गाजीपुरः क्या आप जानते हैं यूपी में अभी भी अंग्रेजों के जमाने की एक अफीम फैक्ट्री चल रही है. दावा है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी फैक्ट्री है. इस फैक्ट्री की वजह से यूपी के एक जिले की खास पहचान है. चलिए आपको इस खबर के जरिए इस फैक्ट्री से जुड़े रोचक तथ्यों की जानकारी आगे देते हैं.
कहां हैं यूपी का अफीम कारखानाः बता दें कि यूपी का अफीम कारखाना गाजीपुर में है. इसे अंग्रेजों ने सन् 1820 में स्थापित किया था. उस वक्त यह बनारस अफीम फैक्ट्री के आधीन थी. दावा है कि यह फैक्ट्री अब दुनिया की सबसे पुरानी फैक्ट्री है जो अभी भी चल रही है.
अब किसके आधीन है यह कारखानाः गाजीपुर की यह अफीम फैक्ट्री केंद्र सरकार के आधीन है. यहां कारखाना अब भी संचालित हो रहा है. यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अफीम तैयार की जाती है.

चाकचौबंद है सुरक्षाः अफीम फैक्ट्री होने के कारण यह बेहद संवेदनशील स्थल है. इस वजह से इसकी सुरक्षा भी बेहद कड़ी है. इसकी सुरक्षा सीआईएसएफ (CISF) द्वारा 24 घंटे की जाती है. फैक्ट्री परिसर में आम लोगों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित होता है.

अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता की अफीम तैयार होती है: फैक्ट्री के जीएम दौलत कुमार ने बताया कि यहां अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप अफीम तैयार की जाती है. इसकी डिमांड फार्मा इंडस्ट्री में सर्वाधिक है. इस फैक्ट्री की बनी अफीम दवा कंपनियां हाथों-हाथ लेती हैं.

अभी कितने किसान कर रहे अफीम की खेतीः उन्होंने बताया कि अफीम की खेती का लाइसेंस नारकोटिक्स विभाग की ओर से जारी किया जाता है. इसकी एक पूरी प्रक्रिया होती है. इसमें उत्पादन से जुड़ी हर जानकारी देनी होती है. यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है. उन्होंने बतााय कि अफीम की खेती के लिए गाजीपुर की दो तहसीलों जमानिया और सेवराई में 32 किसानों को लाइसेंस दिए गए हैं. फैक्ट्री इनसे कच्ची अफीम खरीदकर उसका उत्पादन करेगी.
यूपी के और किन जिलों में पैदा होती है अफीमः आपको बता दें कि यूपी में गाजीपुर के अलावुा बाराबंकी और बरेली जिलों में भी अफीम की खेती की जा रही है. किसानों को लाइसेंस देकर सरकार इसकी खेती करवाती है. यह नीति हर वर्ष “क्रॉप ईयर” के दौरान निर्धारित की जाती है और इसका विवरण सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN) की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है. कौन किसान इसका पात्र होगा, यह उसकी पिछली उपज और मानकों के अनुसार तय किया जाता है.

मध्य प्रदेश के नीमच में दूसरी फैक्ट्रीः गाजीपुर के अलावा भारत की दूसरी सरकारी अफीम फैक्ट्री मध्य प्रदेश के नीमच जिले में स्थित है. नीमच की फैक्ट्री काफी विकसित है. दौलत कुमार ने बताया कि गाजीपुर फैक्ट्री में कुछ तकनीकी कमियां जरूर हैं, जिन्हें दूर करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. कई नई मशीनों की आवश्यकता को लेकर पत्राचार किया गया है और जल्द ही आधुनिक मशीनें स्थापित की जाएंगी, जिससे उत्पादन की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा.
किताब में भी है जिक्रः दौलत कुमार ने बताया कि इस फैक्ट्री का उल्लेख प्रसिद्ध लेखक अमिताभ घोष ने अपनी किताब "Smoke and Ashes" में किया है. किताब में बताया गया है कि ब्रिटिश शासन के दौरान अफीम की खेती बंगाल, बिहार, उड़ीसा, झारखंड, असम और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से तक फैली हुई थी. उस समय दो प्रमुख एजेंसियां हुआ करती थीं पटना अफीम एजेंसी और बनारस अफीम एजेंसी. ये एजेंसियां ब्रिटिश शासन के लिए अफीम से राजस्व संग्रहण का मुख्य स्रोत थीं. इन एजेंसियों वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारी नियुक्त किए जाते थे. आप आज के दौर के आईएएस से इनकी तुलना कर सकते हैं.
कैसे बनती है अफीमः अफीम पौधे के पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' को सुखाकर बनाई जाती है. इसके सेवन से बेहद तेज नींद आती है. इसमें 12 फीसदी तक मार्फिन मिलती है. इसको प्रसंस्कृत कर हेरोइन भी तैयार की जाती है. इसका इस्तेमाल दवाओं में सबसे ज्यादा होता है.
कब होती है अफीम की खेती: इसकी खेती नवंबर में शुरू होती है. इसके लिए खेत को अच्छी तरह से जोतकर खाद और पानी दिया जाता है. दिसंबर में अफीम के दानों की बुआई शुरू होती है. इसे पोस्ता दाना कहते हैं. अफीम का एक पौधा 100 दिन में तैयार होता है. इस पर डोडा का फल लगा होता है, जिससे अफीम तैयार होती है.
क्या दुनिया में सबसे पुरानी फैक्ट्री है: फैक्ट्री के जीएम दौलत कुमार का दावा है कि यह फैक्ट्री दुनिया की सबसे पुरानी फैक्ट्री है. मौजूदा दौर में इतनी पुरानी फैक्ट्री कहीं नही है.