प्रयागराज: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2024 में पहली रैंक हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी काफी इंट्रेस्टिंग है. शुरुआती असफलताओं से निराश होने वाले प्रतियोगियों के लिए शक्ति दुबे की सफलता सीख देने वाली है. शक्ति, शुरुआती तीन प्रयासों में प्रारंभिक भरीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं. चौथे प्रयास में इंटरव्यू तक गईं, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद 5वें प्रयास में उन्होंने इतिहास रच दिया और टॉपर बनीं.
शक्ति ने कहा- पहली रैंक पर अपना नाम देखकर विश्वास नहीं हुआ: शक्ति दुबे ने ईटीवी भारत से टेलिफोनिक बातचीत में कहा कि यह उनका पांचवा प्रयास था. पहले तीन प्रयासों में मैं प्रारंभिक परीक्षा ही नहीं पास कर पाई थी. चौथे प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा क्लियर हुआ और मेंस भी क्वालीफाई किया. इसके बाद इंटरव्यू दिया, लेकिन जनरल की कट ऑफ रैंक में 12 अंक कम मिले. सिविल सेवा परीक्षा 2023 का रिजल्ट देखने के बाद मेरे मन में थोड़ी निराशा जरूर हुई, लेकिन निराशा से आगे बढ़कर मैंने अगले दिन से फिर पढ़ाई शुरू कर दी.
जब सिविल सेवा परीक्षा 2024 का रिजल्ट डाउनलोड किया तो पहली ही रैंक पर मुझे अपना नाम दिखाई दिया. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था, कि मैं टॉप कर सकती हूं. मैंने यह भी देखा कि क्या कोई और कैंडीडेट शक्ति दुबे के नाम से तो नहीं है? पूरी लिस्ट देख डाली कोई और नाम नहीं दिखा, तब जाकर विश्वास हुआ. घर वालों को फोन करके बताया कि आपकी बिटिया अफसर बन गई है. आईएएस टॉप किया है. यह सुनकर मेरी मां को विश्वास ही नहीं हो रहा था. जब लिस्ट में मेरा नाम अपनी आंख से देख लिया तब जाकर उनको विश्वास हुआ. हमारे पैरेंट्स की खुशी का ठिकाना नहीं है. घर में जश्न का माहौल है.
शक्ति ने बताया कि मैंने अपनी गलतियों से सीखा, उन्हें दोहराया नहीं. इसके बाद लगातार पढ़ाई पर फोकस रखा. सिलेक्टिव पढ़ा और लगातार पढ़ा. असफलता मिलने के बाद मेरे माता-पिता, मेरे भाई और बहन का बहुत सपोर्ट रहा है. उन्होंने हमेशा कहा कि तुम कर सकती हो. मेरे पास कोई फिक्स बुक्स लिस्ट नहीं थी. यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी. मैं मल्टीपल नंबर ऑफ रिसोर्सेज से पढ़ती थी. इससे सिलेबस बहुत ज्यादा हो जाता था और मैं भटक जाती थी. तैयारी के लिए लिमिटेड बुक रखनी चाहिए और उन्हें बार-बार पढ़ना चाहिए. उतनी ही बुक रखनी चाहिए जितना सिलेबस को कवर करने के लिए जरूरी है.
हार का मतलब यह नहीं कि जिंदगी खत्म हो गई: शक्ति ने उन अभ्यार्थियों के बारे में कहा जो मायूस हो जाते हैं. कहा कि असफलता के रास्ते से ही सफलता मिलती है. सिर्फ यूपीएससी में ही नहीं, हर फील्ड में जीत और हार होती है. हारने के बाद आत्महत्या जैसे कदम उठाना कायरता है. अपने पैरेंट्स पर भरोसा रखना चाहिए. उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए. हार और जीत जिंदगी का हिस्सा है. मैं भी तो तीन प्रयासों में प्री तक नहीं निकाल पाई. चौथे प्रयास में 12 नंबर से पीछे रह गई. अगर निराश हो जाती, तो सफल नहीं हो पाती. हार से जिंदगी थोड़े न रुक जाती है. असफलता के रास्ते ही चलकर सफलता के सोपान गढ़े जाते हैं.
कितने घंटे पढ़ाई करती थी? इस सवाल पर शक्ति ने कहा कि यूपीएससी में घंटे मायने नहीं रखते हैं. आप सिलेक्टिव पढ़िए और तय करिए कि आज मुझे इतना पढ़ना है. उसके हिसाब से पढ़ते जाइए. जो पढ़िए उसे मेमोराइज करिए. टॉपिक पर कॉसेप्ट क्लियर करते चलिए. शक्ति का कहना है कि वह सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने महिलाओं की दशा को देखा है. शहरी क्षेत्रों में लोग महिलाओं के अधिकारों के प्रति काफी जागरूक हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के अधिकारों के प्रति लोग अभी भी बहुत कम जागरूक हैं. अगर मौका मिलेगा तो जेंडर इक्वालिटी और वुमेन इंपावरमेंट पर काम करना चाहेंगी.
मां प्रेमा दुबे ने कहा- मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि शक्ति ने टॉप कर दिया: शक्ति दुबे की मां प्रेमा दुबे ने ईटीवी भारत को बताया कि उसकी शुरुआत पढ़ाई एसएमसी घूरपुर में हुई है. वह शुरू से ही पढ़ने में होशियार रही है. हमेशा अपनी क्लास में अच्छे नंबर लाती रही है. उसको गाइड नहीं करना पड़ा. उसे कभी पढ़ने के लिए नहीं कहना पड़ा. जब रिजल्ट आया तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ. जब मोबाइल में उसका नाम देखा, तो वह पहली रैंक पर थी. मारे खुशी के मेरी आंखें नम हो गईं. सिविल सेवा परीक्षा 2023 में उसका नाम ही नहीं आया था. हम और मेरे पति देवेंद्र दुबे बहुत निराश थे.
पहले तीन प्रयासों में तो प्रारंभिक परीक्षा ही नहीं क्यावालीफाई कर पाई थी. इसके बाद चौथे प्रयास में जब वह इंटरव्यू तक गई, तो हमारी उम्मीद बढ़ गई थी. जब उसका चयन नहीं हुआ तो उस दिन तो घर में खाना तक नहीं बना. शक्ति ने हम सबको समझाया कि ये आखिरी प्रयास थोड़े ही न है, मम्मी इस बार मेरा चयन जरूर होगा. हमने अपनी गलतियों से सीखा है. इस बार वो गलतियां नहीं दोहराऊंगी. इसके बाद अगले ही दिन से उसने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दी.
शक्ति दुबे के पिता देवेंद्र दुबे बोले- टॉपर रही है हमारी बेटी: IAS टॉपर के पिता देवेंद्र दुबे डीसीपी ट्रैफिक प्रयागराज के पेशकार हैं. वो प्रयागराज के यमुनापार इलाके के सोमेश्वर नगर के रहने वाले हैं. शक्ति का परिवार मूलरूप से बलिया का रहने वाला है. शक्ति ने एसएमसी घूरपुर से पढ़ाई की. इसके बाद उसने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बायोकेमेस्ट्री में बीएससी किया. यहां भी शक्ति ने अपने बैच में टॉप किया था. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बाद शक्ति ने बीएचयू वाराणसी से बायो केमेस्ट्री में एमएससी किया. इसके बाद 2018 से शक्ति ने दिल्ली का रुख किया और सिविल सेवा की तैयारी में जुट गईं. उन्होंने राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंध को आप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर चुना.
पिता ने कहा कि ईश्वर को शायद यही मंजूर था कि नीचे की रैंक नहीं, शक्ति को टॉप रैंक मिलेगी. शक्ति की मेहनत का ही फल है, कि वह उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया है. पिछली बार जब असफलता मिली तो हम सब निराश थे. ईश्वर को शायद यह मंजूर था कि नीचे की रैंक नहीं शक्ति को टॉप रैंक मिलेगी. उसने मेहनत की और परिणाम सभी के सामने है. इंटरव्यू देने के बाद हम सभी को सलेक्शन की कोई उम्मीद नहीं थी. पिछली असफलताओं से सीखते हुए बेटी ने तैयारी की और अब उसने टॉप किया है.
एसएमसी घूरपुर के प्रिंसिपल आशीष रंजन ने बताया कि शक्ति दुबे शुरू से ही मेधावी रही है. वह शुरू करने के लिए शुरुआत नहीं करती थी, बल्कि उसे सफलता के साथ खत्म करके मानती थी. चाहे डिबेट हो या कोई अन्य प्रतियोगिता वो सबमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी. डिबेट या प्रेजेंटेशन के बाद वह यह जरूर पूछती थी कि सर कैसा रहा? वो हमेशा अपने को करेक्ट करने की कोशिश करती थी. उसमें शुरू से सीखने की ललक थी. उससे जब भी हमने पूछा कि आप बड़ी होकर क्या बनोगी, तो उसने यही कहा कि आईएएस बनना है. कभी नहीं कहा कि हमें इंजीनियर या डॉक्टर बनना है. अपने लक्ष्य को लेकर वह सजग रही. यही कारण है कि उसे मनचाही सफलता मिली है.