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महाकाल को गर्मी से बचाएंगी 11 नदियां, 2 माह बाबा के शीश पर ठंडे पानी का अभिषेक - UJJAIN MAHAKELESHWAR TEMPLE

महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने गलंतिका अभिषेक की शुरुआत हो गई है. अब दो महीने भगवान को शीतल जलधारा चढ़ाई जाएगी.

ujjain mahakeleshwar temple
महाकाल को गर्मी से बचाने खास इंतजाम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 13, 2025 at 9:09 AM IST

Updated : April 13, 2025 at 9:29 AM IST

2 Min Read

उज्जैन: उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में परंपरागत रूप से वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तक भगवान महाकाल पर गलंतिका से अभिषेक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस दौरान भगवान पर लगातार शीतल जलधारा प्रवाहित की जाएगी. जिस तरीके से लोग गर्मी से अपने आपको बचाने के लिए कूलर, एसी और ठंडाई का सहारा लेते हैं. वैसे ही भगवान महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए ठंडे जल की धाराएं मटकियों के माध्यम से चढ़ाते हैं.

कलश पर पवित्र नदियों के नाम अंकित
रविवार 13 अप्रैल, वैशाख कृष्ण प्रतिपदा के दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः भस्म आरती के बाद गलंतिका बांधने की पवित्र प्रक्रिया संपन्न हुई. इस धार्मिक आयोजन के तहत 11 मिट्टी के कलशों से भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक किया जाएगा. हर कलश पर प्रतीकात्मक रूप से पवित्र नदियों के नाम– जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी, सरस्वती, सिंधु, क्षिप्रा, सरयू, गंडकी और अलखनंदा अंकित हैं.

2 माह बाबा के शीश पर ठंडे पानी का अभिषेक (ETV Bharat)

भगवान महाकालेश्वर पर ठंडे जल की सतत धारा प्रवाहित
इस विशेष व्यवस्था के तहत प्रतिदिन प्रातः 6 बजे भस्म आरतीके पश्चात से लेकर संध्या पूजन (शाम 5 बजे) तक भगवान महाकालेश्वर पर ठंडे जल की सतत धारा प्रवाहित होती रहेगी. यह जलधारा गर्मी से राहत देने और भगवान को शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से दो माह तक जारी रहेगी. ध्यान देने वाली बात यह है कि
यह परंपरा वर्षों से निरंतर चली आ रही है, जिसमें हर वर्ष वैशाख से ज्येष्ठ तक गर्मी के दौरान भगवान महाकालेश्वर पर मिट्टी के 11 कलशों के माध्यम से जलधारा प्रवाहित की जाती है. जिससे गर्मी से बाबा महाकाल को बचाया जाए और ठडक मिले.

उज्जैन: उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में परंपरागत रूप से वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तक भगवान महाकाल पर गलंतिका से अभिषेक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस दौरान भगवान पर लगातार शीतल जलधारा प्रवाहित की जाएगी. जिस तरीके से लोग गर्मी से अपने आपको बचाने के लिए कूलर, एसी और ठंडाई का सहारा लेते हैं. वैसे ही भगवान महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए ठंडे जल की धाराएं मटकियों के माध्यम से चढ़ाते हैं.

कलश पर पवित्र नदियों के नाम अंकित
रविवार 13 अप्रैल, वैशाख कृष्ण प्रतिपदा के दिन श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः भस्म आरती के बाद गलंतिका बांधने की पवित्र प्रक्रिया संपन्न हुई. इस धार्मिक आयोजन के तहत 11 मिट्टी के कलशों से भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक किया जाएगा. हर कलश पर प्रतीकात्मक रूप से पवित्र नदियों के नाम– जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी, सरस्वती, सिंधु, क्षिप्रा, सरयू, गंडकी और अलखनंदा अंकित हैं.

2 माह बाबा के शीश पर ठंडे पानी का अभिषेक (ETV Bharat)

भगवान महाकालेश्वर पर ठंडे जल की सतत धारा प्रवाहित
इस विशेष व्यवस्था के तहत प्रतिदिन प्रातः 6 बजे भस्म आरतीके पश्चात से लेकर संध्या पूजन (शाम 5 बजे) तक भगवान महाकालेश्वर पर ठंडे जल की सतत धारा प्रवाहित होती रहेगी. यह जलधारा गर्मी से राहत देने और भगवान को शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से दो माह तक जारी रहेगी. ध्यान देने वाली बात यह है कि
यह परंपरा वर्षों से निरंतर चली आ रही है, जिसमें हर वर्ष वैशाख से ज्येष्ठ तक गर्मी के दौरान भगवान महाकालेश्वर पर मिट्टी के 11 कलशों के माध्यम से जलधारा प्रवाहित की जाती है. जिससे गर्मी से बाबा महाकाल को बचाया जाए और ठडक मिले.

Last Updated : April 13, 2025 at 9:29 AM IST
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