रामनगर: उत्तराखंड के रामनगर विकासखंड के ग्राम रामपुर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी ने छात्रों के भविष्य को लेकर चिंता में डाल दिया है. छात्र और अभिभावक स्कूल में तालाबंदी कर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. नाराज छात्रों ने नारे लगाते हुए कहा, "हमें मास्टर चाहिए, मास्टर चाहिए, मास्टर चाहिए... सरकार.
क्या है मामला? रामपुर के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में 43 बच्चे पढ़ते हैं. लंबे समय से यहां सिर्फ एक शिक्षक, मोहनचंद जोशी पढ़ा रहे थे. जोशी जी 31 मार्च को रिटायर हो गए. लेकिन शिक्षा विभाग ने अभी तक यहां किसी भी स्थायी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की है. फिलहाल, अन्य स्कूलों से एक-एक शिक्षक को अस्थायी रूप से यहां पढ़ाने के लिए भेजा जा रहा है. इससे न केवल इस स्कूल के बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही, बल्कि जिन स्कूलों से शिक्षक बुलाए जा रहे हैं, वहां भी शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है.
बच्चों ने नारा लगाया- हमें मास्टर चाहिए: बच्चों ने भी अपनी शिक्षा के प्रति गंभीरता दिखाई और नारे लगाते हुए कहा, "हमें मास्टर चाहिए, हम पढ़ना चाहते हैं." बच्चों का कहना था कि वे पढ़ाई में पीछे नहीं रहना चाहते, लेकिन नियमित शिक्षक के बिना उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है. बच्चों और अभिभावकों का कहना है कि अन्य स्कूलों से अलग-अलग शिक्षक आने से पढ़ाई की निरंतरता टूट रही है, जिससे उनकी शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है. बच्चों का भविष्य दांव पर लगते देख अभिभावकों और स्थानीय नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की मांग की.

अभिभावकों में आक्रोश: गांव के अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा विभाग और सरकार उनके बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. अभिभावक संघ के अध्यक्ष महेश चंद्र ने कहा कि-
हम लोग लंबे समय से इस स्कूल में स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग मूक दर्शक बने बैठे हैं. हम चेतावनी दे रहे हैं कि यदि एक सप्ताह के भीतर शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई, तो हम खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होंगे.
-महेंद्र चंद्र, अध्यक्ष, अभिभावक संघ-
पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी ने भी मौके पर पहुंचकर प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों और बच्चों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए. लेकिन सरकार की अवसंरचना और संसाधन प्रबंधन की कमी के कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है. उन्होंने सरकार से शीघ्र शिक्षक नियुक्ति की मांग की. चेतावनी दी कि यदि जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया: जब इस मुद्दे को लेकर शिक्षा विभाग से सवाल किया गया, तो खंड शिक्षा अधिकारी हवलदार प्रसाद ने बताया कि-
मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है. आदेश मिलने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. हालांकि हम यह स्पष्ट नहीं बता सकते हैं कि शिक्षक की नियुक्ति में कितना समय लगेगा.
-हवलदार प्रसाद, खंड शिक्षा अधिकारी-
सरकार के दावे और जमीनी हकीकत: उत्तराखंड सरकार बार-बार यह दावा करती रही है कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को हर गांव तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन इस मामले ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी शिक्षकों की भारी कमी है, जिससे बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
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