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नाग टिब्बा ट्रेक बन रहा पर्यटकों की पसंद, 10 हजार फीट की ऊंचाई से खूबसूरत पर्वत चोटियों का दीदार - NAG TIBBA TREK

नाग टिब्बा हिमालय क्षेत्र की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है. इसकी ऊंचाई 10 हजार फीट के करीब है.

NAG TIBBA TREK
नाग टिब्बा ट्रेक बन रहा पर्यटकों की पसंद (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : June 3, 2025 at 6:41 AM IST

4 Min Read

धनोल्टी: उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन के साथ ही साहसिक पर्यटन की भी आपार संभावना है. उत्तराखंड के उच्च पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित हरे भरे घने जंगलों के बीच पर्यटक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. इन्हीं में से एक है नाग टिब्बा, जहां बर्फबारी के सीजन में बर्फ से ढकी चोटियां में सैर सपाटा मौज मस्ती करने को पर्यटक आतुर रहते हैं और गर्मियों के सीजन में ठंडी-ठंडी हवाएं और हरी भरी वादियों का लुत्फ पर्यटकों को उत्तराखंड का एक नया अहसास कराती है.

नाग टिब्बा, टिहरी गढ़वाल जिले के जौनपुर विकासखंड के पंतवाड़ी गांव से 6 किलोमीटर, श्रीकोट भटवाड़ी से 5 किलोमीटर और मुगलोड़ी गांव से 5.5 किलोमीटर ट्रैकिंग कर पहुंचा जाता है. नाग टिब्बा में झंडी नामक स्थल पर फैले हरे भरे बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तो वहीं दूसरी ओर घने जंगलों के बीच अस्था का केंद्र पौराणिक नाग देवता का मंदिर है. जहां पर लोग पूजा अर्चना कर नाग देवता को भोग लगाकर मन्नत मांगते हैं. झंडी नामक स्थल के खूबसूरत बुग्याल में जाने के लिए नाग देवता के मंदिर से लगभग ढाई से तीन किलोमीटर ट्रैकिंग कर पहुंचा जाता है.

Nag Tibba trek
नाग टिब्बा में झंडी नामक स्थल पर फैले हरे भरे बुग्याल (PHOTO-ETV Bharat)

जौनपुर के पूर्व प्रमुख महिपाल सिंह रावत ने बताया कि पुराने लोगों का कहना है कि झंडी नामक स्थल की ऊंचाई 9995 फीट के करीब है. जब एक अंग्रेज पर्यटक ट्रैकिंग पर वहां पहुंचा तो उसके द्वारा वहां एक टीला नुमा निर्माण कर उसकी ऊंचाई बढ़ाकर 10 हजार फीट का आकंड़ा पूरा किया गया. जिसे झंडी कहा जाता है.

Nag Tibba trek
बर्फबारी के दौरान नाग टिब्बा में पर्यटक बर्फबारी का लुत्फ उठाने भारी संख्या में पहुंचते हैं. (PHOTO-ETV Bharat)

इस बुग्याल की तलहटी के चारों ओर बांज, बुरांश, राशुली, केदार पत्ती, खौरू, मौरु आदि विभिन्न प्रजातियों के आकर्षक पेड़ इसके आकर्षण पर चार चांद लगाते हैं. यही कारण है कि देश विदेश के पर्यटक नाग टिब्बा आने के लिए आतुर रहते हैं. इस स्थान से सूर्योदय का अद्भुत नाजारा पर्यटकों को खूब भाता है. ऐसा लगता है कि सूरज और उनका फासला चंद कदमों का ही है. यहा पहुंचे पर्यटक दूरबीन के सहारे अन्य चोटियों के मन मोहक दर्शन कर सकते हैं.

Nag Tibba trek
नाग टिब्बा हिमालय क्षेत्र की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है. जिसकी ऊंचाई लगभग 10000 फीट के करीब है. (PHOTO-ETV Bharat)

नाग टिब्बा आस्था के केंद्र के साथ-साथ पर्यटकों का पसंदीदा ट्रेक स्थल बनता जा रहा है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी नाग टिब्बा की सैर कर चुके हैं. आचार्य महादेव प्रसाद नौटियाल ने बताया कि तीन पट्टियों इडवालस्यू,सिलवाड़ और पाली गाड़ के दर्जनों गांव की आस्था का केंद्र नाग टिब्बा में स्थित नाग देवता का मंदिर है. नाग टिब्बा के पूरब में भागीरथी और पश्चिम दिशा में यमुना नदी बहती है. नाग टिब्बा लघु हिमालय क्षेत्र की प्रमुख पर्वत श्रेणियो में से एक है. यहां सांपों के देवता एक मंदिर है. मान्यता है जब क्षेत्र में बारिश नहीं होती है तो लोग इस मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना कर भगवान नाग को भोग लगाते हैं और निश्चित ही क्षेत्र में बारीश होती है.

Nag Tibba trek
नाग टिब्बा आस्था के केंद्र के साथ-साथ पर्यटकों का पसंदीदा ट्रेक स्थल बनता जा रहा है (PHOTO-ETV Bharat)

मंदिर के पास पानी का एक प्राकृतिक कुंड है. अगर किसी के द्वारा भगवान नागराजा की आस्था के खिलाफ कुछ कार्य किया जाता है तो उस कुंड का पानी सूखने लगता है. ऐसा होने पर पास के शिवलिंग नुमा आकृति पर दुग्धाभिषेक करने से फिर से कुंड में जल भरने लगता है. नागटिब्बा क्षेत्र का एक हिस्सा जौनपुर रेंज और दूसरा बदरीगाड़ रेंज के अंतर्गत आता है.

Nag Tibba trek
नाग टिब्बा के पास घने जंगलों के बीच अस्था का केंद्र पौराणिक नाग देवता का मंदिर (PHOTO-ETV Bharat)

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धनोल्टी: उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन के साथ ही साहसिक पर्यटन की भी आपार संभावना है. उत्तराखंड के उच्च पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित हरे भरे घने जंगलों के बीच पर्यटक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. इन्हीं में से एक है नाग टिब्बा, जहां बर्फबारी के सीजन में बर्फ से ढकी चोटियां में सैर सपाटा मौज मस्ती करने को पर्यटक आतुर रहते हैं और गर्मियों के सीजन में ठंडी-ठंडी हवाएं और हरी भरी वादियों का लुत्फ पर्यटकों को उत्तराखंड का एक नया अहसास कराती है.

नाग टिब्बा, टिहरी गढ़वाल जिले के जौनपुर विकासखंड के पंतवाड़ी गांव से 6 किलोमीटर, श्रीकोट भटवाड़ी से 5 किलोमीटर और मुगलोड़ी गांव से 5.5 किलोमीटर ट्रैकिंग कर पहुंचा जाता है. नाग टिब्बा में झंडी नामक स्थल पर फैले हरे भरे बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तो वहीं दूसरी ओर घने जंगलों के बीच अस्था का केंद्र पौराणिक नाग देवता का मंदिर है. जहां पर लोग पूजा अर्चना कर नाग देवता को भोग लगाकर मन्नत मांगते हैं. झंडी नामक स्थल के खूबसूरत बुग्याल में जाने के लिए नाग देवता के मंदिर से लगभग ढाई से तीन किलोमीटर ट्रैकिंग कर पहुंचा जाता है.

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नाग टिब्बा में झंडी नामक स्थल पर फैले हरे भरे बुग्याल (PHOTO-ETV Bharat)

जौनपुर के पूर्व प्रमुख महिपाल सिंह रावत ने बताया कि पुराने लोगों का कहना है कि झंडी नामक स्थल की ऊंचाई 9995 फीट के करीब है. जब एक अंग्रेज पर्यटक ट्रैकिंग पर वहां पहुंचा तो उसके द्वारा वहां एक टीला नुमा निर्माण कर उसकी ऊंचाई बढ़ाकर 10 हजार फीट का आकंड़ा पूरा किया गया. जिसे झंडी कहा जाता है.

Nag Tibba trek
बर्फबारी के दौरान नाग टिब्बा में पर्यटक बर्फबारी का लुत्फ उठाने भारी संख्या में पहुंचते हैं. (PHOTO-ETV Bharat)

इस बुग्याल की तलहटी के चारों ओर बांज, बुरांश, राशुली, केदार पत्ती, खौरू, मौरु आदि विभिन्न प्रजातियों के आकर्षक पेड़ इसके आकर्षण पर चार चांद लगाते हैं. यही कारण है कि देश विदेश के पर्यटक नाग टिब्बा आने के लिए आतुर रहते हैं. इस स्थान से सूर्योदय का अद्भुत नाजारा पर्यटकों को खूब भाता है. ऐसा लगता है कि सूरज और उनका फासला चंद कदमों का ही है. यहा पहुंचे पर्यटक दूरबीन के सहारे अन्य चोटियों के मन मोहक दर्शन कर सकते हैं.

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नाग टिब्बा हिमालय क्षेत्र की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है. जिसकी ऊंचाई लगभग 10000 फीट के करीब है. (PHOTO-ETV Bharat)

नाग टिब्बा आस्था के केंद्र के साथ-साथ पर्यटकों का पसंदीदा ट्रेक स्थल बनता जा रहा है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी नाग टिब्बा की सैर कर चुके हैं. आचार्य महादेव प्रसाद नौटियाल ने बताया कि तीन पट्टियों इडवालस्यू,सिलवाड़ और पाली गाड़ के दर्जनों गांव की आस्था का केंद्र नाग टिब्बा में स्थित नाग देवता का मंदिर है. नाग टिब्बा के पूरब में भागीरथी और पश्चिम दिशा में यमुना नदी बहती है. नाग टिब्बा लघु हिमालय क्षेत्र की प्रमुख पर्वत श्रेणियो में से एक है. यहां सांपों के देवता एक मंदिर है. मान्यता है जब क्षेत्र में बारिश नहीं होती है तो लोग इस मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना कर भगवान नाग को भोग लगाते हैं और निश्चित ही क्षेत्र में बारीश होती है.

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नाग टिब्बा आस्था के केंद्र के साथ-साथ पर्यटकों का पसंदीदा ट्रेक स्थल बनता जा रहा है (PHOTO-ETV Bharat)

मंदिर के पास पानी का एक प्राकृतिक कुंड है. अगर किसी के द्वारा भगवान नागराजा की आस्था के खिलाफ कुछ कार्य किया जाता है तो उस कुंड का पानी सूखने लगता है. ऐसा होने पर पास के शिवलिंग नुमा आकृति पर दुग्धाभिषेक करने से फिर से कुंड में जल भरने लगता है. नागटिब्बा क्षेत्र का एक हिस्सा जौनपुर रेंज और दूसरा बदरीगाड़ रेंज के अंतर्गत आता है.

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नाग टिब्बा के पास घने जंगलों के बीच अस्था का केंद्र पौराणिक नाग देवता का मंदिर (PHOTO-ETV Bharat)

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