कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में जहां सैलानियों की भीड़ बढ़ रही है. वहीं, सैलानियों से इन दिनों पर्यटन स्थल भी गुलजार हो गए हैं. सैलानी मनाली, बंजार, मणिकर्ण, सहित लाहौल घाटी का भी रुख कर रहे हैं. वहीं, वन विभाग ने भी सैलानियों को आकर्षित करने की अनूठी पहल शुरू की है. वन विभाग की पहल के कारण सैलानी नेचर पार्क और स्वर्ण वाटिका में जाकर प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठा रहे हैं. नेचर पार्क कुल्लू से मनाली के मध्य स्थापित है और स्वर्णिम वाटिका रोहतांग दर्रा के समीप कोठी में बनाई गई है.
स्थानीय लोगों के साथ-साथ अब बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों को भी ये नेचर पार्क रास आने लगे हैं. इसके अलावा वन विभाग की भी ये पार्क और वाटिकाएं झोली भर रही हैं. जिले के तीन पार्क और वाटिकाएं हर साल वन विभागों को लाखों का राजस्व दिला रहे हैं. तीन साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस दौरान सालाना दो नेचर पार्क और एक स्वर्णिम वाटिका 18 से 29 लाख तक सालाना राजस्व कमा रही हैं. हालांकि, इन तीन सालों में वर्ष 2022-23 में सर्वाधिक 2977860 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. वर्ष 2023-24 में ये राजस्व 1825340 रुपये तक रहा, लेकिन वर्ष 2024-25 में ये फिर से बढ़कर 2207910 रुपये तक पहुंच गया. इसके चलते बीते तीन सालों में दो नेचर पार्क और स्वर्णिम वाटिका से 70 लाख 11 हजार 110 रुपये का राजस्व जुटाया है.

आकर्षण का केंद्र बने ये पार्क
वन मंडलाधिकारी कुल्लू एंजल चौहान ने बताया कि 'कुल्लू और मनाली के बीच दो नेचर पार्क बबेली और ब्यास बिहाल मनाली के साथ स्वर्णिम वाटिका कोठी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इससे विभाग को अच्छा राजस्व प्राप्त हो रहा है. इन पार्क और वाटिका को प्राकृतिक सौंदर्य से छेड़छाड़ किए बिना विकसित किया गया है.'

विभाग को हर साल हो रही अच्छी कमाई
नेचर पार्क और स्वर्णिम वाटिका में प्रवेश शुल्क के साथ इसके अंदर रेस्टोरेंट और अन्य गतिविधियां चलाने की एवज में शुल्क लिया जाता है. ऐसे में देश के कोने-कोने से कुल्लू-मनाली आने वाले पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों के लिए भी ये पार्क और स्वर्णिम वाटिकाएं आकर्षण का केंद्र बने हुई हैं. जिला कुल्लू में नेचर पार्क बबेली, ब्यास बिहाल मनाली और स्वर्णिम वाटिका कोठी से हर साल विभाग को अच्छी कमाई हो रही है. पार्क के हिसाब से राजस्व की बात करें तो बबेली नेचर पार्क ने तीन सालों में 53 लाख 26 हजार 210 रुपये का राजस्व दिलाया. ब्यास बिहाल मनाली ने इस अवधि के दौरान 15 लाख 38 हजार 900 और स्वर्णिम वाटिका कोठी ने 1 लाख 46 हजार रुपये का राजस्व कमाया.

स्थानीय लोगों ने की तारीफ
कुल्लू के पर्यटन कारोबारी रतन शर्मा, नवनीत सूद, अभिनव शर्मा का कहना है कि 'इस तरह के पार्क का निर्माण होने से यहां पर नए पर्यटन स्थल विकसित होते हैं और सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी यहां घूमने का आनंद मिलता है. इस नेचर पार्क के भीतर जहां बच्चों के लिए कई मनोरंजन के उपकरण लगाए गए हैं. वहीं, बबेली नेचर पार्क में झील के माध्यम से सैलानी वोटिंग का भी मजा लेते हैं. इसके अलावा यहां पर स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलता है, जिससे पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भी आमदनी बढ़ रही है. वन विभाग को चाहिए कि वह जिला कुल्लू में ऐसी अधिक से अधिक जगह को चिन्हित करे, ताकि सैलानियों को यहां पर अधिक दिन गुजारने का मौका मिल सके.'
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