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बांधवगढ़ में रेडियो कॉलर आईडी पहन जंगल नाप रहे हाथी, बदला बिहेवियर मदमस्त हुई चाल - BANDHAVGARH 2 ELEPHANT BEHAVIOR

उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कॉलर आईडी लगाकर दो हाथियों को छोड़ा गया था. जानिए कैसा है उनका बिहेवियर.

BANDHAVGARH 2 ELEPHANT BEHAVIOR
बांधवगढ़ में रेडियो कॉलर आईडी पहन जंगल नाप रहे हाथी (Getty Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 7, 2025 at 6:38 PM IST

6 Min Read

उमरिया (अखिलेश शुक्ला): जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पहचान अब बाघ ही नहीं, बल्कि हाथियों के लिए भी होने लगी है, क्योंकि दिनों दिन यहां हाथियों की संख्या बढ़ रही है. अब तो हाथियों के व्यवहार के बारे में भी जानने को मिल रहा है. कुछ महीने पहले बांधवगढ़ में दो बिगड़ैल हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ा गया था, जो इन दिनों मदमस्त अंदाज में जंगलों में खा पीकर कदमताल कर रहे हैं और खुले जंगल में अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

रेडियो कॉलर आईडी वाले हाथियों का हाल

नवंबर और दिसंबर महीने में एक-एक करके दो हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाई गई थी. फिर उन्हें बांधवगढ़ के घने जंगल में छोड़ा गया था. इतने महीने बाद इन रेडियो कॉलर आईडी वाले हाथियों का क्या हाल है. इसे लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं "ये दोनों हाथी जिन्हें रेडियो कॉलर आईडी लगाकर छोड़ गया था, वो बांधवगढ़ के जंगल में ही इधर-उधर घूम रहे हैं.

BANDHAVGARH 2 ELEPHANT COLLAR ID
जंगलों में विचरण करते हाथी (ETV Bharat)

दोनों कोर एरिया में पाए जा रहे हैं. ये दोनों ही हाथी बांधवगढ़ के अलग-अलग क्षेत्र में कदमताल करते रहते हैं. एक हाथी अभी ताला से छोड़ा गया था, जो ताला के कल्लवाह से फिर मगधी वहां से फिर कल्लवाह होते हुए मानपुर रेंज एरिया में गया. वहां से होते हुए फिर से ताला में आ गया. इसी तरह वह भ्रमण करते रहता है.

एक और दूसरे हाथी की बात करें, तो वो ताला से खेतौली गया. खेतौली से पतौर और पतौर से फिर वापस होता हुआ खेतौली आ गया. इस तरह से ये हाथी भी घूमता रहता है. दोनों हाथियों के व्यवहार में भी बदलाव आया है. अब ये हिंसक नहीं हैं, बल्कि जंगल में ही दूसरे झुंड के हाथियों के साथ कदमताल कर चलते रहते हैं.

कभी-कभी दूसरे हाथियों के झुंडों में भी मिल जाते हैं. कभी अकेले भी चलते हैं और कभी दोनों साथ में भी मिल जाते हैं. कुल मिलाकर अब ये जंगल के आवोहवा से चिर परिचित हो चुके हैं. इन्हें बेहतर खाना-पानी मिल रहा है. तो ये बांधवगढ़ के जंगलों में विचरण करते रहते हैं."

UMARIA BANDHAVGARH TIGER RESERVE
दूसरे हाथियों के ग्रुप के साथ मस्ती (ETV Bharat)

आवासीय क्षेत्रों में तो नहीं जाते

इन दोनों हाथियों पर नजर इसलिए भी थी, क्योंकि जब इन दोनों हाथियों को अलग-अलग क्षेत्र से पकड़ा गया था, तो यह दोनों बिगड़ैल हाथी थे. ऐसे में रेडियो कॉलर आईडी लगाकर ये अध्ययन करने के लिए भी छोड़ गया था कि अब उनकी स्थिति में कितना सुधार आया है. क्या ये फिर से आवासीय क्षेत्र की ओर जाते हैं, इसे लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक बताते हैं की वैसे तो ज्यादातर टाइम ये हाथी जंगल में ही रहते हैं, लेकिन जब फसलों का समय होता है, तब ये उस क्षेत्र की ओर जाते हैं.

हालांकि इनके रेडियो कॉलर आईडी लगी है. पहले से सूचना मिल जाती है, तो लोगों को अवेयर कर दिया जाता है. जैसा कि पहले बताया कि वन्यप्राणियों में सीजनल बिहेवियर चेंज आते हैं. जब आवासीय क्षेत्र की ओर फसलें खड़ी होती हैं, तो ये उस ओर चले जाते हैं. जैसे महुआ, कटहल जो भी सीजनल फल या खेतों में पकी हुई फसल हुईं, उनके चक्कर में इनमें सीजनल पैटर्न बदलता है. तो उधर वो जाते हैं, लेकिन उतना नहीं जाते, अब ये ज्यादातर समय जंगलों में भी रहना पसंद करते हैं.

2 COLLAR ID ELEPHANTS BEHAVIOR
जंगलों में घूम रहा हाथी (ETV Bharat)

पल-पल की मिल रही खबर

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "हाथियों में रेडियो कॉलर आईडी लग जाने के बाद इनके पल-पल की खबर मिल रही है. उनके हर एक मूवमेंट बिहेवियर का अध्ययन करने में मदद मिल रहा है. गांव वालों को पहले से ही आगाह कर दिया जाता है, कि वो उस ओर न जाएं. अगर जाना बहुत ही जरूरी है, तो समूह में जाएं.

इसके अलावा हमारे वन विभाग की टीम भी अलर्ट हो जाती है. उन्हें ट्रैक करने लगती है. साथ ही ये हाथी कभी-कभी ग्रुप में भी मिल जाते हैं, जो बांधवगढ़ में दूसरे हाथियों का ग्रुप है. उनके साथ भी चलने लगते हैं, तो उन हाथियों के मूवमेंट का भी पता चलता है."

BANDHAVGARH TIGER RESERVE ELEPHANTS
कॉलर आईडी के साथ छोड़े गए हाथी (ETV Bharat)

कब छोड़े गए थे ये हाथी ?

बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जो दो हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर छोड़ गया है. इनमें पहला हाथी 2 मार्च को शहडोल जिले के उत्तर वन मंडल अंतर्गत जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र के वनचाचर से रेस्क्यू किया गया था और बांधवगढ़ ले जाया गया था. जिसे 20 नवंबर को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर बांधवगढ़ के ताला बीट में छोड़ा गया था.

दूसरे हाथी की बात करें तो इस हाथी की उम्र 10 साल बताई जा रही है. ये हाथी अपने झुंड से बिछड़ कर चंदिया क्षेत्र में चला गया था, जहां 2 नवंबर को देवरा और चंदिया क्षेत्र में तीन लोगों को कुचल दिया था. इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी. इसे भी 9 दिसंबर को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ा गया था.

MARIA BANDHAVGARH TIGER RESERVE
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (ETV Bharat)

बांधवगढ़ में कितने हाथी ?

पूरे मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं, तो इस टाइगर रिजर्व में अब एमपी में सबसे ज्यादा हाथी भी पाये जाते हैं. यहां काफी संख्या में हाथी पिछले कुछ सालों से अपना परमानेंट आवास बना चुके हैं. बांधवगढ़ के जंगलों में घूमते टहलते नजर आ जाते हैं.

पर्यटकों को अब बाघ के साथ हाथियों के भी दीदार होते हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 55 से 60 के लगभग हाथी पाए जाते हैं. ये हाथी साल 2018 से आने शुरू हुए हैं, जो कि छत्तीसगढ़ से होते हुए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे और अब यहीं रह रहे हैं. उनकी संख्या में दिनों दिन इजाफा होता दिख रहा है.

उमरिया (अखिलेश शुक्ला): जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पहचान अब बाघ ही नहीं, बल्कि हाथियों के लिए भी होने लगी है, क्योंकि दिनों दिन यहां हाथियों की संख्या बढ़ रही है. अब तो हाथियों के व्यवहार के बारे में भी जानने को मिल रहा है. कुछ महीने पहले बांधवगढ़ में दो बिगड़ैल हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ा गया था, जो इन दिनों मदमस्त अंदाज में जंगलों में खा पीकर कदमताल कर रहे हैं और खुले जंगल में अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

रेडियो कॉलर आईडी वाले हाथियों का हाल

नवंबर और दिसंबर महीने में एक-एक करके दो हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाई गई थी. फिर उन्हें बांधवगढ़ के घने जंगल में छोड़ा गया था. इतने महीने बाद इन रेडियो कॉलर आईडी वाले हाथियों का क्या हाल है. इसे लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं "ये दोनों हाथी जिन्हें रेडियो कॉलर आईडी लगाकर छोड़ गया था, वो बांधवगढ़ के जंगल में ही इधर-उधर घूम रहे हैं.

BANDHAVGARH 2 ELEPHANT COLLAR ID
जंगलों में विचरण करते हाथी (ETV Bharat)

दोनों कोर एरिया में पाए जा रहे हैं. ये दोनों ही हाथी बांधवगढ़ के अलग-अलग क्षेत्र में कदमताल करते रहते हैं. एक हाथी अभी ताला से छोड़ा गया था, जो ताला के कल्लवाह से फिर मगधी वहां से फिर कल्लवाह होते हुए मानपुर रेंज एरिया में गया. वहां से होते हुए फिर से ताला में आ गया. इसी तरह वह भ्रमण करते रहता है.

एक और दूसरे हाथी की बात करें, तो वो ताला से खेतौली गया. खेतौली से पतौर और पतौर से फिर वापस होता हुआ खेतौली आ गया. इस तरह से ये हाथी भी घूमता रहता है. दोनों हाथियों के व्यवहार में भी बदलाव आया है. अब ये हिंसक नहीं हैं, बल्कि जंगल में ही दूसरे झुंड के हाथियों के साथ कदमताल कर चलते रहते हैं.

कभी-कभी दूसरे हाथियों के झुंडों में भी मिल जाते हैं. कभी अकेले भी चलते हैं और कभी दोनों साथ में भी मिल जाते हैं. कुल मिलाकर अब ये जंगल के आवोहवा से चिर परिचित हो चुके हैं. इन्हें बेहतर खाना-पानी मिल रहा है. तो ये बांधवगढ़ के जंगलों में विचरण करते रहते हैं."

UMARIA BANDHAVGARH TIGER RESERVE
दूसरे हाथियों के ग्रुप के साथ मस्ती (ETV Bharat)

आवासीय क्षेत्रों में तो नहीं जाते

इन दोनों हाथियों पर नजर इसलिए भी थी, क्योंकि जब इन दोनों हाथियों को अलग-अलग क्षेत्र से पकड़ा गया था, तो यह दोनों बिगड़ैल हाथी थे. ऐसे में रेडियो कॉलर आईडी लगाकर ये अध्ययन करने के लिए भी छोड़ गया था कि अब उनकी स्थिति में कितना सुधार आया है. क्या ये फिर से आवासीय क्षेत्र की ओर जाते हैं, इसे लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक बताते हैं की वैसे तो ज्यादातर टाइम ये हाथी जंगल में ही रहते हैं, लेकिन जब फसलों का समय होता है, तब ये उस क्षेत्र की ओर जाते हैं.

हालांकि इनके रेडियो कॉलर आईडी लगी है. पहले से सूचना मिल जाती है, तो लोगों को अवेयर कर दिया जाता है. जैसा कि पहले बताया कि वन्यप्राणियों में सीजनल बिहेवियर चेंज आते हैं. जब आवासीय क्षेत्र की ओर फसलें खड़ी होती हैं, तो ये उस ओर चले जाते हैं. जैसे महुआ, कटहल जो भी सीजनल फल या खेतों में पकी हुई फसल हुईं, उनके चक्कर में इनमें सीजनल पैटर्न बदलता है. तो उधर वो जाते हैं, लेकिन उतना नहीं जाते, अब ये ज्यादातर समय जंगलों में भी रहना पसंद करते हैं.

2 COLLAR ID ELEPHANTS BEHAVIOR
जंगलों में घूम रहा हाथी (ETV Bharat)

पल-पल की मिल रही खबर

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं कि "हाथियों में रेडियो कॉलर आईडी लग जाने के बाद इनके पल-पल की खबर मिल रही है. उनके हर एक मूवमेंट बिहेवियर का अध्ययन करने में मदद मिल रहा है. गांव वालों को पहले से ही आगाह कर दिया जाता है, कि वो उस ओर न जाएं. अगर जाना बहुत ही जरूरी है, तो समूह में जाएं.

इसके अलावा हमारे वन विभाग की टीम भी अलर्ट हो जाती है. उन्हें ट्रैक करने लगती है. साथ ही ये हाथी कभी-कभी ग्रुप में भी मिल जाते हैं, जो बांधवगढ़ में दूसरे हाथियों का ग्रुप है. उनके साथ भी चलने लगते हैं, तो उन हाथियों के मूवमेंट का भी पता चलता है."

BANDHAVGARH TIGER RESERVE ELEPHANTS
कॉलर आईडी के साथ छोड़े गए हाथी (ETV Bharat)

कब छोड़े गए थे ये हाथी ?

बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जो दो हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर छोड़ गया है. इनमें पहला हाथी 2 मार्च को शहडोल जिले के उत्तर वन मंडल अंतर्गत जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र के वनचाचर से रेस्क्यू किया गया था और बांधवगढ़ ले जाया गया था. जिसे 20 नवंबर को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर बांधवगढ़ के ताला बीट में छोड़ा गया था.

दूसरे हाथी की बात करें तो इस हाथी की उम्र 10 साल बताई जा रही है. ये हाथी अपने झुंड से बिछड़ कर चंदिया क्षेत्र में चला गया था, जहां 2 नवंबर को देवरा और चंदिया क्षेत्र में तीन लोगों को कुचल दिया था. इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी. इसे भी 9 दिसंबर को रेडियो कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ा गया था.

MARIA BANDHAVGARH TIGER RESERVE
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (ETV Bharat)

बांधवगढ़ में कितने हाथी ?

पूरे मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं, तो इस टाइगर रिजर्व में अब एमपी में सबसे ज्यादा हाथी भी पाये जाते हैं. यहां काफी संख्या में हाथी पिछले कुछ सालों से अपना परमानेंट आवास बना चुके हैं. बांधवगढ़ के जंगलों में घूमते टहलते नजर आ जाते हैं.

पर्यटकों को अब बाघ के साथ हाथियों के भी दीदार होते हैं. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 55 से 60 के लगभग हाथी पाए जाते हैं. ये हाथी साल 2018 से आने शुरू हुए हैं, जो कि छत्तीसगढ़ से होते हुए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे और अब यहीं रह रहे हैं. उनकी संख्या में दिनों दिन इजाफा होता दिख रहा है.

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