
'हां मैं रावण हूं' उज्जैन में लंकापति का खास संदेश, कलाकारी ऐसी कि खरीदने को दौड़े चले आ रहे बच्चे
उज्जैन में सकारात्मक संदेशों के साथ बिक रहे हैं रावण के पुतले, आकर्षक पुतलों को खरीदने में बच्चे दिखा रहे हैं गजब का उत्साह.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : October 1, 2025 at 7:33 PM IST
उज्जैन: राम का नहीं रावण का भक्त हूं मैं क्योंकि बहुत गलत करके भी बहुत सही हूं मैं. शायद इसलिए सबसे अलग हूं मैं. हां मैं रावण हूं. इस तरह के वाक्य लिखे हुए रावण के आकर्षक पुतले उज्जैन में बिक रहे हैं. इन पुतलों को बनाने वाले कलाकार का उद्देश्य समाज में सकारात्मक मैसेज पहुंचाना है. इन्हें खरीदने में बच्चे खूब उत्साह दिखा रहे हैं. वो पुतलों की अलग-अलग वैरायटी से आकर्षित होकर खरीदने के लिए बाजार तक पहुंच रहे हैं. ईटीवी भारत के संवाददाता ने ऐसे पुतले बेच रहे दुकानदारों और खरीदने पहुंच रहे बच्चों से बात की और इस पहल को समझने का प्रयास किया.
बाजार में बिक रहे सकारात्मक संदेश लिखे पुतले
देशभर में 2 अक्टूबर को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक का पर्व दशहरा मनाया जाएगा. इस दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है. इसके लिए कुछ लोग जहां खुद से या कारीगरों से पुतले तैयार करवा रहे हैं. वहीं, उज्जैन की बाजार में अलग-अलग वैरायटी के पुतलों का मार्केट सजा हुआ है. दुकान संचालक सुखविंदर सिंह खनूजा ने बताया "हमारे यहां रावण के पुतले नो प्रॉफिट नो लॉस में बनाए जाते हैं. हमारे यहां पर 150 रुपए से रावण के पुतलों की शुरुआत होती है.
चुकीं रावण बहुत ज्ञानी था. ऐसे में बच्चे उसके दहन के साथ-साथ कुछ ज्ञान भी प्राप्त कर सके. इस उद्देश्य से पुतलों पर इस तरह के खास संदेश लिखे गए हैं." वहीं कमरी मार्ग स्थित व्यापारी गोयल परिवार ने कहा कि "रावण के पुतले की कीमत की शुरुआत 300 रुपए से 1 हजार रुपए तक जाती है. बच्चे बड़े उत्साह के साथ खरीदने पहुंच रहे हैं."
पुतला खरीदने पहुंचे बच्चों ने क्या कहा?
रावण का पुतला खरीदने पहुंचे बच्चों में आठवीं कक्षा के छात्र अर्णव ने कहा कि "मैं उज्जैन का ही रहने वाला हूं और अपने पिता के साथ रावण का पुतला खरीदना आया हूं. यहां इसलिए आया हूं, क्योंकि यहां के रावण के पुतले के जरिए खास संदेश दिया जा रहा है, जिसे हम अपने जीवन में भी उतार पाएंगे.

रावण के पुतलों पर लिखे ये मैसेज हमें जीवन जीने के तरीके से परिचित करवा रहें हैं." छात्र मोनू राठौर ने बताया "परिवार के साथ हमें इस त्यौहार को जोकी अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक है, उसे मनाना चाहिए. यह संदेश हमने यहां से प्राप्त किया और रावण का सर खरीदा है बाकि धड़ हमने खुद से बनाया है."

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रावण के पुतलों पर लिखे हैं इस तरह के संदेश
- रावण के 10 चेहरे थे लेकिन स्पष्ट दिखाई देते थे.
- रावण अपनों से हारा था यह बात दिल पर लगाए बैठा हूं, मैं अपने राज अपनों से ही छुपाए बैठा हूं.
- करना ही है तो रावण के जैसा ज्ञान प्राप्त करो, जिससे लोग युगों-युगों तक आपकी कुछ बुराइयों के बावजूद आपको याद रख सकें.
- सच्चे रिश्ते साथ और समय के सिवाय कुछ नहीं मानते हैं.
- कलयुग है यह मेरे भाई, यहां नाम जैसा न काम है. मन में छुपा रावण उसकी भूमिका निभाते जो राम हैं.

