रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड अपनी पवित्र नदियों और पौराणिक मान्यताओं वाले मंदिरों के कारण देवभूमि कहलाता है. यहीं मां पार्वती और शिव का वास स्थल है तो यहीं से राम-रावण युद्ध में हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लंका ले जाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाए थे. ऐसा ही एक शिव मंदिर उत्तराखंड में जिसके दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं. भगवान शिव का ये मंदिर साल में सिर्फ 6 महीने खुलता है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मंदिर का वीडियो शेयर करके लोगों से इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने का आग्रह किया है.
सीएम धामी ने शेयर किया तुंगनाथ मंदिर का वीडियो: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रोज अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर उत्तराखंड के एक मंदिर का वीडियो शेयर करते हैं. सीएम धामी सनातन धर्म के अनुयायियों से उस मंदिर के दर्शन करने का आग्रह करते हैं. इससे एक तो उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है. दूसरा इन पौराणिक मंदिरों के बारे में देश-दुनिया के लोग जानते हैं. आज सीएम धामी ने दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर का वीडियो शेयर किया है. सीएम धामी ने तुंगनाथ मंदिर का वीडियो शेयर करके लिखा-
जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित श्री तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। आध्यात्मिक केंद्र होने के साथ ही यह दिव्य स्थान नैसर्गिक सौंदर्यता से परिपूर्ण है। यह क्षेत्र ट्रेकिंग के साथ ही सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। यह पौराणिक मंदिर पंच केदारों में से एक है,… pic.twitter.com/lEmyQFOyJZ
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) April 10, 2025
'जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित श्री तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। आध्यात्मिक केंद्र होने के साथ ही यह दिव्य स्थान नैसर्गिक सौंदर्यता से परिपूर्ण है। यह क्षेत्र ट्रेकिंग के साथ ही सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। यह पौराणिक मंदिर पंच केदारों में से एक है, जहां शिव की भुजाओं का पूजन किया जाता है। अपने रुद्रप्रयाग आगमन पर श्री तुंगनाथ महादेव के दर्शन अवश्य करें।'
दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर है तुंगनाथ: आइए अब हम आपको उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित पंच केदार में से एक तुंगनाथ मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं. तुंगनाथ शिव मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर स्थित है. ये मंदिर दुनिया में सबसे ऊंचाई वाले स्थान पर बना मंदिर है. तुंगनाथ पंच केदारों में तृतीय केदार है. इस मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई 3,680 मीटर है. कहा जाता है कि तुंगनाथ मंदिर 1,000 साल से भी ज्यादा पुराना है.
पांडवों से है तुंगनाथ मंदिर का कनेक्शन: मान्यता है कि तुंगनाथ मंदिर को पांडवों ने बनवाया था. महाभारत युद्ध संपन्न होने के बाद पांडव भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. इसके लिए वो भगवान शिव के दर्शन करना चाहते थे. उन्हें लगता था कि भगवान शिव ही उन्हें इस पाप से मुक्ति दिला सकते हैं. इसी क्रम में वो हिमालय के इस क्षेत्र में आए थे. ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तुंगनाथ मंदिर बनवाया था.
श्रीराम से भी जुड़ा है ये स्थान: स्थानीय लोगों में मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी. मंदिर से जुड़ी एक और कथा भी है. इस कथा के अनुसार श्रीराम ने युद्ध में रावण का वध कर दिया था. लंका से लौटने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने ब्रह्म हत्या के श्राप से मुक्ति पाने के लिए इस स्थान पर तपस्या की. इस कारण इस जगह को चंद्रशिला भी कहते हैं. चंद्रशिला, तुंगनाथ मंदिर के ऊपर स्थित एक शिखर है. ये शिखर समुद्र तल से लगभग 13,000 फीट यानी 4,000 मीटर की ऊंचाई पर है.
कैसे पहुंचें तुंगनाथ मंदिर? अगर आप मैदानी इलाकों से आ रहे हैं तो सबसे पहले आपको ऋषिकेश आना होगा. ऋषिकेश बस, ट्रेन और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश से बस या टैक्सी से देवप्रयाग और श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग पहुंचेंगे. रुद्रप्रयाग से चोपता पहुंचेंगे. चोपता से तुंगनाथ का सफर 4 किलोमीटर का है. तुंगनाथ से आप चंद्रशिला के दर्शन भी कर सकते हैं.
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