करनाल: हरियाणा कृषि प्रधान राज्य है. यहां बड़े स्तर पर खेती की जाती है. हालांकि यहां किसानों को खेती के दौरान पानी की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. इसका कारण है कि हरियाणा के करीब 36 ब्लॉक डार्क जोन में शामिल हो गए हैं. इन क्षेत्रों में पानी की कमी है. भूमिगत पानी काफी नीचे चला गया है, जो एक बड़ा चिंता का विषय है. हरियाणा में करीब 94% सिंचित क्षेत्र है, लेकिन हरियाणा में 65% भूमि ऐसी है, जहां पर ट्यूबवेल से सिंचाई की जाती है. हालांकि ट्यूबल से सीधा सिंचाई करने पर पानी की काफी बर्बादी होती है, जिसके चलते कृषि विभाग भूमिगत पाइपलाइन पर ज्यादा फोकस कर रहा है, ताकि पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सके.
आइए जानते हैं कि भूमिगत पाइपलाइन पर सरकार कितना अनुदान दे रही है और इसके क्या-क्या फायदे हैं...
क्या है भूमिगत पाइपलाइन बिछाना वाला मॉडल: इस बारे में जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि खेती को भविष्य में और ज्यादा मुनाफे तक ले जाने के लिए कृषि विभाग और सरकार मिलकर इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा के कई ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पर भूमिगत जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है. इसके लिए सरकार और कृषि विभाग मिलकर काम कर रहे हैं. इसी के चलते किसानों को भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. किसान अपने ट्यूबल से दूर वाले खेत में सिंचाई करता है, तो वह उसको किसी खाले के जरिए पानी को लेकर जाता है, जिसमें कुछ अपनी जमीन पी जाती है और कुछ यूं ही बर्बाद होता है. ऐसे में भूमिगत पाइपलाइन काफी फायदेमंद है. इसमें पानी की बर्बादी होने से बच जाती है, क्योंकि जिस खेत में सिंचाई करने होते हैं. वहां पर सीधा पाइप के जरिए पानी पहुंचाया जाता है.

30 से 40 फीसद होती है पानी की बचत: कृषि अधिकारी ने आगे बताया कि सीधी जो सिंचाई की जाती थी, उसमें पानी की काफी बर्बादी होती है. ऐसे में किसान को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है. अगर सीधी सिंचाई की जाती है तो उसमें पानी काफी बर्बाद होता है. कई बार वह खरपतवार बीच में आ जाने से खाली ओवर फ्लो हो जाती है, जिससे पानी दूसरे खेत में निकल जाता है. या फिर ऐसे ही बर्बाद हो जोता है. वहीं, भूमिगत पाइपलाइन के इस्तेमाल से 30 से 40 फीसद पानी की बचत होती है और खेत में सिंचाई भी जल्दी होती है.
पैदावार में होती है बढ़ोतरी: जिला कृषि अधिकारी की मानें तो भूमिगत पाइपलाइन बिछाने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है, क्योंकि उसमें एक पर्याप्त मात्रा में पानी की सिंचाई की जाती है. इससे फसल खराब नहीं होता बल्कि पैदावार बढ़ने से किसान को फायदा होता है, क्योंकि अगर जमीन ऊबड़ खाबड़ होती है तो उसमें सीधा पानी नहीं जाता और खेत का कुछ हिस्सा बीना सिंचाई के रह जाता है. ऐसे में अगर कोई खेत ऊंचाई पर है तो वहां पर सीधी पाइपलाइन ले जाकर सिंचाई की जाती है, जिससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है.
पाइपलाइन बिछाने का उद्देश्य:
- खेती करते समय रिसाव और रिसाव के कारण होने वाली जल बर्बादी को कम करना.
- सिंचाई के दौरान खेतों से होकर पानी के प्रवाह का समय कम करना.
- जलमार्गों और सिंचित क्षेत्र में जल की हानि को न्यूनतम करने के विभिन्न उपायों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता को बढ़ाना तथा दुर्लभ सिंचाई जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना.
- ऊर्जा, श्रम और समय की बचत.
- खरपतवारों/कीटों/कीटों के प्रकोप को कम करना.
- सिंचाई स्रोत की सिंचाई क्षमता बढ़ाना.
- जलभराव को कम करना.
सरकार दे रही 50 फीसद अनुदान: जिला कृषि अधिकारी ने आगे बताया कि भूमिगत पाइपलाइन बिछाने के लिए सरकार 50% अनुदान दे रही है. एक एकड़ पर अधिकतम लागत 10000 पर 50% अनुदान दिया जा रहा है. वहीं, एक किसान 6 एकड़ तक लाभ ले सकता है. किसान 60000 रुपया लगाकर उस पर 50% अनुदान ले सकता है, लेकिन इस योजना का लाभ लेने के लिए यह शर्त है कि किसान की फसल का विवरण "मेरी फसल, मेरा ब्यौरा" पोर्टल पर होना आवश्यक है. ताकि वह किसान पंजीकृत किसान हो. ऐसा करके वह भूमिगत पाइपलाइन बिछाकर नई तकनीक से खेती कर सकता है, जिससे पानी की बचत के साथ-साथ अपनी पैदावार भी किसान बढ़ा सकते हैं.
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