बूंदी : देश के अन्य राज्यों के साथ अब कोरोना राजस्थान में भी अपने पैर पसार रही है. प्रदेश के कुछ जिलों में कोरोना के मरीज भी सामने आ चुके हैं. इस बीच बूंदी जिला अस्पताल में कोरोना काल के समय केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अस्पताल परिसर में बनवाए गए अलग-अलग तीन ऑक्सीजन प्लांट पिछले कुछ वर्षों से बंद पड़े हैं.
ऑक्सीजन प्लांट में समय समय पर मेंटेनेंस नहीं होने से किसी में कंप्रेशर तो किसी में प्योरिटी नहीं आ पा रही है. जिला अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट (330 LPM), लीटर पर मिनट (160 LPM) और लीटर पर मिनट (1000 LPM) बंद पड़े हैं. इसमें दो प्लांट तो कोरोना काल के बाद से चिकित्सा प्रशासन ने संभाले ही नहीं, जबकि एक प्लांट (330 LPM) भी गत तीन माह से ज्यादा समय से खराब पड़ा हुआ है, जिन्हें ठीक करवाने की जहमत अस्पताल प्रशासन उठा नहीं पा रहा है.
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किसी में कंप्रेशर तो किसी की सप्लाई नहीं : अस्पताल परिसर में मौजूद तीनों ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ी हैं. उसपर धूल-मिट्टी और जाले लगे हुए हैं. जानकारी लेने पर सामने आया कि ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट (330 LPM), लीटर पर मिनट प्लांट (160 LPM) और लीटर पर मिनट प्लांट (1000 LPM) महज मशीन के कंप्रेशर और बिना प्योरिटी ऑक्सीजन की वजह से दो वर्षों से अधिक समय से बंद हैं. कोरोना काल की दूसरी लहर में (160 LPM) प्लांट से प्रतिदिन 35 ऑक्सीजन सिलेंडर तैयार हो रहे हैं, जबकि आवश्यकता 200 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की थी. यह अलग बात है कि कोरोना काल में उस समय कोटा और अन्य स्थानों से ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की जा रही थी.
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हो रही लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति : अस्पताल प्रशासन के अनुसार अस्पताल परिसर में एक स्थान पर 3 और जनाना अस्पताल में एक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (1000 LMO) बनाया हुआ है. लिक्विड प्लांट की क्षमता 10 टन बताई गई है. इसमें 800 सिलेंडर ऑक्सीजन के भरे जा सकते हैं. वर्तमान में चिकित्सा प्रशासन बाहर से लिक्विड ऑक्सीजन की खरीद कर इसी प्लांट में बने टैंक के माध्यम से अस्पताल में ऑक्सीजन लाइन से सप्लाई दे रहा है. इससे सरकार पर लाखों रुपए का अतिरिक्त भार पड़ रहा है.
दुर्घटना घटी तो जिला और चिकित्सा प्रशासन होंगे जिम्मेदार : जिला अस्पताल में तीन ऑक्सीजन प्लांट के बंद पड़े होने के मामले को बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने बेहद गंभीर बताया. उन्होंने कहा कि देश-प्रदेश में कोरोना ने दस्तक दे दी है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि सरकार और प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. विधायक ने बताया कि पूर्व की सरकार के समय कोरोना में अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगवाए गए थे, लेकिन तब से ये बंद पड़े हैं. अस्पताल प्रशासन इन्हें ठीक करवाने की जगह बाहर से लिक्विड ऑक्सीजन खरीद रहा है. फिर ऑक्सीजन प्लांट को लगाने का कोई फायदा नहीं है. विधायक ने कहा कि आने वाले समय में बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को चालू नहीं किया गया तो हालत बिगड़ सकते हैं जो पहले कोरोना काल में बिगड़े थे, जिसे संभाल भी नहीं पाए थे. विधायक ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि सोते रहने और लापरवाही के साथ बेरुखी से काम करने पर नहीं चलेगा. समय रहते ऑक्सीजन प्लांट को शीघ्र चालू करवाएं, अगर कोई दुर्घटना हुई तो जिला प्रशासन और चिकित्सा प्रशासन जिम्मेदार होंगे.
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हमने सरकार को भेजा हुआ है पत्र : अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रभाकर विजय ने बताया कि यह बात सही हे कि पूरे देश में कोविड के पेशेंट बढ़ रहे हैं. राजस्थान में भी मामले सामने आए हैं. इसे मद्देनजर रखते हुए कोविड की बंद पड़ी प्लांट को फिर शुरू करवाने के लिए सरकार को पत्र भेजा हुआ है. हमारी मशीनरी ऑटोफिशियल लेब सुसज्जित हैं. कोरोना की सैंपलिंग के लिए रिजेंट चाहिए होते हैं, वह मौजूद नहीं हैं. इसके लिए भी सरकार को लिखा है. जहां तक बंद पड़े तीन ऑक्सीजन प्लांट की है तो दो तो काफी समय से बंद पड़े हैं, जबकि एक अभी 4 से 5 माह पूर्व ही बंद हुआ है. हमने इससे संबंधित एजेंसी को पत्र भेजा हुआ है. मामला जोन डायरेक्टर के भी संज्ञान में है. जल्द बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को शुरू करवाने के प्रयास हैं, इसमें लापरवाही जैसी कोई बात नहीं है.