ETV Bharat / state

स्नेक बाइट के मामलों में झाड़ फूंक पड़ रहा भारी, 'गोल्डन आवर' में मरीजों को अस्पताल पहुंचाएगी पुलिस - SNAKE BITE CASES

स्नेक बाइट के मामलों में पीड़ित की मौत हो जाती है. ऐसे में पुलिस को प्रशिक्षण दिया जाएगा...

स्नेक बाइट के मामलों में पुलिस को प्रशिक्षण
स्नेक बाइट के मामलों में पुलिस को प्रशिक्षण (ETV Bharat (Symbolic))
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 21, 2025 at 6:55 PM IST

6 Min Read

कोटा : हाड़ौती संभाग में स्नेक बाइट के काफी केस आते हैं. इनमें से बड़ी संख्या में लोग उपचार में देरी के चलते या तो अस्पताल पहुंचने के पहले ही मर जाते हैं या फिर अस्पताल में गंभीर अवस्था में पहुंचने के चलते चिकित्सा उपचार के बावजूद भी वो दम तोड़ देते हैं. समय से अस्पताल पहुंचने वाले लोगों को चिकित्सक बचा लेते हैं. उनका सर्वाइवल का आंकड़ा भी काफी ज्यादा रहता है. ऐसे में यह सामने आता है कि अधिकांश लोग उपचार में देरी झाड़ फूंक या भोपा के चलते भी करते हैं. कई लोग देवी देवताओं के चबूतरे पर भी पीड़ित को ले जाते हैं.

कोटा संभाग के चारों जिलों में पुलिस को इस संबंध में ट्रेनिंग दी जाएगी. महानिरीक्षक कोटा रवि दत्त गौड़ के निर्देश पर पुलिस लाइन में सेशंस आयोजित किए जाएंगे. इसमें उन्हें सांप की पहचान और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी जाएगी. साथ ही उन्हें जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल भेजने के संबंध में भी समझाया जाएगा. इसके लिए चारों जिलों में पुलिस लाइन में अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और गेस्ट लेक्चर भी दिए जाएंगे. इसमें पुलिस अधिकारियों से लेकर कांस्टेबल तक को प्रशिक्षण दिया जाएगा. आईजी रवि दत्त गौड़ ने संभाग के पांचों जिला पुलिस को पत्र भी लिख दिया है, जिनमें बारां, बूंदी, झालावाड़, कोटा सिटी और ग्रामीण पुलिस शामिल हैं.

हाड़ौती में स्नेक बाइट के काफी मामले आते हैं. (ETV Bharat kota)

पढ़ें. दर्दनाक! सांप के काटने से बच्चों की मौत, मां को बचाया गया, जानिए पूरा मामला

हाड़ौती में 2500 केस और 50 मौत : प्रोफेसर विनोद महोबिया सर्प एवं मानव कल्याण संस्थान के विनीत महोबिया ने बताया कि कई बार सांप के काटने के बाद यह भी पता नहीं चलता कि सांप ने काटा या नहीं. ऐसे में भी लोग उपचार में देरी कर देते हैं, इसीलिए पुलिस की मदद इसमें भी कारगर हो सकती है. मार्च से गर्मी से लेकर बारिश के पूरे सीजन के खत्म होने तक नवंबर-दिसंबर तक केस ज्यादा आते हैं. इसमें औसत हाड़ौती में चार से पांच केस रोज आते हैं. ऐसे में माना जाए तो 1 महीने में 150 से 200 के बीच में केस आते हैं. हालांकि, सर्दी के सीजन में भी स्नेक बाइट होती है. तब मामले थोड़े कम रहते हैं. पूरे साल भर में यह केस करीब 2500 होते हैं, जिनमें करीब 50 की मौत हो जाती है. इनमें से भी अधिकांश उपचार में देरी के चलते मरते हैं.

पढ़ें. सरकारी स्कूल में एसयूपीडब्ल्यू के शिविर में सर्पदंश से छात्रा की मौत

इस संबंध में देंगे जानकारी : महोबिया का कहना है कि पुलिस को अलग-अलग तरह के सांपों के संबंध में जानकारी दी जाएगी. किस तरह के स्नेक के काटने पर किस तरह के लक्षण नजर आते हैं. सांपों के जहर से किस तरह से शरीर पर प्रभाव होता है. अलग-अलग सांपों का जहर किस तरह से शरीर पर असर करता है. पुलिस सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचती है और लोगों की पुलिस तक पहुंच भी आसान है. ऐसे में स्नेक बाइट पहचान का तरीका भी उन्हें बताया जाएगा.

ये है प्राथमिक उपचार
ये है प्राथमिक उपचार (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. बुझ गया घर का चिराग! जहरीले सांप के काटने से 1 घंटे के भीतर भाई-बहन ने तोड़ा दम

उपचार छोड़कर पहुंच जाते हैं देवी देवताओं तक : महोबिया ने बताया कि अस्पताल में कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो अस्पताल में भर्ती मरीज को भी देवी देवी देवताओं के पास ले जाने की जिद करते हैं. ऐसे कई लोगों से समझाइश भी करते हैं. चिकित्सक के मना करने के बावजूद भी यह नहीं मानते हैं. कई तो ऐसे होते हैं जो उपचार को छोड़कर देवी देवताओं के चबूतरा तक पहुंच जाते हैं. उपचार रुकने पर उनकी मौत हो जाती है. ऐसे लोगों को सलाह यह भी देते हैं कि देवी देवताओं का आशीर्वाद फूल, भभूत या लच्छे से अस्पताल में ही कर लें. यहां तक की भोपों को अस्पताल में भी बुला लेते हैं.

पढ़ें. धौलपुर में पिता के साथ खेत पर गए बालक की सर्पदंश से मौत

समय, पैसा और जान तीनों की होगी मदद : महोबिया का कहना है कि समय पर अस्पताल पहुंचने पर उपचार में भी ज्यादा खर्च नहीं आता है. समय से इलाज शुरू हो जाने पर मरीज जल्द रिकवर हो जाता है. स्नेक कैचर रॉकी डेनियल का कहना है कि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं, लेकिन कुछ सांप की बाइट के बाद ज्यादा समय लोगों को नहीं मिलता है. स्नेक बाइट के बाद करीब 2 घंटे गोल्डन आवर माने जाते हैं. इसमें इलाज शुरू होने पर अधिकांश मरीज बच जाते हैं.

ये न करें
ये न करें (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. Death in Snake Bite : उदयपुर में सांप के काटने से खेत में खेल रहे भाई-बहन की मौत

केस 01 - देवता के चबूतरे पर किया घंटे इंतजार, उपचार में देरी से मौत
स्नेक कैचर गोविंद शर्मा ने बताया कि शहर के स्टेशन इलाके का करीब 12 वर्षीय बालक अपनी चाची के घर बलिंडा गया हुआ था. यहां पर बालक अपनी चाची के पास सोया था. उसे रात 10 बजे कॉमन क्रेट स्नेक ने काट लिया. घटना के बाद परिजन तुरंत उसे नजदीक के किसी चबूतरे पर ले गए, जहां पर काफी देर यह लोग इंतजार करते रहे. सुबह 3 बजे उसे अस्पताल लेकर गए, जहां पर इलाज शुरू हुआ, लेकिन उसने दम तोड़ दिया.

केस 02- उपचार में देरी से शरीर में फैल गया जहर
जिले के ही मंडारिया निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति को 31 मई को कोबरा स्नेक ने काट लिया था. यह घटनाक्रम शाम 5 बजे हुआ था. यह भाग कर पहले अपने गांव पहुंचा, जहां पर परिजनों को इस संबंध में सूचना दी. इसके बाद उसे परिजन किसी देव जी के थानक पर ले गए. यहां पर इसकी तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया. इसके बाद परिजन इसे कोटा के निजी अस्पताल में लेकर आए. उपचार में देरी होने से शरीर में जहर फैल गया. इसे वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया व चिकित्सकों ने बड़ी मशक्कत कर इसे बचा लिया.

कोटा : हाड़ौती संभाग में स्नेक बाइट के काफी केस आते हैं. इनमें से बड़ी संख्या में लोग उपचार में देरी के चलते या तो अस्पताल पहुंचने के पहले ही मर जाते हैं या फिर अस्पताल में गंभीर अवस्था में पहुंचने के चलते चिकित्सा उपचार के बावजूद भी वो दम तोड़ देते हैं. समय से अस्पताल पहुंचने वाले लोगों को चिकित्सक बचा लेते हैं. उनका सर्वाइवल का आंकड़ा भी काफी ज्यादा रहता है. ऐसे में यह सामने आता है कि अधिकांश लोग उपचार में देरी झाड़ फूंक या भोपा के चलते भी करते हैं. कई लोग देवी देवताओं के चबूतरे पर भी पीड़ित को ले जाते हैं.

कोटा संभाग के चारों जिलों में पुलिस को इस संबंध में ट्रेनिंग दी जाएगी. महानिरीक्षक कोटा रवि दत्त गौड़ के निर्देश पर पुलिस लाइन में सेशंस आयोजित किए जाएंगे. इसमें उन्हें सांप की पहचान और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी जाएगी. साथ ही उन्हें जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल भेजने के संबंध में भी समझाया जाएगा. इसके लिए चारों जिलों में पुलिस लाइन में अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और गेस्ट लेक्चर भी दिए जाएंगे. इसमें पुलिस अधिकारियों से लेकर कांस्टेबल तक को प्रशिक्षण दिया जाएगा. आईजी रवि दत्त गौड़ ने संभाग के पांचों जिला पुलिस को पत्र भी लिख दिया है, जिनमें बारां, बूंदी, झालावाड़, कोटा सिटी और ग्रामीण पुलिस शामिल हैं.

हाड़ौती में स्नेक बाइट के काफी मामले आते हैं. (ETV Bharat kota)

पढ़ें. दर्दनाक! सांप के काटने से बच्चों की मौत, मां को बचाया गया, जानिए पूरा मामला

हाड़ौती में 2500 केस और 50 मौत : प्रोफेसर विनोद महोबिया सर्प एवं मानव कल्याण संस्थान के विनीत महोबिया ने बताया कि कई बार सांप के काटने के बाद यह भी पता नहीं चलता कि सांप ने काटा या नहीं. ऐसे में भी लोग उपचार में देरी कर देते हैं, इसीलिए पुलिस की मदद इसमें भी कारगर हो सकती है. मार्च से गर्मी से लेकर बारिश के पूरे सीजन के खत्म होने तक नवंबर-दिसंबर तक केस ज्यादा आते हैं. इसमें औसत हाड़ौती में चार से पांच केस रोज आते हैं. ऐसे में माना जाए तो 1 महीने में 150 से 200 के बीच में केस आते हैं. हालांकि, सर्दी के सीजन में भी स्नेक बाइट होती है. तब मामले थोड़े कम रहते हैं. पूरे साल भर में यह केस करीब 2500 होते हैं, जिनमें करीब 50 की मौत हो जाती है. इनमें से भी अधिकांश उपचार में देरी के चलते मरते हैं.

पढ़ें. सरकारी स्कूल में एसयूपीडब्ल्यू के शिविर में सर्पदंश से छात्रा की मौत

इस संबंध में देंगे जानकारी : महोबिया का कहना है कि पुलिस को अलग-अलग तरह के सांपों के संबंध में जानकारी दी जाएगी. किस तरह के स्नेक के काटने पर किस तरह के लक्षण नजर आते हैं. सांपों के जहर से किस तरह से शरीर पर प्रभाव होता है. अलग-अलग सांपों का जहर किस तरह से शरीर पर असर करता है. पुलिस सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचती है और लोगों की पुलिस तक पहुंच भी आसान है. ऐसे में स्नेक बाइट पहचान का तरीका भी उन्हें बताया जाएगा.

ये है प्राथमिक उपचार
ये है प्राथमिक उपचार (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. बुझ गया घर का चिराग! जहरीले सांप के काटने से 1 घंटे के भीतर भाई-बहन ने तोड़ा दम

उपचार छोड़कर पहुंच जाते हैं देवी देवताओं तक : महोबिया ने बताया कि अस्पताल में कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो अस्पताल में भर्ती मरीज को भी देवी देवी देवताओं के पास ले जाने की जिद करते हैं. ऐसे कई लोगों से समझाइश भी करते हैं. चिकित्सक के मना करने के बावजूद भी यह नहीं मानते हैं. कई तो ऐसे होते हैं जो उपचार को छोड़कर देवी देवताओं के चबूतरा तक पहुंच जाते हैं. उपचार रुकने पर उनकी मौत हो जाती है. ऐसे लोगों को सलाह यह भी देते हैं कि देवी देवताओं का आशीर्वाद फूल, भभूत या लच्छे से अस्पताल में ही कर लें. यहां तक की भोपों को अस्पताल में भी बुला लेते हैं.

पढ़ें. धौलपुर में पिता के साथ खेत पर गए बालक की सर्पदंश से मौत

समय, पैसा और जान तीनों की होगी मदद : महोबिया का कहना है कि समय पर अस्पताल पहुंचने पर उपचार में भी ज्यादा खर्च नहीं आता है. समय से इलाज शुरू हो जाने पर मरीज जल्द रिकवर हो जाता है. स्नेक कैचर रॉकी डेनियल का कहना है कि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं, लेकिन कुछ सांप की बाइट के बाद ज्यादा समय लोगों को नहीं मिलता है. स्नेक बाइट के बाद करीब 2 घंटे गोल्डन आवर माने जाते हैं. इसमें इलाज शुरू होने पर अधिकांश मरीज बच जाते हैं.

ये न करें
ये न करें (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. Death in Snake Bite : उदयपुर में सांप के काटने से खेत में खेल रहे भाई-बहन की मौत

केस 01 - देवता के चबूतरे पर किया घंटे इंतजार, उपचार में देरी से मौत
स्नेक कैचर गोविंद शर्मा ने बताया कि शहर के स्टेशन इलाके का करीब 12 वर्षीय बालक अपनी चाची के घर बलिंडा गया हुआ था. यहां पर बालक अपनी चाची के पास सोया था. उसे रात 10 बजे कॉमन क्रेट स्नेक ने काट लिया. घटना के बाद परिजन तुरंत उसे नजदीक के किसी चबूतरे पर ले गए, जहां पर काफी देर यह लोग इंतजार करते रहे. सुबह 3 बजे उसे अस्पताल लेकर गए, जहां पर इलाज शुरू हुआ, लेकिन उसने दम तोड़ दिया.

केस 02- उपचार में देरी से शरीर में फैल गया जहर
जिले के ही मंडारिया निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति को 31 मई को कोबरा स्नेक ने काट लिया था. यह घटनाक्रम शाम 5 बजे हुआ था. यह भाग कर पहले अपने गांव पहुंचा, जहां पर परिजनों को इस संबंध में सूचना दी. इसके बाद उसे परिजन किसी देव जी के थानक पर ले गए. यहां पर इसकी तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया. इसके बाद परिजन इसे कोटा के निजी अस्पताल में लेकर आए. उपचार में देरी होने से शरीर में जहर फैल गया. इसे वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया व चिकित्सकों ने बड़ी मशक्कत कर इसे बचा लिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.