वाराणसी: उत्तर प्रदेश पूरे देश में इकलौता ऐसा राज्य बन गया है जिसके पास अकेले 77 जीआई सर्टिफिकेट है. शुक्रवार को पीएम मोदी ने 21 जीआई प्रोडक्ट जो यूपी के अलग-अलग जिलों से ताल्लुक रखते हैं, उनके कारीगर और शिल्पकारों को जीआई का प्रमाण पत्र सौंपा है. देश में पहली बार किसी राज्य को एक ही दिन में सबसे ज्यादा 21 जीआई सर्टिफिकेट मिले हैं. इसमें बनारस का लाल पेड़ा, मथुरा की सांची कला, बनारस की शहनाई, बनारस के क्राफ्ट और लखीमपुर खीरी की थारू एंब्रायडरी को सर्टिफिकेट मिला है. टैग मिलने के बाद कलाकारों ने ये उम्मीद जाहिर किया है कि अब उनकी कला को पंख लगेंगे और लुप्त हो रही कलाएं एक बार फिर से जीवंत हो उठेगी.
पीएम मोदी ने शिल्पकारों का बढ़ाया मान
अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग 2 घंटे रहे. इस दौरान उन्होंने बनारस में दिए जा रहे अपने तोहफे से शिल्पकारों और अन्य लोगों को भविष्य में मिलने वाले लाभ पर भी चर्चा की. जीआई प्रोडक्ट की बढ़ रही डिमांड और जीआई सर्टिफिकेट से शिल्पकारों को हो रहे फायदे का जिक्र करते हुए भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसे इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचने की बात कह कर शिल्पकारों का मान बढ़ाया.
जीआई टैग मिलने से कारोबार में मिलेगा बढ़ावा
जीआई एक्सपर्ट और पद्मश्री रजनीकांत का कहना है कि आज का दिन यूपी के शिल्पकारों के लिए ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि एक साथ 21 जी को सर्टिफिकेट मिलना अपने आप में बहुत बड़ी बात है. अब उत्तर प्रदेश पूरे देश में इकलौता ऐसा राज्य बन गया है जहां अकेले 77 प्रोडक्ट को जीआई टैग मिला. जीआई मतलब ही अपने एरिया में निर्माण होने वाली चीज का रजिस्टर्ड होना है. ये प्रोडक्ट जिस जिले में बनते हैं उसकी डुप्लीकेसी अब कोई और जिला नहीं कर सकता. इसलिए ये तैयार करने वाले लोगों को इसका बड़ा लाभ होगा.
शिल्पकारों ने बताया ऐतिहासिक दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सर्टिफिकेट पाने वाले कलाकार भी बेहद खुश थे. बनारस के लाल पेड़े के लिए सर्टिफिकेट मिलने के बाद कमलेश कुमार का कहना था सिर्फ चीनी और खोया के जरिए तैयार होने वाली इस मिठाई को बनारस के लाल पेड़े के रूप में जाना जाता है और आज उसे एक नई पहचान मिल गई और अब हमारी डुप्लीकेसी भी नहीं होगी, क्योंकि लाल पेड़े को लेकर हमेशा डुप्लीकेट होती है.
विलुप्त कला को मिलेगा नया जीवन
वहीं सांची कला को भी पीएम मोदी ने नई पहचान दी. मथुरा के धर्मेंद्र कुमार भी प्रधानमंत्री से जीआई सर्टिफिकेट मिलने पर खुशी का इजहार किया है. उनका कहना है कि हमारी कल तो विलुप्त हो रही थी सिर्फ चार-पांच लोग ही मथुरा में बचे थे, जो इस कला को करते थे. गोबर के जरिए तैयार होने वाली ये अद्भुत कला अब संसद से लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के घरों और ऑफिसों की शोभा बढ़ा रही है और आगे भी इसके लिए बड़े ऑर्डर हैं.
जीआई टैग से मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान
बनारस में गंगाजल आर्टिस्ट म्यूरल आर्ट करने वाले संतोष कुमार शांडिल्य का कहना है कि हमारी कला अब इंटरनेशनल लेवल पर पहुंच रही है और इस टैग के मिलने के बाद तो हम और भी ज्यादा इसे विस्तृत रूप दे पाएंगे. शादी विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर ही ये कल दिखाई देती थी लेकिन अब ये लोगों के ऑफिस घर और हर जगह की शोभा बढ़ा रही है, जो हमारे लिए बहुत गर्व की बात है.
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