जैसलमेर: जिले के सम स्थित प्रजनन केंद्र में 'द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' (गोडावण) के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे प्रयासों को लेकर एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है. इस केंद्र में इस वर्ष गोडावण के तीन चूजे एक साथ जन्मे हैं. यह घटना बायोलॉजिकल दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है. इस साल जिले के प्रजनन केंद्र में कुल छह चूजे जन्म ले चुके हैं, जिनमें से तीन चूजे सम केंद्र में ही पैदा हुए हैं. यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, क्योंकि इस केंद्र में गोडावण की प्रजनन दर में वृद्धि हो रही है. इस प्रजाति के संरक्षण के लिए आशा की किरण है.
राष्ट्रीय मरू उद्यान के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि सम प्रजनन केंद्र में जन्मे इन चूजों की विशेष बात यह है कि इनका प्रजनन प्राकृतिक संबंधों और कृत्रिम हैचिंग की प्रक्रिया का परिणाम है. 11 और 12 मार्च को मादा गोडावणों ने अंडे दिए. इन अंडों को कृत्रिम रूप से हैच किया गया और 2 अप्रैल को इनमें से चूजे बाहर निकले. इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सम केंद्र के वैज्ञानिकों ने बेहद सावधानी बरती और इसका परिणाम सफलतापूर्वक प्राप्त हुआ.
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सफलता का श्रेय प्रजनन केंद्र को: उन्होंने बताया कि प्रजनन केंद्र में इस सफलता के बाद, जैसलमेर और रामदेवरा क्षेत्र में गोडावण की संख्या बढ़ने की संभावना बनी है. अब तक सम और रामदेवरा के ब्रिडिंग सेंटर में गोडावण की कुल संख्या 49 हो चुकी है. यह इस प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.
#ProjectGIB welcomes three new chicks of the Critically Endangered #GreatIndianBustard on April 2. Eggs laid by the females Rewa, Aman and Sharky in Sam Center on 11-12 March, were artificially hatched, taking the tally of captive-bred birds to 6 so far in 2025 and 20 since… pic.twitter.com/hRVUj3cJnn
— Wildlife Institute of India (@wii_india) April 3, 2025
भविष्य में गोडावण प्रजाति के पुनः प्रवास की उम्मीद: इन प्रयासों के परिणामस्वरूप भविष्य में गोडावण प्रजाति के प्राकृतिक आवासों के फिर से फैलने की उम्मीद जगी है. ये प्रयास लगातार इसी प्रकार सफलता हासिल करते रहे, तो इस विलुप्तप्राय पक्षी की संख्या में वृद्धि हो सकती है. यह प्रजाति एक बार फिर से अपने प्राकृतिक स्थानों पर लौट सकती है.
वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने की पुष्टि: इस सफलता की जानकारी वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा की. इसमें संबंधित तस्वीरें भी पोस्ट की गईं. इन तस्वीरों में गोडावण के चूजों की हैचिंग और उनके जन्म की प्रक्रिया को दर्शाया गया है. यह जानकारी न केवल गोडावण के संरक्षण में सफलता का संकेत देती है, बल्कि यह पूरे देश में पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देती है.