लखनऊः यूपी के संस्कृत विद्यालयों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. नया सत्र शुरू हो चुका है और प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरा नहीं हो सकी है. प्रदेश में 1368 अस्थाई शिक्षक मानदेय पर नौकरी करते थे. उनकी 2 साल की संविदा की अवधि बीती 31 मार्च को समाप्त हो चुकी है. संविदा बढ़ाने का नया आदेश अब तक शासन की तरफ से नहीं आया है. अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया है. 1246 विद्यालयों के ये शिक्षक परेशान हैं कि उनको इस महीने मानदेय मिलेगा या नहीं. वहीं, प्रधानाचार्य परेशान हैं कि शिक्षकों की संविदा अगर नहीं बढ़ी तो वह छात्रों को किससे पढ़वाएगे?
साल 2021 में संविदा पर हुए थे भर्ती: उत्तर प्रदेश में 1246 संस्कृत विद्यालयों का संचालन होता है. इनमें से दो विद्यालय गवर्नमेंट विद्यालय है जबकि 973 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं. इसके अलावा 271 निजी विद्यालयों का संचालन होता है. गवर्नमेंट और सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए साल 2021 में मानदेय पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शासन ने मंजूर की थी. इसके बाद पहले चरण में 518 संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. 2023 में फिर 850 संविदा शिक्षक भर्ती हुए थे. इससे स्कूलों को काफी राहत मिली थी. इन शिक्षकों के चयन की अवधि 31 मार्च 2025 को समाप्त हो गई है.
दो साल की संविदा पर ही भर्ती हुए थे शिक्षकः दोनों ही चरणों में भर्ती हुए 1350 शिक्षकों की 2 साल की संविदा अवधि समाप्त होने के बाद अब प्रिंसिपल, शिक्षक और छात्र सभी परेशान हैं. 1 अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया है. शासन ने संविदा शिक्षकों के नवीनीकरण का कोई आदेश जारी नहीं किया है. सभी इंतजार कर रहे हैं कि कब आदेश आएगा. अगर आदेश न आया तो इनके मानदेय पर भी संकट खड़ा होगा. वहीं, बिना आदेश के इन शिक्षकों से काम लेने पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ प्रधानाचार्य ने तो शिक्षकोें से यह पत्र लेकर पढ़ाने की अनुमति दी है कि वह संविदा नवीनीकरण होने तक पढ़ाएंगे.
कुछ प्रधानाचार्यों ने पढ़ाने से रोकाः कुछ स्कूलों के प्रधानाचार्य ने अगले आदेश तक इन शिक्षकों के पढ़ाने पर रोक लगा दी है. संस्कृत विद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि शिक्षकों की संविदा 2 साल के लिए होती है. अधिकारियों को पता है फिर भी वह समय पर उनके नवीनीकरण का आदेश नहीं जारी कर रहे हैं. स्कूलों को भी नहीं पता है कि कब आदेश आएगा. आदेश आने के बाद मानदेय की प्रक्रिया में भी देरी होगी.
इस महीने मानदेय मिलने की उम्मीद कम: इस महीने तो मानदेय मिलना शिक्षकों के लिए मुश्किल है. डॉ मिश्रा ने कहा कि पहले भी इस तरह संविदा अवधि बढ़ाने के लिए कई महीने देरी की गई थी. इस बार भी यही स्थिति है. अगर संविदा बढ़ानी है तो समय पर आदेश जारी कर देना चाहिए ताकि शिक्षक और छात्रों को कोई दिक्कत न हो. जितनी जल्दी आदेश आएगा उतना ही स्कूलों और छात्रों के लिए अच्छा होगा.
संविदा नवीनीकरण पर ये भी संकट: शिक्षक नेता डॉ आरपी मिश्रा का कहना है कि उत्तर प्रदेश शिक्षक चयन आयोग ने अब भर्ती प्रक्रिया शुरू की है. डिग्री कॉलेज माध्यमिक विद्यालयों और बेसिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करने की डेट जारी की गई है. प्रदेश में खाली ज्यादातर विद्यालयों का अध्ययन आयोग को भेजा गया है ऐसे में अगर जून में प्रस्तावित माध्यमिक विद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया आयोजित होती है तो इन विद्यालयों में तैनात संविदा शिक्षकों का नवीनीकरण लटक सकता है.
यूपी के 1246 संस्कृत विद्यालय पर बड़ा संकट, 1368 शिक्षक हुए बाहर, जानिए पूरा मामला - UP SANSKRIT SCHOOLS
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : April 17, 2025 at 4:28 PM IST
लखनऊः यूपी के संस्कृत विद्यालयों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. नया सत्र शुरू हो चुका है और प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरा नहीं हो सकी है. प्रदेश में 1368 अस्थाई शिक्षक मानदेय पर नौकरी करते थे. उनकी 2 साल की संविदा की अवधि बीती 31 मार्च को समाप्त हो चुकी है. संविदा बढ़ाने का नया आदेश अब तक शासन की तरफ से नहीं आया है. अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया है. 1246 विद्यालयों के ये शिक्षक परेशान हैं कि उनको इस महीने मानदेय मिलेगा या नहीं. वहीं, प्रधानाचार्य परेशान हैं कि शिक्षकों की संविदा अगर नहीं बढ़ी तो वह छात्रों को किससे पढ़वाएगे?
साल 2021 में संविदा पर हुए थे भर्ती: उत्तर प्रदेश में 1246 संस्कृत विद्यालयों का संचालन होता है. इनमें से दो विद्यालय गवर्नमेंट विद्यालय है जबकि 973 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं. इसके अलावा 271 निजी विद्यालयों का संचालन होता है. गवर्नमेंट और सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए साल 2021 में मानदेय पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शासन ने मंजूर की थी. इसके बाद पहले चरण में 518 संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. 2023 में फिर 850 संविदा शिक्षक भर्ती हुए थे. इससे स्कूलों को काफी राहत मिली थी. इन शिक्षकों के चयन की अवधि 31 मार्च 2025 को समाप्त हो गई है.
दो साल की संविदा पर ही भर्ती हुए थे शिक्षकः दोनों ही चरणों में भर्ती हुए 1350 शिक्षकों की 2 साल की संविदा अवधि समाप्त होने के बाद अब प्रिंसिपल, शिक्षक और छात्र सभी परेशान हैं. 1 अप्रैल से नया सत्र शुरू हो गया है. शासन ने संविदा शिक्षकों के नवीनीकरण का कोई आदेश जारी नहीं किया है. सभी इंतजार कर रहे हैं कि कब आदेश आएगा. अगर आदेश न आया तो इनके मानदेय पर भी संकट खड़ा होगा. वहीं, बिना आदेश के इन शिक्षकों से काम लेने पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ प्रधानाचार्य ने तो शिक्षकोें से यह पत्र लेकर पढ़ाने की अनुमति दी है कि वह संविदा नवीनीकरण होने तक पढ़ाएंगे.
कुछ प्रधानाचार्यों ने पढ़ाने से रोकाः कुछ स्कूलों के प्रधानाचार्य ने अगले आदेश तक इन शिक्षकों के पढ़ाने पर रोक लगा दी है. संस्कृत विद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि शिक्षकों की संविदा 2 साल के लिए होती है. अधिकारियों को पता है फिर भी वह समय पर उनके नवीनीकरण का आदेश नहीं जारी कर रहे हैं. स्कूलों को भी नहीं पता है कि कब आदेश आएगा. आदेश आने के बाद मानदेय की प्रक्रिया में भी देरी होगी.
इस महीने मानदेय मिलने की उम्मीद कम: इस महीने तो मानदेय मिलना शिक्षकों के लिए मुश्किल है. डॉ मिश्रा ने कहा कि पहले भी इस तरह संविदा अवधि बढ़ाने के लिए कई महीने देरी की गई थी. इस बार भी यही स्थिति है. अगर संविदा बढ़ानी है तो समय पर आदेश जारी कर देना चाहिए ताकि शिक्षक और छात्रों को कोई दिक्कत न हो. जितनी जल्दी आदेश आएगा उतना ही स्कूलों और छात्रों के लिए अच्छा होगा.
संविदा नवीनीकरण पर ये भी संकट: शिक्षक नेता डॉ आरपी मिश्रा का कहना है कि उत्तर प्रदेश शिक्षक चयन आयोग ने अब भर्ती प्रक्रिया शुरू की है. डिग्री कॉलेज माध्यमिक विद्यालयों और बेसिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करने की डेट जारी की गई है. प्रदेश में खाली ज्यादातर विद्यालयों का अध्ययन आयोग को भेजा गया है ऐसे में अगर जून में प्रस्तावित माध्यमिक विद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया आयोजित होती है तो इन विद्यालयों में तैनात संविदा शिक्षकों का नवीनीकरण लटक सकता है.