कुचामन सिटी. जिले के नावां शहर के पास स्थित सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला अब कुछ हद तक थम गया है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में बोटूलिज्म (Botulism) बीमारी से 600 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है. वहीं, 1000 से अधिक पक्षी इस खतरनाक बीमारी से बीमार पाए गए हैं. उपखंड अधिकारी जीतू कुलहरी ने बताया कि, “हमारे द्वारा किए जा रहे रेस्क्यू कार्यों के कारण अब पक्षियों की मौत में कमी आई है और बॉटलिज्म के प्रभाव को रोकने में मदद मिल रही है. जल्द ही हम पूरी तरह से इस समस्या से निपटने में सफल होंगे.”
बीमारी की पुष्टि बरेली की लैब से आई जांच रिपोर्ट में हो चुकी है, जिसमें बताया गया है कि पक्षियों की मौत बोटूलिज्म नामक बीमारी के कारण हुई है. यह एक गंभीर न्यूरोमस्कुलर बीमारी है, जो क्लोस्ट्रीडियम बोटूलिज्म नामक बैक्टीरिया के विषाणु से होती है. इस बीमारी में पक्षियों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर उनके पंख और पैर कमजोर हो जाते हैं, जिससे वे खड़े नहीं हो पाते और मृत हो जाते हैं.
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पक्षियों की मौत और रेस्क्यू अभियान: सांभर झील में पिछले 15 दिनों से मृत पक्षियों के शव लगातार मिल रहे हैं, जिनका डिस्पोजल किया जा रहा है. हालांकि, रेस्क्यू अभियान में अब तेजी आई है, जिससे मृत पक्षियों की संख्या में कमी आई है और बोटूलिज्म के फैलने की गति पर भी काबू पाया गया है. पक्षियों के रेस्क्यू और उपचार के लिए एसडीआरएफ, पशुपालन विभाग, वन विभाग और प्रशासन की 10 टीमों के 50 सदस्य झील क्षेत्र में कार्यरत हैं. रेस्क्यू अभियान मोहनपुरा, खाकड़की, जाब्दी नगर, गुढ़ा साल्ट और सांभर साल्ट क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा है. उपखंड अधिकारी जीतू कुलहरी ने खुद इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रही हैं.
उपचार और सुधार: रेस्क्यू किए गए पक्षियों को मिठड़ी स्थित रेस्क्यू सेंटर में लाकर उपचार किया जा रहा है. यहां, पशुपालन और वन विभाग की टीमें इन पक्षियों का इलाज कर रही हैं. रेस्क्यू अभियान और राहत कार्यों में तेजी आने के बाद अब पक्षियों की हालत में सुधार हो रहा है. रेस्क्यू सेंटर में उपचार के बाद 38 स्वस्थ पक्षियों को पूरी तरह से ठीक होने के बाद फिर से झील में छोड़ दिया गया. वर्तमान में, रेस्क्यू सेंटर में 50 पक्षियों का उपचार जारी है, जिनकी हालत में भी सुधार हो रहा है. प्रशासन ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन को जारी रखा जाएगा, ताकि बोटूलिज्म के फैलने से रोका जा सके और अन्य बीमार पक्षियों का समय रहते इलाज किया जा सके.