वाराणसी : ज्ञानवापी प्रकरण में माता श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग करने वाली महिलाओं की तरफ से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत से जिला जज की अदालत में मुकदमे को स्थानांतरित किए जाने की मांग के प्रार्थना पत्र को जिला जज संजीव पांडेय ने शुक्रवार को खारिज कर दिया.अदालत ने मुकदमे की अगली सुनवाई के लिए 25 अप्रैल की तिथि तय की है.
मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग करने वाली चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू विकास और सीता साहू के अलावा अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी ने अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं के पूजा पाठ करने के अधिकार देने को लेकर पंडित सोमनाथ व्यास एवं अन्य के तहत वर्ष 1991 में दाखिल लॉर्ड विश्वेश्वर के मुकदमे को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट्रेक की अदालत से जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किए जाने की मांग की थी.
इस प्रार्थना पत्र पर मुकदमे के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आपत्ति जताते हुए इसके पोषणीयता पर ही सवाल उठाया था. उन्होंने अदालत में दलील दी थी कि प्रार्थना पत्र दाखिल करने वाले मुकदमे में पक्षकार ही नहीं है. उन्हें इसका कोई अधिकार ही नहीं है. उन्हें स्थानांतरण प्रार्थना पत्र दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है.
इस पर महिलाओं के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा था कि मुकदमे में लक्ष्मी देवी और अन्य पक्ष का नहीं है, लेकिन इससे पूर्व अलग-अलग न्यायालय में लंबित रहे ज्ञानवापी से जुड़े आठ मुकदमों को एक साथ सुनवाई करने का आदेश देते हुए पूर्व जिला जज ने पत्रावली अपनी अदालत में स्थानांतरित कर ली है. उन्होंने विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा था कि एक ही प्रकृति और संपत्ति के यदि मुकदमे विभिन्न न्यायालय में चल रहे हैं तो न्यायालय को अधिकार है कि सभी मुकदमों को अपने यहां स्थानांतरित कर सकती है.
ज्ञानवापी से संबंधित सभी मुगलों की प्रकृति एक ही है हालांकि जिला जज वाद मित्र की दलील से सहमत हुए और महिलाओं के अपील को खारिज करते हुए उनके प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया.
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