बूंदी : जिले की पेच की बावड़ी और सथूर पंचायत में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है. इन पंचायतों में न केवल बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है, बल्कि नर्सरी स्थापित कर ग्रामीणों को पौधे उपलब्ध कराकर हरियाली को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही बंजर भूमि को हरा-भरा बनाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग के लिए वर्ष 2016 से अब तक 20 हजार से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पेच की बावड़ी पंचायत के लोग इन पौधों की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर हैं. उन्होंने इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक 'लाठी सिस्टम' बना रखा है. इस सिस्टम में 7 से 8 कमेटियां बनाई हुई हैं, जो एक एक माह इन पौधों की निगरानी के साथ 24 घंटों देखभाल करती हैं. पर्यावरण क्षेत्र में पेच की बावड़ी और सथूर पंचायत अपनी अनूठी पहचान स्थापित कर रही है. आने वाले समय में पौधों पर आने वाले फल से पंचायत को आमदनी के स्त्रोत भी बनेंगे। जिसे यहां के विकास कार्यों में लगाया जाएगा.
मोतीपुरा में 30 हेक्टेयर चारागाह का कायाकल्प : पेच की बावड़ी पंचायत के पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि बाबू लाल मीणा ने मोतीपुरा गांव में 30 हेक्टेयर के विशाल चारागाह क्षेत्र को हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया हुआ है. यहां लगाए गए फलदार और छायादार पौधे अब धीरे-धीरे पेड़ों का रूप ले रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है. इन पौधों की नियमित रूप से देखभाल की जा रही है, ताकि वे पूरी तरह से विकसित हो सकें. मीणा ने बताया कि वर्ष 2015 में वह सरपंच बने तो उन्होंने सोचा कि नाली पठान तो कोई भी बना सकता है. उन्होंने कुछ अलग करने का मानस बनाया और पर्यावरण की दृष्टि से बंजर पड़ी चारागाह भूमि पर वर्ष 2016 में पौधे रोपने का काम शुरू किया.
पढ़ें. सरकारी स्कूल की अनूठी पहल: पढ़ाई के साथ पोषण भी, बच्चे सीख रहे जैविक खेती, स्कूल में उग रही सब्जियां
फिर बाबू लाल मीणा की पत्नी को सरपंच बनाया : पंचायत के लोगों के सहयोग और मेहनत से करीब 20 हजार पौधे छायादार और फलदार मोतीपुरा गांव की चारागाह और सिवायचक भूमि पर लगाए. वर्तमान में इनमें से 16 से 17 हजार पौधे पेड़ बनने की ओर अग्रसर हैं. कई में फल आने लगे हैं. पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण की बदौलत वर्ष 2020 में पंचायत के लोगों ने एक बार फिर बाबू लाल मीणा की पत्नी को सरपंच बनाया. इसके साथ ही वृक्षारोपण के प्रति अधिक भावनाएं जागृत हों, इसको लेकर इस वर्ष फिर से 1200 पौधे अमरूद, अंजीर, आंवला, लेसवा, आम और केटल के लगाकर उनके संरक्षण की जिम्मेदारी ली. ग्रामीणों में खुशी है कि अब इन पौधों में फल आना शुरू हो गए हैं.

पढ़ें. MBA कर चुकी पूर्वा जिंदल ने छोड़ा कपड़े का बिजनेस, अब जैविक खेती से कमा रही हैं लाखों
'लाठी सिस्टम' के साथ 8 छोटी कमेटियां, हर समय पहरेदारी : हिंडोली उपखंड क्षेत्र की पेच की बावड़ी पंचायत में पौधों की सुरक्षा और देखभाल के लिए पंचायत के लोगों ने 'लाठी सिस्टम' चलाया हुआ है. सरपंच प्रतिनिधि और पूर्व सरपंच बाबूलाल बताते हैं कि चारागाह और सिवायचक भूमियों पर होने वाले अवैध कब्जे और अतिक्रमण से बचाने के उद्देश्य से बंजर पड़ी भूमियों पर पंचायत के माध्यम से पौधा रोपण किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि पौधे लगाकर छोड़ दिए जाते हों. यहां जो पौधे लगाए हुए हैं उनकी सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों ने लाठी सिस्टम बनाया हुआ है. इस सिस्टम में गांव के लोगों की कमेटियां बनाई हुई हैं. हर माह अलग-अलग कमेटियां पौधों की रक्षा करने के साथ उनकी देखभाल करती हैं. एक माह पूरा होने के बाद अगली कमेटी को लाठी सौंपी जाती है. यह क्रम अनवरत चलता आ रहा है, जो अब अन्य पंचायतों के लिए नजीर बन रहा है. आने वाले कुछ समय में इन बंजर भूमियों से विभिन्न प्रकार के फल की पैदावार होगी.

पढ़ें. काजरी में ऑर्गेनिक आंवले की रिकॉर्ड तोड़ फसल, किसानों के लिए है फायदेमंद खेती
यहां पंचायत ही विकसित कर रही पौधों की क्यारियां : हिंडोली क्षेत्र की ही सथूर पंचायत में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है. यहां के अधिकारियों ने योजना मद में स्वीकृत राशि 3 लाख की लागत से एक नर्सरी स्थापित की गई है, जो अब पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. नर्सरी में विभिन्न प्रकार के फलदार, फूलदार और छायादार पौधों की क्यारियां विकसित की गई हैं. वर्तमान में यह नर्सरी विभिन्न प्रकार के पौधों से हरी-भरी है. राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों को पौधरोपण के लिए यहां से निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं. वहीं, आमजन को मात्र 10 रुपए में पौधें उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान में ग्रामीण भी भागीदार बन सकें.

पढ़ें. Rajasthan: भीलवाड़ा के विष्णु के कामयाबी की कहानी, ऑर्गेनिक खेती से हर साल कमा रहे हैं लाखों रुपए
30 हजार पौधे तैयार करने का लक्ष्य पूरा : सहायक अभियंता रामकुमार डुकिया ने बताया कि सथूर पंचायत की ओर से स्थापित यह नर्सरी न केवल स्थानीय स्तर पर हरियाली को बढ़ावा देगी, बल्कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी सहायक सिद्ध होगी. पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम के अंतर्गत सथूर पंचायत का यह प्रयास सराहनीय है, जो अन्य पंचायतों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है. इस पहल से न केवल क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. डुकिया ने बताया कि इस वर्ष नर्सरी में 30 हजार पौधे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे सफलतापूर्वक पूरा कर भी लिया गया है. यह नर्सरी न केवल ग्रामीणों को पौधारोपण करने और उनकी देखभाल के लिए भी प्रेरित कर रही है. इस पहल से एक ओर जहां ग्राम पंचायत की आय में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी मजबूती मिल रही है.
पढ़ें. सेहत की 'खान' काला गेहूं, किसानों को हो रही सामान्य गेहूं से 4 गुना ज्यादा कमाई