उज्जैन: उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान ओटीटी पर फैल रही अश्लीलता पर सवाल खड़े किए. टीवी शो बिग बॉस सहित कई टीवी शो में अनैतिक कंटेंट को लेकर सांसद फिरोजिया ने चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा "ये शो भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ हैं. ऐसे शो समाज में गलत मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हैं. बिग बॉस जैसे रियलिटी शो पहले सामान्य मनोरंजन का साधन थे, लेकिन अब इनका मुख्य उद्देश्य विवादित और अश्लील कंटेंट के जरिए टीआरपी बटोरना है."
भारतीय संस्कृति के खिलाफ कई टीवी शो
सांसद फिरोजिया ने कहा "इस शो में गालीगलौच, व्यक्तिगत जीवन की गोपनीयता का उल्लंघन, अश्लील संवाद और अनैतिक व्यवहार को बार-बार दिखाया जाता है, जिससे समाज और खासकर युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इस तरह के शो संस्कृति और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ हैं. नई पीढ़ी को गलत दिशा में धकेल रहे हैं. ऐसे शो लोगों को यह सिखा रहा है कि अश्लीलता और विवादों के जरिए ही लोकप्रियता पाई जा सकती है, जो पूरी तरह गलत संदेश देता है."
आज संसद सदन में माननीय सभापति जी के समक्ष अपने संबोधन में माननीय केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जी से टीवी पर प्रसारित हो रहे बिग बॉस एवं अन्य समान कार्यक्रम, जो समाज में अश्लीलता को बढ़ावा दे रहे हैं, उनके प्रसारण पर यथाशीघ्र रोक लगाने की माँग की।@AshwiniVaishnaw @MIB_India pic.twitter.com/KOCjNXCpJ6
— Anil Firojiya (@bjpanilfirojiya) March 27, 2025
बिग बॉस के होस्ट व निर्माता की निंदा
बिग बॉस के होस्ट सलमान खान की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा "उनकी लोकप्रियता के कारण यह शो करोड़ों लोगों तक पहुंचता है. लेकिन शो के विवादित और अश्लील तत्वों को कभी-कभी मजाक में लिया जाता है, जिससे यह संदेश जाता है कि ऐसा व्यवहार सामान्य और स्वीकार्य है. इस शो के निर्माता और होस्ट को अपने सामाजिक दायित्व को समझना चाहिए और ऐसा कंटेंट दिखाने से बचना चाहिए, जो समाज में नैतिक पतन को बढ़ावा देता हो."
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सरकार से की सख्त निगरानी की मांग
सांसद अनिल फिरोजिया ने सरकार से अनुरोध किया "OTT प्लेटफॉर्म और टेलीविजन शो पर सख्त निगरानी रखी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी कंटेंट भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ न जाए. हमें ऐसे कार्यक्रमों पर अंकुश लगाना होगा जो बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं. परिवारों को भी सतर्क रहना चाहिए कि वे अपने बच्चों को क्या देखने दे रहे हैं. हमें यह तय करना होगा कि हमारे समाज में क्या प्रसारित किया जाए और क्या नहीं."