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यूपी में ऑनलाइन हाजिरी का विरोध; पहले दिन 6 लाख में 16000 शिक्षकों ने लगाई अटेंडेंस, सांसद राम गोपाल और चंद्रशेखर समर्थन में उतरे - up basic teachers online attendance

यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े छह लाख शिक्षकों में 16 हजार ने ही पहले दिन ऑनलाइन हाजिरी दर्ज कराई. वहीं, ऑनलाइन हाजिरी को लेकर शिक्षकों ने सोशल मीडिया मंच पर मोर्चा खोल दिया है. इसके साथ ही रायबरेली में शिक्षकों ने विरोध मार्च निकाला.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 7:08 AM IST

Updated : Jul 9, 2024, 5:19 PM IST

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बलरामपुर में शिक्षकों ने ऐसे पोस्ट की सेल्फी. (photo credit: x)

रायबरेली/बलरामपुर: यूपी में बेसिक शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी को लेकर मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को प्रदेश के 132869 बेसिक स्कूलों में पढ़ाने वाले 609,282 शिक्षकों में 16015 शिक्षकों ने ही ऑनलाइन हाजिरी दर्ज कराई. बचे हुए शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी नहीं दर्ज कराई. वहीं, शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सोशल मीडिया पर बलरामपुर के शिक्षक ने बाढ़ में डूबे हुए स्कूल के साथ सेल्फी पोस्ट की तो वहीं एक शिक्षक ने बाढ़ में स्कूल जाने के दौरान विरोध जताया. सोशल मीडिया पर शिक्षकों का यह विरोध चर्चा का विषय बन चुका है. बता दें कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से ऑनलाइन हाजिरी का समय आठ बजे के बजाय 8.30 बजे तक की मोहलत दी गई है. वहीं, नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राम गोपाल शिक्षकों के समर्थन में उतर आए हैं.

बता दें कि डिजिटल दौर में बेसिक शिक्षा परिषद भी व्यवस्थाओं को हाईटेक कर रहा है. इसी कड़ी में स्कूलों में पहुंचते ही सेल्फी खींचकर फोटो भेजना अब पूरी तरह से अनिवार्य़ कर दिया है. इसे लेकर परिषद की ओर से सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं. इस फैसले को लेकर ही शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है. यूपी के छह लाख शिक्षक इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. इसे लेकर सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है.

रायबरेली में शिक्षकों ने निकाला मार्च
रायबरेली में ऑनलाइन हाजिरी और डिजिटलाइजेशन के खिलाफ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. प्रदेशीय आवाह्न पर जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में हजारों शिक्षकों की मौजूदगी में डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा. प्रदेश संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा 8 जुलाई से पंजिकाओं का डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति देने का आदेश निर्गत किया गया है जो कि तुगलकी फरमान है.जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह और जिला कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेशीय नेतृत्व द्वारा कई बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन सौंपकर डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं को दूर करने की मांग की गई थी।.

जिला महामंत्री संजय कनौजिया ने कहा कि 14 मार्च 2024 को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय में धरना भी किया गया था तब महानिदेशक द्वारा संगठन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण के पश्चात ही इसे लागू किया जाएगा.हमारी मांग नहीं मानी गई. ज्ञापन सौंपने वालों में जिला कोषाध्यक्ष राजेश कुमार मौर्य, जिला संयुक्त महामंत्री हरिमोहन यादव और ऑडिटर अनुराग सिंह, वीरेन्द्र चौधरी, जयकरन, सुनीता चौधरी, शशिदेवी, पुष्पलता पाण्डेय, प्रतिमा सिंह, अनूप सिंह, हरिशरण मौर्य, दिनेश प्रताप सिंह, अनुराग मिश्रा, आशुतोष शुक्ल, वेद प्रकाश यादव, आशुतोष मौर्या, संजय सिंह, राकेश गौतम, बृजेन्द्र कुमार, रामेश्वर, अवधेश कुमार, मोहित पटेल शामिल रहे. इसके अलावा रविन्द्र सिंह यादव, सुशील शुक्ला, पंकज सिंह, सुरेश यादव, कमलेश, सरोज कुमार, संदीप सिंह,विमला यादव, सुनीति सिंह, कविता गौतम, शालिनी सिंह आदि ने भी विरोध दर्ज कराया.

चंद्रशेखर ने आदेश वापस लेने की मांग की, सीएम को लिखा पत्र

चंद्रशेखर आजाद ने सीएम योगी पत्र लिख कर कहा है कि 'महानिदेशक स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश द्वारा 5 जुलाई को दिए गए आदेश में सभी 12 रजिस्टर डिजिटल रूप से बनाना पूर्णतया अनुचित है. साथ ही ही शिक्षकों द्वारा बार-बार मोबाइल पर कार्य करने से अभिभावकों में शिक्षकों के प्रति गलत संदेश जा सकता है. मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन करता हूं कि समाज में शिक्षकों की गरिमा, विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए मामले को संज्ञान में ले और आदेश निरस्तीकरण के लिए अधिकारी को निर्देशित करें.' वहीं, सपा सांसद राम गोपाल ने X पोस्ट पर लिखा है कि 'उत्तर प्रदेश सरकार अध्यापकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज कराने को आमादा है. जबकि सरकार अध्यापकों की वर्ष में 30 ईएल और आधा सीएल देने की मांग मान नहीं रही है. अध्यापकों की स्थिति इतनी दयनीय है कि अपनी शादी के लिए भी टीचर को मेडिकल लीव लेनी पड़ती है. अध्यापकों की कमी के कारण किसीकिसी विद्यालय में एक ही टीचर को दर्जा एक से लेकर पांचवीं तक सारे दिन पढ़ाना पड़ता है. मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश को वापस लेकर पहले टीचर्स की समस्याओं का निराकरण करने का कष्ट करें.'

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रायबरेली/बलरामपुर: यूपी में बेसिक शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी को लेकर मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को प्रदेश के 132869 बेसिक स्कूलों में पढ़ाने वाले 609,282 शिक्षकों में 16015 शिक्षकों ने ही ऑनलाइन हाजिरी दर्ज कराई. बचे हुए शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी नहीं दर्ज कराई. वहीं, शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सोशल मीडिया पर बलरामपुर के शिक्षक ने बाढ़ में डूबे हुए स्कूल के साथ सेल्फी पोस्ट की तो वहीं एक शिक्षक ने बाढ़ में स्कूल जाने के दौरान विरोध जताया. सोशल मीडिया पर शिक्षकों का यह विरोध चर्चा का विषय बन चुका है. बता दें कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से ऑनलाइन हाजिरी का समय आठ बजे के बजाय 8.30 बजे तक की मोहलत दी गई है. वहीं, नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद राम गोपाल शिक्षकों के समर्थन में उतर आए हैं.

बता दें कि डिजिटल दौर में बेसिक शिक्षा परिषद भी व्यवस्थाओं को हाईटेक कर रहा है. इसी कड़ी में स्कूलों में पहुंचते ही सेल्फी खींचकर फोटो भेजना अब पूरी तरह से अनिवार्य़ कर दिया है. इसे लेकर परिषद की ओर से सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं. इस फैसले को लेकर ही शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है. यूपी के छह लाख शिक्षक इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. इसे लेकर सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है.

रायबरेली में शिक्षकों ने निकाला मार्च
रायबरेली में ऑनलाइन हाजिरी और डिजिटलाइजेशन के खिलाफ राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. प्रदेशीय आवाह्न पर जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में हजारों शिक्षकों की मौजूदगी में डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा. प्रदेश संगठन मंत्री शिवशंकर सिंह ने कहा कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा 8 जुलाई से पंजिकाओं का डिजिटाइजेशन/ऑनलाइन उपस्थिति देने का आदेश निर्गत किया गया है जो कि तुगलकी फरमान है.जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह और जिला कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेशीय नेतृत्व द्वारा कई बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन सौंपकर डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं को दूर करने की मांग की गई थी।.

जिला महामंत्री संजय कनौजिया ने कहा कि 14 मार्च 2024 को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय में धरना भी किया गया था तब महानिदेशक द्वारा संगठन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया गया था कि डिजिटाइजेशन से जुड़ी मौलिक समस्याओं के निस्तारण के पश्चात ही इसे लागू किया जाएगा.हमारी मांग नहीं मानी गई. ज्ञापन सौंपने वालों में जिला कोषाध्यक्ष राजेश कुमार मौर्य, जिला संयुक्त महामंत्री हरिमोहन यादव और ऑडिटर अनुराग सिंह, वीरेन्द्र चौधरी, जयकरन, सुनीता चौधरी, शशिदेवी, पुष्पलता पाण्डेय, प्रतिमा सिंह, अनूप सिंह, हरिशरण मौर्य, दिनेश प्रताप सिंह, अनुराग मिश्रा, आशुतोष शुक्ल, वेद प्रकाश यादव, आशुतोष मौर्या, संजय सिंह, राकेश गौतम, बृजेन्द्र कुमार, रामेश्वर, अवधेश कुमार, मोहित पटेल शामिल रहे. इसके अलावा रविन्द्र सिंह यादव, सुशील शुक्ला, पंकज सिंह, सुरेश यादव, कमलेश, सरोज कुमार, संदीप सिंह,विमला यादव, सुनीति सिंह, कविता गौतम, शालिनी सिंह आदि ने भी विरोध दर्ज कराया.

चंद्रशेखर ने आदेश वापस लेने की मांग की, सीएम को लिखा पत्र

चंद्रशेखर आजाद ने सीएम योगी पत्र लिख कर कहा है कि 'महानिदेशक स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश द्वारा 5 जुलाई को दिए गए आदेश में सभी 12 रजिस्टर डिजिटल रूप से बनाना पूर्णतया अनुचित है. साथ ही ही शिक्षकों द्वारा बार-बार मोबाइल पर कार्य करने से अभिभावकों में शिक्षकों के प्रति गलत संदेश जा सकता है. मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन करता हूं कि समाज में शिक्षकों की गरिमा, विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए मामले को संज्ञान में ले और आदेश निरस्तीकरण के लिए अधिकारी को निर्देशित करें.' वहीं, सपा सांसद राम गोपाल ने X पोस्ट पर लिखा है कि 'उत्तर प्रदेश सरकार अध्यापकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज कराने को आमादा है. जबकि सरकार अध्यापकों की वर्ष में 30 ईएल और आधा सीएल देने की मांग मान नहीं रही है. अध्यापकों की स्थिति इतनी दयनीय है कि अपनी शादी के लिए भी टीचर को मेडिकल लीव लेनी पड़ती है. अध्यापकों की कमी के कारण किसीकिसी विद्यालय में एक ही टीचर को दर्जा एक से लेकर पांचवीं तक सारे दिन पढ़ाना पड़ता है. मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश को वापस लेकर पहले टीचर्स की समस्याओं का निराकरण करने का कष्ट करें.'

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Last Updated : Jul 9, 2024, 5:19 PM IST
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