लखनऊ : लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी के अवसर पर राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अहिल्याबाई ने “धर्म रक्षति रक्षितः” के वैदिक उद्घोष को न केवल जिया, बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया.
'लोकमाता' पूज्य देवी अहिल्याबाई होल्कर जी के त्रिशताब्दी स्मृति अभियान के अंतर्गत लखनऊ में आज आयोजित प्रदेश कार्यशाला में सम्मिलित हुआ।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 14, 2025
अहिल्याबाई होल्कर जी ने सत्ता संभालने के बाद बहुत ही स्पष्ट उद्घोषणा की थी कि मेरा पथ धर्म का पथ है, धर्म का पथ ही न्याय का पथ है। न्याय का पथ… pic.twitter.com/eAsLYMbiVY
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अहिल्याबाई होल्कर को धर्म, न्याय और राष्ट्रधर्म का सजीव स्वरूप बताते हुए कहा कि वे भारतीय सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की अग्रदूत थीं. जब देश विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त था, मंदिर विध्वंस किए जा रहे थे, तब अहिल्याबाई ने बिना भय के, बिना किसी राजनीतिक समर्थन के, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का कार्य अपने हाथों में लिया था.
हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर देश और सनातन संस्कृति के गौरव की पुनर्स्थापना के लिए पूरे मनोयोग से समर्पित हो जाना चाहिए. उन्होंने विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में जिस साहस, भक्ति और समर्पण से काशी से लेकर रामेश्वरम् तक तीर्थस्थलों का पुनरुद्धार कराया, वह भारतीय इतिहास का अद्वितीय अध्याय है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई केवल काशी तक सीमित नहीं रहीं. उन्होंने केदारनाथ धाम, रामेश्वरम्, सोमनाथ, हरिद्वार, महिष्मति और देश के अनेक तीर्थस्थलों के जीर्णोद्धार का कार्य किया. उन्होंने नदियों, घाटों, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा मिले और शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बनीं रहे.
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार देश में नारी शक्ति के सम्मान और उनके स्वालंबन की कई योजनाओं का संचालन कर रही है. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चल रही लखपति दीदी योजना, जिसने 1 करोड़ से अधिक माताओं-बहनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है. समारोह के दौरान उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रमुख संत-महात्माओं, विद्वानों और समाजसेवियों ने भी अपने उद्बोधन में महारानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया.
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