ETV Bharat / state

बाबा महाकाल के दर्शन का ये है सही तरीका, एक गलती पूर्ण लाभ से कर देगी वंचित - RIGHT WAY TO MAHAKAL DARSHAN

बाबा महाकाल के दर्शन का क्या है पारंपरिक तरीका? इस तरीके से महाकाल के दर्शन करने से मिलता है पूर्ण लाभ, इस रिपोर्ट में जानें.

RIGHT WAY TO MAHAKAL DARSHAN
महाकाल के दर्शन का क्या है सही तरीका? (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 9, 2025 at 8:04 PM IST

5 Min Read

उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल का धाम लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का खास केंद्र है. महाकाल के दर्शन के लिए यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कुछ साल पहले एक परंपरा के अनुसार भक्तों के दर्शन की व्यवस्था थी, लेकिन समय के साथ भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक व्यवस्था ने इसको बदल कर रख दिया. ईटीवी भारत ने दर्शन की पुरानी व्यवस्था को जानने के लिए महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी महेश शर्मा से बात की और उनसे जाना का महाकाल के दर्शन के उचित तरीका क्या है? आपको भी इस तरीके को जानना चाहिए और उसी अनुसार दर्शन करना चाहिए, जिससे आपको पूर्ण लाभ की प्राप्ति हो.

भगवान वीरभद्र के दर्शन की अनुमति का है महत्व?

महेश शर्मा ने दर्शन पूजन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि "अल सुबह भस्म आरती के दौरान सबसे पहले मुख्य द्वार पर भगवान के प्रिय गण वीरभद्र को जल अर्पित कर उनसे आग्रह कर चांदी का द्वार खोला जाता है. वीरभद्र के पूजन के बाद गण मान भद्र और फिर भगवान के अति प्रिय गण नंदी, जिन्हें भगवान के पास आने-जाने के लिए किसी की अनुमति नहीं चाहिए, उनका दर्शन पूजन किया जाता है. प्रतिदिन पूजन की इस परंपरा का निर्वहन मंदिर के पुजारी और पुरोहित करते हैं. इसके बाद श्रद्धालुओं को महाकाल के दर्शन करवाते हैं."

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया महाकाल के दर्शन का सही तरीका (ETV Bharat)

महेश शर्मा ने बताया कि "कुछ सालों पहले तक जिस प्रकार मंदिर के पुजारी और पुरोहित दर्शन करते हैं, उसी तरीके से बाकि के श्रद्धालुओं को भी दर्शन कराया जाता था, लेकिन भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक व्यवस्थाओं में बदलाव किए गए, जिसके बाद से ये नहीं व्यवस्था लागू की गई. अब इसकी वजह से लोग दर्शन पूजन के पारंपरिक महत्व को भूलते जा रहे हैं."

Why important Veerbhadra darshan
वीरभद्र के दर्शन करना क्यों है जरूरी? (ETV Bharat)

काल भैरव के कभी भी कर सकते हैं दर्शन

महेश पुजारी ने भगवान काल भैरव के दर्शन को लेकर कहा कि "काल भैरव भगवान के सेनापति हैं. सेनापति के दर्शन आप पहले या बाद में कभी भी कर सकते हैं. शक्तिपीठ के दर्शन से पहले सेनापति काल भैरव की अनुमति जरूरी है. बाबा महाकाल के दर्शन करने हैं, तो सबसे पहले भगवान वीरभद्र, मानभद्र और फिर नंदी जिन्हें आग्रह कर अपनी मनोकामना उनके कानों में कहकर आप भगवान तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं."

UJJAIN MAHAKAL DARSHAN PROCESS
सभी गणों के स्मरण न करने से आरती रह जाती है अधूरी (ETV Bharat)

वीरभद्र के दर्शन क्यों है जरूरी?

भगवान वीरभद्र के बारे में महेश पुजारी ने बताया कि "वीरभद्र बाबा महाकाल के प्रिय गण हैं, जिन्हें भगवान ने अपनी जटा के बाल से उत्पन्न किया था. जब राजा दक्ष के यहां सती ने अग्नि में अपनी देह त्यागी तब भगवान महाकाल ने वीरभद्र को आज्ञा दी की दक्ष के साम्राज्य को नष्ट कर आओ. वीरभद्र ने आज्ञा का पालन कर दक्ष के साम्राज्य को नष्ट किया और फिर भगवान महाकाल ने वीरभद्र को आशीर्वाद दिया कि जहां-जहां भी उनके ज्योतिर्लिंग होंगे वहां द्वार पर वीरभद्र विराजमान होंगे." महेश पुजारी ने कहा कि "इसलिए सबसे पहले वीरभद्र से आग्रह कर उनका पूजन कर भगवान का द्वार खोला जाता है और फिर मानभद्र नदी का पूजन करते हुए महाकाल का पूजन ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में होता है."

सभी गणों के स्मरण न करने से आरती रह जाती है अधूरी

महेश पुजारी ने बताया कि "मंदिर में भगवान महाकाल के सभी गणों का स्मरण आरती के पश्चात किया जाता है. मंदिर में 5 आरती होती है, अगर गणों का स्मरण नहीं किया जाए तो आरती के बाद तो इनका फल अधूरा रह जाता है. इसीलिए आरती के बाद एक श्लोक बोला जाता है 'बाण रावण चंडीश श्रृंगी भृंगी रिटादया, सदाशिवस्य नैवेद्यम सर्वे गृहणन्तु साम्भवा' इस श्लोक से सभी गाणों का स्मरण कर आरती व दर्शन का पूर्ण लाभ मिलता है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जैसे लोग जो हमारी संस्कृति और सभ्याता को ठीक से जानते हैं वो पारंपरिक तरीके से दर्शन कर इसका पूर्ण लाभ लेते हैं.

आज के समय में कैसी है दर्शन व्यवस्था?

भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए आमजन को नि:शुल्क महाकाल महालोक में बने मानसरोवर प्रवेश द्वार से प्रवेश करना होता है, जहां से विशाल टनल से होते हुए गणेश मंडपम और कार्तिक मंडपम में लगी बैरिकेडिंग से भगवान के दर्शन लाभ मिलते हैं. वहीं, अगर कोई शीघ्र दर्शन में 251 रुपए की रसीद कटवा कर प्रवेश करता है, तो मंदिर के शंख द्वारा से होते हुए, कुंड के यहां और यही से सीधा नंदी हॉल में लगे बैरिकेडिंग से दर्शन कर पता है. इसके अलावा अगर कोई वीआईपी, वीवीआईपी, सेलिब्रिटी, खिलाड़ी हैं, तो सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से उन्हें शंख द्वारा होते हुए कुंड के यहां से भगवान वीरभद्र, मानभद्र के दर्शन करवाते हुए गर्भ ग्रह के द्वार और नंदी तक दर्शन व्यवस्था की जाती है.

उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल का धाम लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का खास केंद्र है. महाकाल के दर्शन के लिए यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. कुछ साल पहले एक परंपरा के अनुसार भक्तों के दर्शन की व्यवस्था थी, लेकिन समय के साथ भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक व्यवस्था ने इसको बदल कर रख दिया. ईटीवी भारत ने दर्शन की पुरानी व्यवस्था को जानने के लिए महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी महेश शर्मा से बात की और उनसे जाना का महाकाल के दर्शन के उचित तरीका क्या है? आपको भी इस तरीके को जानना चाहिए और उसी अनुसार दर्शन करना चाहिए, जिससे आपको पूर्ण लाभ की प्राप्ति हो.

भगवान वीरभद्र के दर्शन की अनुमति का है महत्व?

महेश शर्मा ने दर्शन पूजन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि "अल सुबह भस्म आरती के दौरान सबसे पहले मुख्य द्वार पर भगवान के प्रिय गण वीरभद्र को जल अर्पित कर उनसे आग्रह कर चांदी का द्वार खोला जाता है. वीरभद्र के पूजन के बाद गण मान भद्र और फिर भगवान के अति प्रिय गण नंदी, जिन्हें भगवान के पास आने-जाने के लिए किसी की अनुमति नहीं चाहिए, उनका दर्शन पूजन किया जाता है. प्रतिदिन पूजन की इस परंपरा का निर्वहन मंदिर के पुजारी और पुरोहित करते हैं. इसके बाद श्रद्धालुओं को महाकाल के दर्शन करवाते हैं."

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया महाकाल के दर्शन का सही तरीका (ETV Bharat)

महेश शर्मा ने बताया कि "कुछ सालों पहले तक जिस प्रकार मंदिर के पुजारी और पुरोहित दर्शन करते हैं, उसी तरीके से बाकि के श्रद्धालुओं को भी दर्शन कराया जाता था, लेकिन भक्तों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक व्यवस्थाओं में बदलाव किए गए, जिसके बाद से ये नहीं व्यवस्था लागू की गई. अब इसकी वजह से लोग दर्शन पूजन के पारंपरिक महत्व को भूलते जा रहे हैं."

Why important Veerbhadra darshan
वीरभद्र के दर्शन करना क्यों है जरूरी? (ETV Bharat)

काल भैरव के कभी भी कर सकते हैं दर्शन

महेश पुजारी ने भगवान काल भैरव के दर्शन को लेकर कहा कि "काल भैरव भगवान के सेनापति हैं. सेनापति के दर्शन आप पहले या बाद में कभी भी कर सकते हैं. शक्तिपीठ के दर्शन से पहले सेनापति काल भैरव की अनुमति जरूरी है. बाबा महाकाल के दर्शन करने हैं, तो सबसे पहले भगवान वीरभद्र, मानभद्र और फिर नंदी जिन्हें आग्रह कर अपनी मनोकामना उनके कानों में कहकर आप भगवान तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं."

UJJAIN MAHAKAL DARSHAN PROCESS
सभी गणों के स्मरण न करने से आरती रह जाती है अधूरी (ETV Bharat)

वीरभद्र के दर्शन क्यों है जरूरी?

भगवान वीरभद्र के बारे में महेश पुजारी ने बताया कि "वीरभद्र बाबा महाकाल के प्रिय गण हैं, जिन्हें भगवान ने अपनी जटा के बाल से उत्पन्न किया था. जब राजा दक्ष के यहां सती ने अग्नि में अपनी देह त्यागी तब भगवान महाकाल ने वीरभद्र को आज्ञा दी की दक्ष के साम्राज्य को नष्ट कर आओ. वीरभद्र ने आज्ञा का पालन कर दक्ष के साम्राज्य को नष्ट किया और फिर भगवान महाकाल ने वीरभद्र को आशीर्वाद दिया कि जहां-जहां भी उनके ज्योतिर्लिंग होंगे वहां द्वार पर वीरभद्र विराजमान होंगे." महेश पुजारी ने कहा कि "इसलिए सबसे पहले वीरभद्र से आग्रह कर उनका पूजन कर भगवान का द्वार खोला जाता है और फिर मानभद्र नदी का पूजन करते हुए महाकाल का पूजन ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में होता है."

सभी गणों के स्मरण न करने से आरती रह जाती है अधूरी

महेश पुजारी ने बताया कि "मंदिर में भगवान महाकाल के सभी गणों का स्मरण आरती के पश्चात किया जाता है. मंदिर में 5 आरती होती है, अगर गणों का स्मरण नहीं किया जाए तो आरती के बाद तो इनका फल अधूरा रह जाता है. इसीलिए आरती के बाद एक श्लोक बोला जाता है 'बाण रावण चंडीश श्रृंगी भृंगी रिटादया, सदाशिवस्य नैवेद्यम सर्वे गृहणन्तु साम्भवा' इस श्लोक से सभी गाणों का स्मरण कर आरती व दर्शन का पूर्ण लाभ मिलता है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जैसे लोग जो हमारी संस्कृति और सभ्याता को ठीक से जानते हैं वो पारंपरिक तरीके से दर्शन कर इसका पूर्ण लाभ लेते हैं.

आज के समय में कैसी है दर्शन व्यवस्था?

भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए आमजन को नि:शुल्क महाकाल महालोक में बने मानसरोवर प्रवेश द्वार से प्रवेश करना होता है, जहां से विशाल टनल से होते हुए गणेश मंडपम और कार्तिक मंडपम में लगी बैरिकेडिंग से भगवान के दर्शन लाभ मिलते हैं. वहीं, अगर कोई शीघ्र दर्शन में 251 रुपए की रसीद कटवा कर प्रवेश करता है, तो मंदिर के शंख द्वारा से होते हुए, कुंड के यहां और यही से सीधा नंदी हॉल में लगे बैरिकेडिंग से दर्शन कर पता है. इसके अलावा अगर कोई वीआईपी, वीवीआईपी, सेलिब्रिटी, खिलाड़ी हैं, तो सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से उन्हें शंख द्वारा होते हुए कुंड के यहां से भगवान वीरभद्र, मानभद्र के दर्शन करवाते हुए गर्भ ग्रह के द्वार और नंदी तक दर्शन व्यवस्था की जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.