपने रुद्रप्रयाग आगमन पर इस दिव्य मंदिर के दर्शन अवश्य करें। pic.twitter.com/cbEN8sOVvL
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) March 5, 2025
मान्यता है कि त्रियुगीनारायण मंदिर परिसर के पवित्र यज्ञ कुंड की अग्नि तीन युगों से प्रज्वलित है. सीएम धामी ने त्रियुगीनारायण मंदिर का वीडियो शेयर करते हुए लिखा-
'जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित त्रियुगीनारायण मन्दिर धरती पर एक ऐसा स्थान जहां देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती विवाह के पवित्र बंधन में बंधे। मान्यता है कि यहां के पवित्र यज्ञ कुंड की अग्नि तीन युगों से प्रज्वलित है। अपने रुद्रप्रयाग आगमन पर इस दिव्य मंदिर के दर्शन अवश्य करें।'
रुद्रप्रयाग जिले में है त्रियुगीनारायण मंदिर: आइए अब हम आपको त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में बताते हैं. रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने अपने वेब पेज https://rudraprayag.gov.in/temples पर इस मंदिर के बारे में जो जानकारी दी है, उसके अनुसार-
भगवान विष्णु को समर्पित यह भव्य मंदिर, घुटूर को श्री केदारनाथ से जोड़ने वाले प्राचीन पुल पर स्थित त्रियुगीनारायण गाँव में स्थित है। यह केदारनाथ मंदिर की स्थापत्य शैली के समान है, जो इस गांव को एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बनाता है.
त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था शिव-पार्वती विवाह: एक किंवदंती के अनुसार, त्रियुगीनारायण पौराणिक हिमवत की राजधानी थी और यह वह स्थान है, जहां सतयुग के दौरान भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था. दिव्य विवाह के लिए अग्नि विशाल चार कोनों वाले हवन कुंड में जलाई गई थी. सभी ऋषि-मुनि इस विवाह में शामिल हुए थे. इस समारोह के के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु थे.
आज भी प्रज्वलित हो रही हवन कुंड की अग्नि: माना जाता है कि उस दिव्य अग्नि के अवशेष आज भी हवन कुंड में जल रहे हैं. तीर्थयात्री उस अग्नि में लकड़ियां चढ़ाते हैं, जिसने तीन युग देखे हैं, इसलिए इसका नाम त्रियुगीनारायण है. इस अग्नि की राख को वैवाहिक आनंद को बढ़ावा देने वाला माना जाता है. इन कुंडों में पानी सरस्वती कुंड से आता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान विष्णु की नाभि से निकला है. संतान प्राप्ति की चाह रखने वाली महिलाएं यहां स्नान करती हैं. उनका मानना है कि इससे बांझपन दूर होता है.
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