लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने अपनी गलतियों और लापरवाही पर ग्राहकों को पैसा यानी मुआवजा देने की योजना बनाई थी. इसका मकसद था कि लोगों को बिजली की बिना रुके सेवा मिले और किसी भी प्रकार की दिक्कत का पल भर में समाधान हो जाए. ऐसे 23 प्वाइंट रखे गए हैं, जिनमें UPPCL की चूक पर उन्हें लोगों को पैसा देना होगा. लेकिन, विभाग ने इसका भी काट तलाश लिया है. आईए जानते हैं ये क्या है?
दरअसल, गर्मी के मौसम में बिजली से संबंधित किसी भी शिकायत और समस्या के समाधान के लिए विभाग की ओर से हेल्पलाइन नंबर 1912 जारी की गई थी. इसका भरपूर प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि हेल्पलाइन पूरी तरह से उपभोक्ताओं के लिए हेल्पलेस साबित हो रही है.
इस नंबर पर फोन मिलाने पर कई बार बिल न जमा होने के चलते कनेक्शन ही कटे होने का रेस्पॉन्स मिलता है तो उपभोक्ता फोन ही नहीं मिला पाते हैं. अगर फोन मिला भी लिया तो फिर प्रतिनिधियों से बात करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं होता है.
हर रोज अब गर्मी में 1912 पर शिकायतों का अंबार लग रहा है, लेकिन समाधान न के बराबर हो पा रहा है. हेल्पलाइन पर झूठी शिकायतें निपटाई जा रही हैं जिससे विभाग को किसी कीमत पर उपभोक्ता को मुआवजा न देना पड़े, इसीलिए पिछले साल से लेकर अब तक विभाग ने ओटीपी व्यवस्था लागू नहीं की है.
लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में प्रचंड गर्मी पड़ रही है और हर जिले में भरपूर बिजली कटौती हो रही है. उपभोक्ता त्रस्त होकर बिजली कब आएगी इसकी जानकारी लेने के लिए जब पावर कारपोरेशन के कस्टमर केयर नंबर 1912 पर फोन करते हैं तो यहां से उन्हें कोई सही जानकारी मिलती ही नहीं है.
फोन मिल जाए और उपभोक्ता की बात ही हो जाए, यही बड़ी बात होती है. अगर बात हो गई तो यहां से जवाब मिलता है कि संबंधित जेई ने 1912 को अवगत नहीं कराया है कि कितनी देर में बिजली आपूर्ति बहाल होगी. इसके बाद उपभोक्ता को संबंधित उपकेंद्र के जेई का नंबर दे दिया जाता है. जेई फोन नहीं उठाते हैं. लिहाजा, समस्या का समाधान होता ही नहीं है. 1912 कस्टमर केयर पर जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे-वैसे ही शिकायतों का सिलसिला भी बढ़ रहा है.
हुसैनगंज वितरण खंड पर हेल्पलाइन का कामकाज देख रहे अधिशासी अभियंता सौमिल सिन्हा का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश भर से एवरेज 10 हजार से ज्यादा शिकायतें हर रोज 1912 नंबर पर दर्ज की जा रही हैं. अभी जब गर्मी और बढ़ेगी तो कंप्लेंट की संख्या और भी ज्यादा हो जाएगी.
वे बताते हैं कि एवरेज 10,000 शिकायतों में से 80 परसेंट से ज्यादा शिकायतें बिजली आपूर्ति को लेकर ही होती हैं. बिजली संकट के चलते ही लोग कस्टमर केयर पर फोन करते हैं. 1912 के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड यानी BSNL और एयरटेल सेवा प्रदाता कंपनी है. कभी कोई तकनीकी खराबी होती है तभी यह नंबर नहीं मिलता है. शनिवार को बीएसएनल का बिल जमा होने के बावजूद इस लाइन पर फोन नहीं मिल रहा था, लेकिन अब इसे दुरुस्त कर लिया गया है.
ओटीपी व्यवस्था अब तक लागू नहीं: पिछले साल उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से 1912 पर आने वाली शिकायतों के समाधान के लिए उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए ओटीपी की व्यवस्था लागू करने की याचिका दाखिल की गई थी.
इसके बाद नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन को निर्देशित किया था. पावर कारपोरेशन ने भी तीन माह के अंदर ओटीपी व्यवस्था लागू करने की बात कही थी, लेकिन साल बदल गया, गर्मी फिर से शुरू हो गई ओटीपी व्यवस्था अब तक लागू नहीं हो पाई.
अगर ओटीपी व्यवस्था लागू हो तो फिर झूठी शिकायतों का समाधान नहीं हो सकेगा और उपभोक्ता को सही जानकारी मिलेगी. जब उपभोक्ता ओटीपी देगा तभी समस्या का समाधान माना जाएगा, इसलिए ओटीपी व्यवस्था विभाग की तरफ से लागू नहीं की जा रही है. माना जा रहा है कि ग्राहकों को मुआवजा न देना पड़े इसके लिए ही बिजली विभाग ये व्यवस्था शुरू नहीं कर रहा.
न देना पड़े मुआवजा, इसलिए ओटीपी व्यवस्था लागू करने से परहेज: ऊर्जा विभाग इसलिए ओटीपी व्यवस्था लागू नहीं कर रहा है क्योंकि अगर व्यवस्था लागू हुई तो फिर मुआवजा नीति के तहत 1912 पर शिकायत दर्ज करने वाले उपभोक्ताओं को मुआवजा देना ही पड़ जाएगा. इससे पावर कॉरपोरेशन पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. मुआवजा पाने के लिए पावर कारपोरेशन ने क्लॉज भी इतने टफ बना रखे हैं जिससे उपभोक्ता मुआवजे के दायरे में आए ही नहीं.
OTP व्यवस्था लागू करने में क्यों हिचकिचा रहा UPPCL: जब ओटीपी व्यवस्था लागू हो जाएगी तो ऐसे उपभोक्ताओं को हरहाल में मुआवजा देना पड़ेगा जो पावर कॉरपोरेशन के क्लॉज पर खरे उतर रहे हैं. यही वजह है कि ओटीपी व्यवस्था लागू करने में पावर कॉरपोरेशन हिचकिचा रहा है.
हर शिकायत पर मुआवजे का प्रावधान
- काल सेन्टर से रिस्पान्स न मिलने और शिकायत नंबर न देने पर 50 रुपये.
- श्रेणी एक शहरी क्षेत्रों में कम आपूर्ति पर 20 रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटे.
- ग्रामीण क्षेत्रों में कम आपूर्ति पर 10 रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटे.
- सामान्य फ्यूज उड़ने पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- ओवरहेड लाइन भूमिगत केबल पर 100 रुपये प्रति दिन.
- ग्रामीण ट्रांसफार्मर पर 150 रुपये प्रतिदिन.
- ट्रांसफार्मर से वोल्टेज समस्या पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- वोल्टेज के लिए नई लाइन की जरूरत पर 100 रुपये प्रतिदिन.
- वोल्टेज के लिए उपकेन्द्र की जरूरत पर 250 रुपये प्रतिदिन.
- छह फीसद कम व ज्यादा लो वोल्टेज पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- नौ फीसद कम व छह फीसद ज्यादा हाइवोल्टेज पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- 12.5 फीसद कम और 10 फीसद ज्यादा ईएचवी पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- जहां नई लाइन बनानी हो 250 रुपये प्रतिदिन.
- अस्थायी कनेक्शन पर 100 रुपये प्रतिदिन.
- कनेक्शन के टाइटिल ट्रांसफर श्रेणी परिवर्तन 50 रुपये प्रतिदिन.
- स्थायी विच्छेदन, रिकनेक्शन पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- सिक्योरिटी रिफंड, अदेयता प्रमाण पत्र पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- बिल संबंधी शिकायत पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- लोड घटाने बढ़ाने, कनेक्शन खत्म कराने पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- उसी परिसर में शिफ्टिंग पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- मीटर रीडिंग पर 200 रुपये प्रतिदिन.
- खराब, जला मीटर बदलने पर 50 रुपये प्रतिदिन.
- घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए 50 रुपये प्रति दिन.
क्या कहते हैं उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 1912 पर शिकायतों का अंबार लग रहा है, लेकिन फर्जी तरीके से उनका समाधान किया जा रहा है. उपभोक्ताओं को सही जानकारी दी ही नहीं जा रही है. कोई उपभोक्ता जब बिजली संकट की शिकायत करता है तो विभाग को मुआवजा न देना पड़े इसलिए समयावधि के अंदर ही उसे शिकायत के समाधान का मैसेज भेज दिया जाता है.
उपभोक्ता कहता ही रह जाता है कि अभी बिजली नहीं आई है लेकिन उसके पास मैसेज बिजली आपूर्ति बहाल होने का पहुंच जाता है. कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करने पर उपभोक्ता खुद को ठगा महसूस करते हैं. ऊर्जा विभाग सेवाओं पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करता है लेकिन असल में इसका फायदा उपभोक्ताओं को मिलता ही नहीं है.
पावर कार्पोरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री इस ओर ध्यान भी नहीं देते हैं. पिछले साल ही ओटीपी व्यवस्था लागू करने के लिए नियामक आयोग ने आदेश दिए थे जिसके बाद ऊर्जा विभाग में भी हामी भरी थी, लेकिन अभी तक की व्यवस्था लागू नहीं की गई है.
अब फिर से नियामक आयोग में इसके लिए याचिका दाखिल की जाएगी जिससे जल्द से जल्द उपभोक्ताओं के लिए ओटीपी व्यवस्था लागू हो और वह मुआवजे के हकदार बन सकें. पावर कॉरपोरेशन भी झूठी शिकायतों का समाधान न कर सके.
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