रोहतक: 1 जून को रोहतक पहुंचे हरियाणा के जेल एवं पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने भगवान परशुराम जयंती समारोह में रामपाल दास के अनुयायियों की मौजूदगी पर सफाई दी. उन्होंने खुद को कबीरपंथी बताया और कहा कि उनके घर पर हर साल 10–12 नवंबर तक कबीर साहिब का सत्संग होता है. समारोह में हर वर्ग और संतों को आमंत्रित किया गया था.
30 मई को पहरावर गांव में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मुख्य अतिथि थे, जबकि डॉ. शर्मा आयोजक की भूमिका में थे. समारोह में रामपाल के सैकड़ों अनुयायी हरियाणा रोडवेज की बसों से पहुंचे थे, जिन पर रामपाल के स्टीकर भी लगे थे. यह वीडियो वायरल होने के बाद सवाल खड़े हुए थे.
मंत्री की दलील और धार्मिक पृष्ठभूमि
डॉ. शर्मा ने कहा कि समारोह में छुड़ानी धाम सहित कई संत और अनुयायी पहुंचे थे और किसी पर कोई दबाव नहीं था. मुणक गांव से रविदासिया संत धूनीदास आए और कबीर भजन गाया. डॉ. शर्मा ने खुद भी गीत प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि वे हजारों सभाओं में 'सत साहिब' कहकर संबोधित करते हैं और चुनाव के दौरान भी रविदासिया समाज का उन्हें सहयोग मिला है.
गौड़ ब्राह्मण सभा की जमीन विवाद पर उन्होंने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वे लीडरशिप नहीं, सेवा भाव से काम करना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सदस्यता अभियान के बाद गौड़ सभा का चुनाव कराया जाएगा.
जयहिंद के सवाल और गैंगवार पर प्रतिक्रिया
वहीं, जयहिंद सेना के प्रमुख और आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद ने भी परशुराम रैली में रामपाल दास के अनुयायियों के पहुंचने पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा कि जेल में बैठे बाबाओं के दम पर भगवान परशुराम जयंती समारोह मनाना पाप के समान है. उन्होंने कहा कि जेल में बंद बाबाओं को डराकर उनके अनुयायियों को जयंती समारोह में बुलाया गया. एक बाबा के बेटे और बेटी से मिला गया. जयहिंद ने कहा कि क्या भगवान परशुराम जयंती मनाने के लिए बाबाओं की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से हरियाणा रोडवेज की बसें दो आश्रमों में लोगों को लेने गई थी, उससे लगता इस काम से भगवान परशुराम बहुत नाराज हुए होंगे.
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