वाराणसीः धर्म नगरी काशी को घाट मंदिर यहां के ऐतिहासिक विरासतों के लिए जाना जाता है. परंतु काशी में अनेक ऐसे छिपे हुए स्थान और खासियत है जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं. ऐसे में काशी के इन गुप्त विरासतो इतिहास और स्थान के बारे में पर्यटकों को बताने के लिए वाराणसी में पर्यटन विभाग ने एक नया प्लान तैयार किया है,जिसके तहत अब यहां आने वाले पर्यटक गुप्त काशी के दर्शन कर पाएंगे, यही नहीं यहां के हिडन सर्किट को भी एक्सप्लोर कर पाएंगे.
काशी में चार थीम आधारित प्लान बनेः बता दे कि, टूरिज्म विभाग की ओर से काशी में चार नए ऐसे पर्यटन आधारित थीम तैयार किए हैं, जिन्हें देखकर पर्यटक न सिर्फ हैरान होंगे, बल्कि वह यहां के प्रति और भी ज्यादा आकर्षित होंगे. इनमें पर्यटन पथ, मिनी इंडिया, जीआई सर्किट, गुप्त काशी का दर्शन शामिल होगा. क्योंकि अब तक काशी में जो भी टूरिस्ट आते हैं वह विश्वनाथ धाम, सारनाथ, बौद्ध मंदिर, गंगा घाट, आरती तक ही सीमित रह जाते हैं. ऐसे में बनारस के अनेको स्थान है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं और पर्यटक उन तक पहुंच नहीं पाते.इन्ही हिडन स्थान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक बेहतर पर्यटन स्पॉट में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग ने यह नया प्लान तैयार किया है.
प्लान में क्या क्या होगाः इस बारे में पर्यटन के उपनिदेशक आर के रावत बताते हैं कि, काशी के पर्यटन को जन जन तक जोड़ने के लिए हम लोगों ने नया प्लान तैयार किया है, जिसके तहत नए टूरिस्ट स्पॉट को विकसित किया गया है. जिसमें गुप्तकाशी,जीआई सर्किट, मिनी इंडिया, पर्यटन पथ, जैन मंदिर शामिल है. उन्होंने बताया कि अलग-अलग स्पॉट के जरिए हम पूरे बनारस को विश्व के सामने एक नए सिरे से प्रस्तुत करेंगे इसके लिए हम बाकायदा काशी को एक्सप्लोर करने के लिए जुलाई में एक बड़ा पर्यटन पथ प्रोग्राम आयोजित करने जा रहे हैं, जिसमें काशी के मंदिर, पर्यटन स्थल और जो नए टूरिस्ट स्पॉट खोजे गए हैं जिनको टूरिस्ट से जोड़ा जा सके उन्हें देश दुनिया से आने वाले टूरिस्ट गाइड को दिखाएंगे और बनारस की नई तस्वीर उन्हें समझाएंगे. जिससे वह यहां आने वाले पर्यटकों को उससे जोड़ सकें.

गुप्त काशी में क्या क्या हैः उन्होंने बताया कि गुप्तकाशी में हम जहां काशी में मौजूद जो पुराने मंदिर हैं जिनमें पिता महेश्वर, मानिकेश्वर, आत्मा विश्वेश्वर, वाराणसी देवी मंदिर, त्रिलोचन महादेव जैसे कई मंदिर है उन्हें एक्सप्लोर कराएंगे. इसके अलावा बनारस में पक्के माहौल के नाम से परिचित मिनी इंडिया के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मोहल्ले से भी रूबरू कराएंगे, जहां पर पूरा भारत है.जिसमें गुजरात, मराठा, राजस्थान, मद्रास, तमिलनाडु, आंध्र जैसे कई राज्य के लोग रहते हैं और उनके मकान के दरवाजे बताते हैं कि वह किस तरीके से यहां करके बस गए और काशी की एक नई तस्वीर बनाएं, उनसे पर्यटकों को रूबरू कराया जाएगा.

जीआई सर्किट पर्यटकों को करेगा आकर्षितः इसके साथ ही काशी को इकलौता ऐसा शहर माना जाता है कि, जिसमें सबसे ज्यादा जीआई प्रोडक्ट शामिल है. इस वजह से यहां पर टूरिस्ट गाइड को जीआई सर्किट भी दिखाया जाएगा, जिसमें गुलाबी मीनाकारी, वुड कार्विंग, ग्लास बीड्स जरी जरदोजी यहां की शहनाई, स्टोन कार्विंग,मेटल रेपोजी जैसे तमाम जीआई से जुड़े हुए उत्पाद हैं उन सब की जानकारी टूरिस्ट को दी जाएगी और उन्हें बताया जाएगा कि काशी में कौन-कौन से स्थान है जो अलग-अलग जीआई उत्पादों के लिए डेडीकेटेड है, जहां जाकर के पर्यटक न सिर्फ उनके तैयार होने की प्रक्रिया को देख व समझ सकेंगे बल्कि यहां से सीधे खरीदारी कर सकेंगे. जिससे इससे जुड़े हुए कारीगरों को तो लाभ मिलेगा ही इसके साथ ही पर्यटकों को नया अनुभव मिलेगा.

नए अनुभव के लिए जरूरी है नया प्रोजेक्टः काशी में शुरू हो रहे इस नए टूरिस्ट सर्किट के बाबत टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता बताते हैं कि, अब बनारस में पर्यटकों को नए स्थान, नए स्वाद और नए एनर्जी से रूबरू कराने की जरूरत है, जिसमें गुप्तकाशी,जीआई सर्किट, मिनी इंडिया, पर्यटन पथ,जैन मंदिर बेहद कारगर प्रोजेक्ट नजर आ रहे हैं, जो न सिर्फ पर्यटकों को जोड़ेंगे बल्कि उन्हें एक नया एहसास कराएंगे जो वाराणसी के लिए बेहद जरूरी है. क्योंकि यहां आने वाला पर्यटक यहां सिर्फ मंदिर, घाट, संस्कृति विरासत से ही जुड़कर के रह गया है उसके आगे काशी को नहीं देख पाया है.

90 दिन में आए 11 करोड़ पर्यटकः गौरतलब हो कि, काशी में दिन प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी गवाही बीते 2 साल के पर्यटन के आंकड़े देते हैं. यदि हम 2024– 25 की बात कर ले तो काशी में कुल 12 महीने में 11 करोड़ के लगभग में पर्यटकों का आगमन हुआ था. वहीं यदि 2025– 26 में जनवरी से लेकर के मार्च तक की बात कर ले तो महज 3 महीने में ही 11 करोड़ से ज्यादा पर्यटक काशी आए और लगातार उनका आगमन हो रहा है. विश्वनाथ धाम बनने के बाद काशी में धार्मिक टूरिज्म जिस तरीके से बाद उसने यहां पर लोकल टूरिज्म को बढ़ावा दिया और लाखों करोड़ों की संख्या में पर्यटकों का आगमन हुआ.
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