जयपुर: शिक्षकों को स्कूली कक्षाएं छोड़ ट्रांसफर के लिए विधायक या सरपंच के आगे-पीछे न घूमने पड़े, इसके लिए स्थाई और पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी बनाने, वर्ष 2018 से लंबित तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले, विभागीय पदोन्नति और गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति की मांग लेकर प्रदेश भर के शिक्षक सोमवार को जयपुर में जुटे. शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सार्वजनिक शिक्षा को हो रहे नुकसान का हवाला देते इसमें संशोधन की भी मांग उठाई. यहां बताते चलें कि राज्य में वर्ष 2018 के बाद थर्ड ग्रेड टीचर्स के ट्रांसफर नहीं हुए. कई शिक्षक ऐसे हैं जो 20-20 साल से जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सरहदी जिलों में कार्यरत हैं. उन्होंने अपने बच्चों को ना पढ़ता देखा और ना बढ़ता देखा. अपने इस दर्द को लिए पैदल मार्च करते हजारों शिक्षक जयपुर के शहीद स्मारक पहुंचे.यहां सरकार की बेरुखी के खिलाफ रोष जताया.
शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने कहा कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले ना तो पिछली सरकार ने किए और ना ही मौजूदा सरकार ने. तमाम शिक्षक चाहे वो अध्यापक हो, वरिष्ठ अध्यापक हो या व्याख्याता हो, उनके लिए ट्रांसफर पॉलिसी बननी चाहिए. पॉलिसी के अभाव में भ्रष्टाचार होता है या राजनीतिक प्रताड़ना. दोनों स्थिति में टीचर के साथ अन्याय होता है. शिक्षक हर समय आशंकित रहता है कि पता नहीं कब उसे कहीं और लगा दिया जाए. जो शिक्षक ट्रांसफर कराना चाहता है वो विधायक, सरपंच या राजनीतिक व्यक्ति के पीछे घूमता रहता है. स्कूल में पढ़ाने के बजाए उसका फोकस इसी पर रहता है. जब शिक्षक तनाव और दबाव में रहेगा तो वो ठीक से अध्यापन नहीं करा पाएगा. इसलिए शिक्षक चाहते हैं कि भ्रष्टाचार व राजनीतिक प्रताड़ना ना हो और मन लगाकर शिक्षा दे सकें, इसके लिए ट्रांसफर पॉलिसी जरूरी है.
पदोन्नति के बाद ही हो सकेंगे उचित ट्रांसफर और नियुक्ति :शिक्षक नेता ने स्पष्ट किया कि शिक्षा विभाग तब ही अच्छे ढंग से ट्रांसफर कर पाएगा जब अटके प्रमोशन हो जाएंगे. पांच डीपीसी हो चुकी, लेकिन शिक्षा विभाग में प्रमोशन बकाया हैं. सरकार ने कोर्ट का बहाना बना रखा है. सरकार चाहे तो 4 दिन में कोर्ट से निस्तारण हो सकता है. शिक्षक चाहते हैं कि सरकार कोर्ट का बहाना खत्म कर तमाम बकाया डीपीसी करें ताकि पद खाली हो और जो खाली पद हैं, उन्हें ट्रांसफर और नई नियुक्ति से भरा जाए. उन्होंने तर्क दिया कि आज सरकार खुद मान रही है कि एक लाख से ज्यादा पद खाली हैं. जब एक लाख पद खाली है तो पढ़ाई कैसे होगी.

शिक्षकों पर रहता है गैर शैक्षिक कार्यों का दबाव :शिक्षकों का एक बड़ा मुद्दा गैर शैक्षिक कार्यों के दबाव का है। आज शिक्षक हर समय गैर शैक्षिक कार्य पर लगा रहता है। उसे न तो पढ़ाने का टाइम दिया जाता है, और हैरानी की बात ये है कि शिक्षा अधिकारी भी इसकी मॉनिटरिंग नहीं करते की पढ़ाई हो रही है या नहीं बल्कि गैर शैक्षिक काम पूरा हुआ है या नहीं इसकी चिंता करते हैं। महावीर सिहाग ने कहा कि शिक्षा अधिकारी का काम स्कूलों को सम्बलन देने का है। विद्यालयों में जाएं, शिक्षकों से बात करें, और समस्याओं का समाधान करें। उसके बजाए एक इंस्पेक्टर के रूप में जाकर धमका करके आ जाते हैं। और गैर शैक्षणिक क्षेत्र के कार्यों के बारे में जानकारी लेकर लौट आते हैं।
नई शिक्षा नीति पर सवाल :शिक्षक संघ शेखावत ने नई एजुकेशन पॉलिसी पर सवाल उठाया और कहा कि यह शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन करती है. आरटीई कहता है कि एक किलोमीटर के दायरे में बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल होना चाहिए. अगर स्कूल नहीं है तो स्कूल खोला जाए. वहीं नई शिक्षा नीति कहती है कि एक मॉडल स्कूल के आसपास के 10 स्कूलों को बंद कर एक कैंपस स्कूल बनाया जाएगा. इसमें सारे स्कूल समाहित कर दिए जाएंगे. इसे लागू किया तो राजस्थान में दो तिहाई स्कूल बंद हो जाएंगे. हाल ही में सरकार ने इसी पॉलिसी के तहत करीब 2300 स्कूल बंद कर दिए. इसका विरोध किया जा रहा है. स्कूल बंद हो जाएंगे तो सार्वजनिक शिक्षा खत्म हो जाएगी.
बड़ी संख्या में महिला शिक्षक शामिल: इस दौरान बड़ी संख्या में महिला शिक्षक आंदोलन में शामिल हुई. शिक्षक नेता सुनीता सिहाग ने कहा कि बीते 7 दिन से पैदल कूच कर जयपुर पहुंचे हैं. सबसे बड़ी मांग यही है कि हर कैडर के ट्रांसफर होते हैं, लेकिन थर्ड ग्रेड टीचर ने ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उनके तबादले नहीं होते. प्रदेश में जो भी शिक्षा मंत्री आते हैं वो तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले पर चुप्पी साथ लेते हैं. कहते हैं कि सरकार देखेगी. तो क्या शिक्षा मंत्री सरकार का हिस्सा नहीं है. उन्होंने महिला शिक्षक साथियों की परेशानी का जिक्र करते कहा कि कई शिक्षक बाड़मेर-जैसलमेर जैसे इलाकों में 20-20 साल से काम कर रहे हैं. उन्हीं में से एक शिक्षक ने बताया कि उनका बच्चा उनको नहीं पहचानता. कुछ शिक्षकों के बच्चे जवान हो गए, लेकिन वो अपने बच्चों को बढ़ता और पढ़ता नहीं देख पाई.
पैदल पहुंचे जयपुर: शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश उपाध्यक्ष भंवरलाल ने बताया कि समय-समय पर सरकार से डिमांड की थी कि टेबल पर आए और शिक्षकों से बातचीत करें. उनके मुद्दे सुने, लेकिन सरकार ने सुनवाई नहीं की. इसलिए राजस्थान के शिक्षक जत्थों के रूप में पहले सीकर, नावां और टोंक में इकट्ठा हुए. फिर वहां से पैदल मार्च कर जयपुर पहुंचे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सार्वजनिक शिक्षा खत्म करना चाहती है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी उनसे मुलाकात की और आश्वासन दिया कि पार्टी का पूरा समर्थन शिक्षकों को रहेगा. साथ ही खेद जताया कि शिक्षा मंत्री रहते वे शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं कर पाए. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने अब तक भी उनकी सुध नहीं ली है. उम्मीद है कि सरकार शिक्षकों की सुनवाई करेगी, समाधान निकाला जाएगा. यदि समाधान नहीं हुआ तो आगामी आंदोलन और उग्र होगा.