दौसा : जिले के बांदीकुई स्थित ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय केंद्र पर एक दुर्लभ और अनूठा आध्यात्मिक विवाह संपन्न हुआ है. ये आध्यात्मिक विवाह पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया. इस आध्यात्मिक अवसर पर उत्तर प्रदेश के हाथरस निवासी 32 वर्षीय राधा ने भगवान शिव से विवाह किया. यह विवाह समारोह पूरी तरह पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ आयोजित किया गया. हल्दी, मेहंदी, बारात और वरमाला जैसी सभी रस्में निभाई गईं. दुल्हन राधा ने शिवलिंग को वरमाला पहनाई और सात फेरों की रस्म भी पूरी की.
यह विवाह समारोह पूरी तरह से पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ आयोजित किया गया. शादी का आयोजन बांदीकुई की नंदगांव कॉलोनी के एक निजी मैरिज गार्डन में किया गया था, जिसे बेहद खूबसूरती से सजाया गया था. इस अद्वितीय विवाह को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय लोग मैरिज गार्डन में मौजूद रहे.
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राधा बनीं शिव की दीवानी : बीएससी उत्तीर्ण राधा ने बताया कि वह पिछले 11 सालों से बांदीकुई स्थित ब्रह्मा कुमारी केंद्र से जुड़ी हुई हैं और तभी से लगातार भगवान शिव की आराधना कर रही हैं. उनका कहना है कि 2014 में बीएससी पूरी करने के बाद से ही वह आध्यात्मिक जीवन में रम गईं और पूरी तरह शिव भक्ति में लीन हो गईं.
8 वर्ष की उम्र में हो गया था पिता का देहांत : इस विवाह में राधा की मां प्रेमवती और मामा इंदु कुमार ने कन्यादान की रस्म निभाई. राधा ने इस बात पर जोर दिया कि माता-पिता की अनुमति के बिना ऐसा विवाह संभव नहीं था. उन्होंने यह भी बताया कि जब वह सिर्फ आठ साल की थीं, तब एक दुर्घटना में उनके पिता रोरन सिंह का निधन हो गया था. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बांदीकुई केंद्र प्रभारी के अनुसार, इस तरह का आध्यात्मिक विवाह बांदीकुई में पहली बार हुआ है. यह परंपरा केवल उन महिलाओं के लिए है, जो गृहस्थ जीवन का त्याग कर चुकी हैं और वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या करती हैं.

बताया गया है कि इस प्रकार के विवाह करने वाली महिलाओं के लिए आगामी 17 जून से 21 जून तक माउंट आबू में एक विशेष आयोजन होगा. इस कार्यक्रम में उन्हें संकल्प प्रमाण पत्र और गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा. इस अद्वितीय विवाह ने समाज में आध्यात्मिकता की एक नई मिसाल कायम की है, जिसमें एक महिला ने भगवान शिव को अपना सर्वस्व मानकर पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ अपना जीवन उन्हें समर्पित कर दिया.