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गोरखपुर AIIMS गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में नहीं पहुंचे 10 सदस्य, सपा सांसद ने जताई नाराजगी - AIIMS GORAKHPUR

गोरखपुर AIIMS गवर्निंग बॉडी में कुल 17 सदस्य हैं. मीटिंग में सिर्फ 7 लोग ही जुड़ पाए थे.

गोरखपुर AIIMS.
गोरखपुर AIIMS. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 12, 2025 at 2:34 PM IST

3 Min Read

गोरखपुर: एम्स के गवर्निंग बॉडी के सदस्य और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर राजभर ने गर्वनिंग बॉडी की मीटिंग के के प्रति लापरवाह सदस्यों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि देश में संचालित किसी भी एम्स की व्यवस्था के सफल संचालन में गर्वनिंग बॉडी सदस्यों द्वारा लिए गए निर्णय का महत्व होता है. गोरखपुर एम्स के गर्वनिंग बॉडी के सदस्य बैठक को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

सांसद ने कहा कि एम्स की गवर्निंग बॉडी में कुल 17 सदस्य हैं. इसमें अध्यक्ष सहित गोरखपुर के सांसद रवि किशन, वह स्वयं और अन्य 14 सदस्य हैं. लेकिन दुख की बात है कि टाइम और मीटिंग तय होने के बाद भी केवल 7 सदस्य ही जुड़े. इसमें भी 5 सदस्य वर्चुअल और 2 यहां मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से लापरवाही वाला कदम है, जो एम्स के नीति निर्धारण और विकास में बाधक है.

सांसद रमाशंकर ने जताई नाराजगी. (Video Credit: ETV Bharat)

गवर्निंग बॉडी को लेकर सांसद नाराज: सांसद रमाशंकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस मीटिंग के माध्यम से अपनी आपत्ति इस बात पर जताई है. इस बात का जवाब कौन देगा कि जो तीमारदार पीड़ित मरीजों को लेकर एम्स की इमरजेंसी तक पहुंचते हैं, अगर वह रेफर किए जाएंगे तो कहां जाएंगे? कौन यहां की व्यवस्था को ठीक करेगा? यही सब विषय गवर्निंग बॉडी में चर्चा होनी थी, लेकिन सदस्यों के गैर हाजिर होने से यह सारे मुद्दे लटक गए.

ट्रॉमा सेंटर का नहीं हो रहा निर्माण: सांसद ने कहा कि एम्स में ट्रॉमा सेंटर का पैसा आया हुआ है, लेकिन निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही. वह इन सभी मुद्दों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और सदन तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि मात्र 33 प्रोफेसर के भरोसे यह एम्स चल रहा है. यहां हर दिन 4000 मरीज देखे जा रहे हैं. नियुक्तियां भी पूरी नहीं की जा सकी है. इस पर भी एम्स प्रबंधन गंभीर नहीं है. सुपर स्पेशियलिटी के डॉक्टर को लाना जरूरी हो गया है. एम्स प्रबंधन की खींचतान की वजह से यहां इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डॉक्टर आदि की नियुक्तियां अटकी पड़ी हैं.

डॉक्टर्स की नियुक्ति का हो रास्ता साफ: गर्वनिंग बॉडी के मीटिंग में उन्होंने सुझाव दिया है कि ऐसे डॉक्टरों को एम्स प्रबंधन नियुक्ति में वरीयता दें, जो पति-पत्नी हों. जिससे उनकी एक साथ यहां पर तैनाती हो. वह यहां रहेंगे तो मरीजों को इलाज मिलेगा. नहीं तो फिर यही स्थिति देखने को मिलेगी कि कोई डॉक्टर ज्वाइन करेगा और कुछ दिन बाद छोड़कर भाग जाएगा. गोरखपुर मंडल क्षेत्र में सेवा देने वाले तमाम वरिष्ठ चिकित्सक हैं, जो एम्स को सेवा दे सकते हैं. इन सब पर विचार करने की जरूरत है, लेकिन उससे पहले गवर्निंग बॉडी से जुड़े सदस्य अगर अपनी जिम्मेदारी समझेंगे तो निश्चित रूप से एम्स की बेहतरी का रास्ता खुलेगा.

यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में आज आंधी-तूफान के साथ बारिश की संभावना, 39 जिलों में ओलावृष्टि की चेतावनी

गोरखपुर: एम्स के गवर्निंग बॉडी के सदस्य और सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के समाजवादी पार्टी के सांसद रमाशंकर राजभर ने गर्वनिंग बॉडी की मीटिंग के के प्रति लापरवाह सदस्यों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि देश में संचालित किसी भी एम्स की व्यवस्था के सफल संचालन में गर्वनिंग बॉडी सदस्यों द्वारा लिए गए निर्णय का महत्व होता है. गोरखपुर एम्स के गर्वनिंग बॉडी के सदस्य बैठक को गंभीरता से नहीं लेते हैं.

सांसद ने कहा कि एम्स की गवर्निंग बॉडी में कुल 17 सदस्य हैं. इसमें अध्यक्ष सहित गोरखपुर के सांसद रवि किशन, वह स्वयं और अन्य 14 सदस्य हैं. लेकिन दुख की बात है कि टाइम और मीटिंग तय होने के बाद भी केवल 7 सदस्य ही जुड़े. इसमें भी 5 सदस्य वर्चुअल और 2 यहां मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से लापरवाही वाला कदम है, जो एम्स के नीति निर्धारण और विकास में बाधक है.

सांसद रमाशंकर ने जताई नाराजगी. (Video Credit: ETV Bharat)

गवर्निंग बॉडी को लेकर सांसद नाराज: सांसद रमाशंकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस मीटिंग के माध्यम से अपनी आपत्ति इस बात पर जताई है. इस बात का जवाब कौन देगा कि जो तीमारदार पीड़ित मरीजों को लेकर एम्स की इमरजेंसी तक पहुंचते हैं, अगर वह रेफर किए जाएंगे तो कहां जाएंगे? कौन यहां की व्यवस्था को ठीक करेगा? यही सब विषय गवर्निंग बॉडी में चर्चा होनी थी, लेकिन सदस्यों के गैर हाजिर होने से यह सारे मुद्दे लटक गए.

ट्रॉमा सेंटर का नहीं हो रहा निर्माण: सांसद ने कहा कि एम्स में ट्रॉमा सेंटर का पैसा आया हुआ है, लेकिन निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही. वह इन सभी मुद्दों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और सदन तक पहुंचाएंगे. उन्होंने कहा कि मात्र 33 प्रोफेसर के भरोसे यह एम्स चल रहा है. यहां हर दिन 4000 मरीज देखे जा रहे हैं. नियुक्तियां भी पूरी नहीं की जा सकी है. इस पर भी एम्स प्रबंधन गंभीर नहीं है. सुपर स्पेशियलिटी के डॉक्टर को लाना जरूरी हो गया है. एम्स प्रबंधन की खींचतान की वजह से यहां इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डॉक्टर आदि की नियुक्तियां अटकी पड़ी हैं.

डॉक्टर्स की नियुक्ति का हो रास्ता साफ: गर्वनिंग बॉडी के मीटिंग में उन्होंने सुझाव दिया है कि ऐसे डॉक्टरों को एम्स प्रबंधन नियुक्ति में वरीयता दें, जो पति-पत्नी हों. जिससे उनकी एक साथ यहां पर तैनाती हो. वह यहां रहेंगे तो मरीजों को इलाज मिलेगा. नहीं तो फिर यही स्थिति देखने को मिलेगी कि कोई डॉक्टर ज्वाइन करेगा और कुछ दिन बाद छोड़कर भाग जाएगा. गोरखपुर मंडल क्षेत्र में सेवा देने वाले तमाम वरिष्ठ चिकित्सक हैं, जो एम्स को सेवा दे सकते हैं. इन सब पर विचार करने की जरूरत है, लेकिन उससे पहले गवर्निंग बॉडी से जुड़े सदस्य अगर अपनी जिम्मेदारी समझेंगे तो निश्चित रूप से एम्स की बेहतरी का रास्ता खुलेगा.

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